उत्तराखंड के चमोली में आए जल-प्रलय आपदा के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने तो त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए लगातार कई कदम उठाए जिससे लोगों की जान बची, लेकिन उस पूरे इलाके को इस त्रासदी ने तबाह कर डाला। ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट को नदी अपने साथ ही बहा कर ले गई। साथ ही 530MW धौलीगंगा हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुँचा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (NCMC) ने भी रविवार (फ़रवरी 7, 2021) को बैठक की।
ये बैठक समिति के अध्यक्ष और कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा के नेतृत्व में हुई। इस बैठक में इस आपदा और इससे हुए नुकसान को लेकर विचार-विमर्श किया गया। ऋषिगंगा में जलस्तर अब भी बढ़ा ही हुआ है। धौलीगंगा नदी आगे जाकर अलकनंदा में ही मिलती है। अब कई छोटे-बड़े पॉवर प्रोजेक्ट्स के मलबे इन्हीं नदियों में दबे हुए हैं। अपने सामान्य स्तर से 15 मीटर ऊपर बह रही नदी सब कुछ अपने साथ ले गई।
ऋषिगंगा हाइडल प्रोजेक्ट के अंतर्गत किनारों पर जो कंक्रीट संरचनाएँ बन हुई थीं, अब केवल वही बची रह गई है। धौलीगंगा प्रोजेक्ट के पास से भी शुरुआत में 2 लाशें मिलीं। धौलीगंगा प्लांट में 42 मजदूर घिरे हुए थे। जहाँ 12 को वहाँ से बचा लिया गया, 30 दूसरे टनल में फँसे हुए थे। दोनों प्रोजेक्ट्स के 170 कामगार गायब हैं। रैणी गाँव के लोगों ने ऋषिगंगा हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ अदालत में अर्जी दे रखी थी, जिसके बाद न्यायालय ने एक टीम बना कर जाँच करने को कहा था।
तपोवन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर डैम भी अब नहीं रहा। मलारी घाटी में जाने के लिए जो 2 पुल थे, वो भी नदी के साथ बह गए। हालाँकि, जोशीमठ से तपोवन तक की प्रमुख सड़क अभी भी ठीक है। भारतीय वायुसेना के 2 हैलीकॉप्टर राहत कार्य में लगे हुए हैं। 2 एयरक्राफ्ट्स की मदद से राहत सामग्रियाँ पहुँचाई गईं। पीएम मोदी ने सीएम रावत को दिन भर के दौरान 4 बार फोन कॉल किया। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 4-4 लाख रुपए मुआवजा राशि की घोषणा की है।
Some pictures of yesterday when ITBP officials started digging to find out the way to a tunnel near Tapovan, #Chamoli, Uttarakhand to rescue 12 persons trapped after the flash floods. Rescue mission to another tunnel also on.#Himveers pic.twitter.com/AhVKNX1ORP
— ITBP (@ITBP_official) February 8, 2021
इस आपदा में जानवरों को भी नुकसान पहुँचा है, जो पहाड़ी गाँवों की अर्थव्यवस्था में बड़ा किरदार निभाते हैं। 180 भेड़-बकरियाँ नदी के साथ ही बह गईं। 5 स्थानीय लोग, जिनमें एक चरवाहा और 2 घास काट रही महिलाएँ शामिल थीं, इस आपदा में नहीं बच सके। सरकार फ़िलहाल लोगों की जान बचाने और राहत कार्य पर ध्यान दे रही है, जिसके बाद आपदा के पुष्ट कारणों की समीक्षा होगी। सीएम रावत ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के ये जानकारी दी।
गायब लोगों का कुल आँकड़ा फिलहाल 170 है। एक टनल से 12 लोगों को सुरक्षित निकालने के बाद उत्साहित ITBP के जवानों ने ‘जय बद्री विशाल’ और ‘जय नंदा देवी’ के नारे लगाए। तपोवन के पास अपने आप ही एक झील बन गई है। टिहरी डैम से पानी छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। DRDO के विशेषज्ञों की टीम सोमवार को घटनास्थल पर जाकर ग्लेशियरों का अध्ययन करेगी। अब नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा का बहाव सामान्य है।
#उत्तराखंड के जोशीमठ त्रासदी में जितने बच्चे अनाथ होंगे पतंजलि योगपीठ उन्हें गोद लेगा,साथ ही तत्काल कोई भी सहायता चाहिए तो #पतंजलि सहायतार्थ तैयार है #आचार्यबालकृष्ण
“पतंजलि के लिए देश एक बाजार नहीं अपितु एक परिवार है” #UttarakhandDisaster @tsrawatbjp @yogrishiramdev pic.twitter.com/cTXVH0x5SG— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) February 7, 2021
उधर आचार्य बालकृष्ण ने ऐलान किया है कि उत्तराखंड जोशीमठ त्रासदी में जितने भी बच्चे अनाथ हुए हैं, ‘पतंजलि योगपीठ’ उन्हें गोद लेगी। उन्होंने कहा कि पतंजलि के लिए देश एक बाजार नहीं, बल्कि परिवार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि तत्काल किसी भी सहायता के लिए कंपनी तैयार है। विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने अपनी एक मैच की सैलरी राहत कार्य के लिए दान कर दी। राज्य सरकार ने अफवाहों से बचने की सलाह दी है।
1 दिन पहले सीएम ने बतया था कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, NDRF, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और पुलिस के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं। तपोवन स्थित जिन दो सुरंगों में मजदूर फँसे हुए हैं, वहाँ मुस्तैदी से बचाव कार्य चल रहा है। करीब 1 घंटे पहले तक ITBP के जवान रस्सी से सुरंग के अंदर करीब 150 मीटर तक पहुँच पाए थे। ये सुरंग करीब 250 मीटर लंबी है। अभी तक 16 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।