लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है. सपा से लेकर कांग्रेस और बसपा तक सूबे में अपनी सियासी जमीन वापस पाने के लिए योगी सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मोर्चा खोले हुए हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भी यूपी के चुनावी रण में किस्मत आजमाने का फैसला किया है. केजरीवाल की सूबे में सियासी एंट्री से बीजेपी से ज्यादा सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी होगी.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को ऐलान किया है कि आम आदमी पार्टी यूपी के विधानसभा चुनाव में लड़ेगी. केजरीवाल ने दावा किया है कि यूपी के लोग भी दिल्ली की तरह मुफ्त बिजली, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं चाहते हैं. केजरीवाल का दावा है कि गंदी राजनीति और भ्रष्ट नेता यूपी को प्रगति की राह पर चलने से रोक रहे हैं. इसीलिए यूपी में स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का बुरा हाल है. यूपी की जनता पुरानी राजनीति से त्रस्त हो गई है और आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी होगी.
केजरीवाल के एंट्री से बीजेपी आक्रमक
आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से बीजेपी नेताओं ने भले ही केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हो लेकिन सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस खामोश हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि केजरीवाल की यूपी में एंट्री से सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के लिए नहीं बल्कि सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे दलों के लिए चुनौती खड़ी होगी.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिनसे दिल्ली संभल नहीं रही है, वो 24 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश को संभालेंगे. प्रदेश में आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है. केजरीवाल जरूरत से ज्यादा बड़ी बातें कर रहे हैं. उनकी हालत कांग्रेस से भी बुरी होने वाली है. यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं, 2022 के चुनाव में उन्हें अपनी हैसियत पता चल जाएगी. पहले वह ये बताएं जो उन्होंने बयान दिया था कि ये 500 रुपये की टिकट में पूर्वांचल से लोग आते हैं और 5 लाख का मुफ्त इलाज कराते हैं. इसकी वजह से दिल्ली में इलाज नहीं हो पा रहा. इस बात का जवाब दें.
यूपी की कमान संजय सिंह के हाथ में
केजरीवाल ने अपने सबसे भरोसेमंद साथी संजय सिंह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर मैदान में उतार रखा है. प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से आने वाले राज्यसभा सांसद संजय सिंह यूपी की कमान संभालने के बाद से ही सक्रिय हैं और सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. इतना ही नहीं संजय सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरवादी और सूबे में ब्राह्मण विरोधी आरोप भी लगातार लगा रहे हैं. वो सूबे में सड़क से लेकर संसद तक बीजेपी को घेरने की कोशिश करते नजर आए हैं. संजय सिंह के आक्रामक अंदाज की वजह से यूपी में पार्टी के कैडर में सक्रिय हुआ है. यही वजह है कि अब केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल को लेकर चुनावी रण में उतरने का फैसला किया है.
विपक्ष के लिए होगी बड़ी चुनौती
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का संगठन प्रदेश में जमीनी स्तर पर अभी इतना मजबूत नहीं है कि अपने दम पर सत्ता हासिल कर सके. सूबे में राजनीति फिलहाल योगी बनाम अखिलेश, मायावती और प्रियंका गांधी के तौर पर देखी जा रही है. ऐसे में केजरीवाल की एंट्री से योगी विरोधी वोट विपक्ष में बिखराव होगा, जिसका सीधा फायदा योगी आदित्यनाथ को मिल सकता है.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार काशी यादव कहते हैं कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में पहली बार चुनाव नहीं लड़ रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल और उनकी पार्टी के कुमार विश्वास सहित कई नेता लड़ चुके हैं. इसके अलावा 2017 के चुनाव में भी उनकी पार्टी ने कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन खाता नहीं खुला. यूपी और दिल्ली की राजनीति काफी अलग है.
वो कहते हैं उत्तर प्रदेश की राजनीति लंबे समय से जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. यहां लोग विकास से ज्यादा जातीय समीकरण को आज भी अहमियत देते हैं. इसी का नतीजा है कि बागपत से लेकर देवरिया तक अलग-अलग जातियों की अपनी-अपनी पार्टियां भी हैं, जिनके सहारे अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाते रहते हैं. ऐसे में केजरीवाल की सस्ती बिजली, बढ़िया स्वास्थ्य के नारे को कितना समर्थन मिलेगा यह फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन एक बात जरूर है कि केजरीवाल के चुनाव लड़ने से विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि कौन क्या कहता है, इस पर समाजवादी लोग विश्वास नहीं करते हैं. हमारा लक्ष्य होता है कि प्रदेश में विकास कैसे हो. रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हमारे मुद्दे होते हैं. 2022 में समाजवादी पार्टी मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी. सूबे में लोग सपा के सरकार में किए गए विकास कार्यों को आज भी याद कर रहे हैं. किसी के चुनाव लड़ने और न लड़ने से हम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.