पूर्व सांसद प्रभुनारायण सिंह के तीन परिजन और दो संबंधी इस बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनके अनुज केदारनाथ सिंह बेनियापुर से लड़ रहे हैं। जेष्ठ पुत्र रणधीर कुमार सिंह छपरा से मैदान में हैं। भतीजे सुधीर कुमार सिंह तरैया से उतरे हैं। तरैया के पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र से सुधीर के साले जितेन्द्र कुमार जितू भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। समधी विनय कुमार सिंह सोनपुर से दावा ठोक रहे हैं।
भाई केदारनाथ सिंह एक बार फिर राजद का सिम्बल लेकर मैदान में
केदारनाथ सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के अनुज हैं। वे बनियापुर विधानसभा क्षेत्र के निर्वतमान राजद विधायक हैं। पार्टी ने सिम्बल देकर उन्हें इस बार फिर बनियापुर के चुनाव मैदान में उतारा है। वे पहली बार मशरक विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में समता पार्टी के सिम्बल पर मैदान में उतरे और राजद उम्मीदवार तारकेश्वर सिंह से पराजित हो गये। फिर 2005 के अक्टूबर के चुनाव में बतौर जदयू प्रत्याशी कांग्रेसी उम्मीदवार तारकेश्वर सिंह को हरा विजयी रहे। लेकिन 2005 के मार्च के चुनाव में बतौर जदयू प्रत्याशी वे फिर तारकेश्वर सिंह से चुनाव हार गये। 2010 का चुनाव आते-आते मशरक विधानसभा क्षेत्र विलोपित हो गया। इस चुनाव में वे बनियापुर विधानसभा क्षेत्र के राजद प्रत्याशी बने और विजयी रहे। 2015 के चुनाव में भी बतौर राजद प्रत्याशी उन्होंने जीत दर्ज की। एक बार फिर राजद का सिम्बल लेकर बनियापुर के चुनाव मैदान में हैं।
उपचुनाव में पहली बार विधानसभा पहुंचने के बाद बेटा फिर दंगल में
रणधीर कुमार सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के जेष्ठ पुत्र हैं। वे छपरा विधानसभा क्षेत्र के राजद विधायक रह चुके हैं। वे इस बार फिर इसी पार्टी से छपरा के चुनावी दंगल में हैं। वे पहली बार 2014 में छपरा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद के सिम्बल पर मैदान में उतरे और बीजेपी प्रत्याशी कन्हैया सिंह को त्रिकोणात्मक संघर्ष में पराजित कर पहली बार बिहार विधानसभा की दहलीज पर पहुंचे। 2015 के आम चुनाव में राजद ने उन्हें फिर छपरा के चुनावी दंगल में उतारा। लेकिन वे बीजेपी प्रत्याशी डॉ. सीएन गुप्ता से पराजित हो गये। 2019 के संसदीय चुनाव में राजद ने उन्हें महाराजगंज सीट पर उतारा लेकिन इस चुनाव भी वे भी रनर बन कर ही रह गये। बीजेपी के जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने उन्हें पराजित कर दिया। एक बार फिर राजद ने उनपर भरोसा किया है और सिम्बल देकर छपरा विधानसभा के चुनाव मैदान में उतारा है।
खेल मैदान से निकल निर्दलीय के रूप में भतीजा ठोक रहे अब ताल
सुधीर कुमार सिंह महाराजगंज के पूर्व राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह के भतीजे हैं। वे पूर्व सांसद के छोटे भाई दीनानाथ सिंह के जेष्ठ पुत्र हैं। पूर्व सांसद के साथ दीनानाथ सिंह भी विधायक अशोक हत्याकांड में सजायफ्ता होकर हजारीबाग जेल में हैं। सुधीर सिंह ने इस चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी तरैया विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोकी है। वे जिले के चर्चित क्रिकेट खिलाड़ी हैं। उनके द्वारा आयोजित युवराज प्रियम लीग (वाइपीएल) ने सूबे में उन्हें प्रतिष्ठा दिलायी है। पहले मशरक और फिर तरैया में इस क्रिकेट लीग का उन्होंने कई बार आयोजन किया। अब खेल व खेल मैदान से निकल कर उन्होंने सियासत की दुनिया में कदम रखा है। तरैया के पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र से सुधीर के साला जितेन्द्र कुमार जितू भी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
भाजपा के निशान पर समधी एक बार फिर आजमा रहे हैं भाग्य
विनय कुमार सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के समधी हैं। पूर्व सांसद के पुत्र व छपरा के पूर्व विधायक रणधीर कुमार सिंह के ससुर हैं। वे सोनपुर विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक रह चुके हैं। इस बार फिर बीजेपी के सिम्बल पर चुनावी रण में हंै। वे पहली बार 2005 के अक्टूबर व मार्च के चुनाव में सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के सिम्बल पर चुनाव मैदान में उतरे और राजद के डॉ. रामानुज प्रसाद से पराजित हो गये। 2010 के चुनाव में उन्हें जबर्दस्त सफलता मिली। इस चुनाव में सूबे की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को पराजित कर वे पहली बार विधानसभा में पहुंचे। पूर्व सीएम को हराने के बाद पार्टी में उनका कद बढ़ा और कार्यसमिति में अहम पद मिला। वे छपरा के बीजेपी जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। लेकिन 2015 के चुनाव में उन्हें पराजय का स्वाद चखना पड़ा। बीजेपी ने इस चुनाव में फिर उनपर भरोसा जता सोनपुर से चुनाव मैदान में उतारा है।