नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने 14 सितंबर को स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को भारत की सीमा रणनीति और भारतीय सेना की तैनाती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी चीनी खुफिया एजेंसियों को साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया। इसके बाद, मामले में चीनी एजेंट किंग शी और उसके नेपाली सहयोगी शेर सिंह को गिरफ्तार किया गया। राजीव शर्मा चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (समाचार पत्र) के लिए स्तम्भ भी लिखा करता था।
अब ग्लोबल टाइम्स उसके बचाव में सामने आया है। उसके प्रधान संपादक हू ज़िजिन ने लिखा,“मुझे लगता है कि इस मामले को ग्लोबल टाइम्स से सार्वजनिक रूप से जोड़ना और ध्यान आकर्षित करने के लिए सनसनी पैदा करना भारतीय पक्ष के लिए बहुत अनुचित है। वे स्पष्ट रूप से चीनी मीडिया आउटलेट के लिए सम्मान दिखाने में विफल रहे हैं और ऐसा करना भारत सरकार के लिए विशेष रूप से अनुचित है।”
यह दावा करते हुए कि राजीव शर्मा को ग्लोबल टाइम्स के साथ जोड़ने से सरकारी मीडिया के खिलाफ एक ‘नकारात्मक एसोसिएशन’ बनेगा, हू जिजिन ने कहा, “ग्लोबल टाइम्स ने चीन-भारत सीमा तनाव पर कई रिपोर्ट और विचार प्रकाशित किए हैं। मुझे पता है कि कुछ भारतीय हमसे नाखुश हैं। वे हमारी खुली आलोचना कर सकते हैं या हमारे साथ बहस कर सकते हैं, लेकिन इस तरह की क्षुद्रता दिखाना निरर्थक है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के कारण शर्मा के ग्लोबल टाइम्स के साथ लिंक को इस तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
इसके अलावा कुछ भारतीय पत्रकार भी शर्मा के समर्थन में सामने आए हैं। NDTV ‘जर्नलिस्ट’ अरविंद गुणसेकर ने तर्क दिया कि राजीव शर्मा की गिरफ्तारी प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ थी।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव कुमार यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि शर्मा बार-बार जगह बदल कर चीनी खुफिया अधिकारियों मुलाकात कर रहा था। खासकर 2016 से 2018 के बीच देश के बाहर अलग-अलग जगहों पर उसने चीन के खुफिया अधिकारियों से मुलाकात कर खुफिया दस्तावेज और अहम जानकारी दी।
दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया कि चीनियों को गोपनीय सूचना देने के आरोप में गिरफ्तार राजीव शर्मा को बीते एक साल में 40-45 लाख रुपए मिले थे। शर्मा को प्रत्येक सूचना के बदले 1000 डॉलर मिलते थे। चीनी खुफिया अधिकारियों ने पत्रकार को ज्यादा से ज्यादा खुफिया जानकारी मुहैया कराने को कहा था। इसके बदले उसे पैसे के साथ लग्जरी हॉलीडे पैकेज का भी ऑफर दिया गया था।
इन खुफिया जानकारी में आर्मी से जुड़ी जानकारी, डिफेंस सिस्टम से जुड़ी, भारत की विदेश नीति के साथ दलाई लामा के बारे में भी जानकारी माँगी गई थी। काम के बदले पेमेंट करने के लिए चीनियों ने नेपाल के कुछ लोगों के साथ मिल कर शेल कंपनी बना रखी थी। इसी से पैसा भारत में ट्रांसफर होता था।
राजीव शर्मा द्वारा साझा की गई जानकारी सेना के मूवमेन्ट्स, रक्षा अधिग्रहण, दलाई लामा, विदेश नीति आदि से संबंधित थी। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के अनुसार, राजीव शर्मा ने खुलासा किया था कि उसने डोकलाम, गलवान घाटी, भारत-भूटान-चीन, भारतीय-म्यांमार सैन्य सहयोग, भारत-चीन सीमा मुद्दे और अन्य संबंधित मुद्दों पर जानकारी प्रदान की थी।