कुख्‍यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर कार्रवाई के लिए चीन को मनाने की खुलेगी राह

नई दिल्ली। जैश के कुख्यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगाने की भारत की अभी तक की कोशिशें चीन की वजह से ही परवान नहीं चढ़ पाई हैं। लेकिन आने वाले दिनों में हालात बदल सकते हैं। यह हालात इस हफ्ते भारत और चीन के बीच होने वाले आतंरिक सुरक्षा से जुड़े समझौते से बदल सकता है।

यह समझौता दोनो देशों के बीच गैर कानूनी गतिविधियों से जुड़े तमाम सूचनाओं को आपस में साझा करने के साथ ही आतंकवादी घटनाओं की जांच आदि करने के बारे में सहयोग स्थापित करने की राह आसान करेगा। साथ ही आगे चल कर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले व्यक्तियों या संगठनों पर लगाम लगाने में भी चीन की मदद ली जा सकेगी।

चीन के लोक सुरक्षा मंत्री झाओ केझी सोमवार को भारत पहुंचेंगे। यहां उनकी गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उच्चस्तरीय वार्ता होगी जिसकी प्लानिंग पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वुहान में हुई अनौपचारिक वार्ता में की गई थी। इस यात्रा के दौरान पहली बार आतंरिक सुरक्षा में एक दूसरे की मदद करने वाले अहम समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद है। कई जानकार मान रहे हैं कि भारत व चीन के बीच विश्वास बहाली के संदर्भ में यह अभी तक का सबसे अहम समझौता होगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व चीन मामलों के कूटनीतिक विशेषज्ञ स्वर्ण सिंह ने इसे अभूतपूर्व समझौता करार दिया है। पहली बार दोनो देश कई सारी गोपनीय सूचनाओं का साझा करेंगे, जो अभी तक नहीं कर रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक इस समझौते के तहत भारत व चीन के बीच आतंकवाद से जुड़े खतरों पर सूचनाओं को साझा करने का एक ढांचा तैयार हो जाएगा। भारत चीन को उन आतंकियों व आतंकी संगठनों के बारे में भी ज्यादा खुल कर सूचना दे सकेगा जो दूसरे देशों से संचालित होते हैं। इन आतंकियों व आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने में मदद भी मांगी जा सकती है। वैसे इस बारे में चीन व भारत के बीच पहले भी वार्ता होती रही है लेकिन अब यह बातचीत एक व्यवस्थित समझौते के तहत होगी। सनद रहे कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों को पिछले एक दशक से सिर्फ चीन की वजह से सफलता नहीं मिल सकी है।

भारत व कुछ दूसरे देशों की तरफ से इस बारे में लाये गये सभी प्रस्तावों को चीन वीटो दे कर निरस्त कर देता है। इस बारे में अमेरिका भारत की पूरी मदद करता है लेकिन चीन की वजह से प्रस्ताव गिर जाता है। चीन आधिकारिक तौर पर यह कहता है कि अजहर एक पाकिस्तानी नागरिक है और इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत व पाकिस्तान को मिल कर बात कर करनी चाहिए। चीन की तरफ से अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को इतना बार गिराया जा चुका है कि नवंबर, 2017 के बाद इस बारे में नया प्रस्ताव नहीं लाया गया है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *