नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही भारत में ट्विटर के कुछ शीर्ष अधिकारीयों को गिरफ्तार कर सकती है। यह सामने आई है, जब ट्विटर भड़काऊ सामग्री, विशेष रूप से ‘किसानों के नरसंहार’ के हैशटैग शेयर करने वाले ट्विटर अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही। सरकार ने ट्विटर को इन अकाउंट पर एक्शन लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन ट्विटर ने इन आदेशों की अवहेलना की और वो आईटी एक्ट के सेक्शन 69 ए के तहत दिए गए निर्देशों का पालन करने में विफल रहे।
बृहस्पतिवार (फरवरी 11, 2021) को आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा कि चाहे ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन या व्हाट्सऐप हो, भारत में काम करने के लिए उनका स्वागत है, उनके करोड़ों फोलोअर्स हैं, लेकिन उन्हें भारतीय संविधान और कानूनों का पालन करना होगा।
Prasad: Double standards by some microblogging forums on events at Capitol Hill and at Red Fort. During Capitol Hill, you stand with the police action and in violence at Red Fort, you take a different stand
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) February 11, 2021
समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ पर पंकज डोवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ट्विटर के शीर्ष अधिकारियों को अब केंद्र सरकार द्वारा गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, भारत सरकार ने ट्विटर से कुछ ‘भारत-विरोधी’ अकाउंट और खालिस्तान समर्थक अकाउंट को निरस्त करने के आदेश दिए थे।
हालाँकि, सरकार के कठोर रुख को देखते हुए, ट्विटर ने कुछ ट्विटर अकाउंट पर आंशिक रूप से प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर अब ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार’ की रक्षा को आधार बनाकर अदालत का रुख कर सकती है।
वहीं, ट्विटर ने मंगलवार (फरवरी 09, 2021) को कहा कि वह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं करेगा, क्योंकि वह यह नहीं मानता है कि आदेश भारतीय कानून के अनुरूप हैं।
बुधवार (फरवरी 10, 2021) को ट्विटर के अधिकारियों- ट्विटर की ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी वाइस प्रेसिडेंट मोनीके मेशे और जिम बेकर के साथ एक बैठक के दौरान, केंद्रीय आईटी सचिव अजय प्रकाश साहनी ने स्पष्ट किया कि इन विवादास्पद हैशटैग का उपयोग न तो पत्रकारिता की स्वतंत्रता थी और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है क्योंकि ये ‘गैर जिम्मेदाराना सामग्री भड़काने वाली’ साबित हो सकती है।
अजय साहनी ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से कहा कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आलोचना का सम्मान करता है क्योंकि ये हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है, हालाँकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है और इस पर भी उचित प्रतिबंध लागू होते हैं, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेत 19 (2) में वर्णित है। उन्होंने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में भी इस सिद्धांत को कई बार सही ठहराया गया है।
सरकार ने अमेरिकी कैपिटल हिल और लाल किले पर हुए दंगों के विषय पर ट्विटर की कार्रवाई पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। केंद्र ने ट्विटर से दोहरे मापदंड न अपनाने और सरकारी आदेशों का उल्लंघन न करने के साथ ही, लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करने के लिए कहा है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, एक सरकारी सूत्र ने कहा कि ट्विटर को आदेशों का पालन करना होगा और यह बातचीत का विषय नहीं बल्कि यहाँ का कानून है और अगर किसी को केंद्र सरकार द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से कोई समस्या है तो वो कानूनी सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
केंद्र चाहता है कि ट्विटर सरकार के आदेशों का अनुपालन तत्काल रूप से करे। सरकार का कहना है कि अगर ट्विटर इस काम को हिचकिचाहट के साथ या विलम्ब से करता है तो यह वास्तव में अनुपालन नहीं माना जा सकता।
इससे पूर्व, ट्विटर ने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बचाव के अपने सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, हमने उन अकाउंट पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जिनमें समाचार मीडिया संस्थाएँ, पत्रकार, कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं। ऐसा करने के लिए, हमें विश्वास है, भारतीय कानून के तहत स्वतंत्र अभिव्यक्ति के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।” हालाँकि, संचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ बैठक में ट्विटर की इस दलील को खारिज कर दिया गया।
भारत सरकार ने ट्विटर से कठोर शब्दों में कहा है कि भारत में उसे भारतीय क़ानूनों का पालन करना ही होगा। सरकार ने ट्विटर के कुछ अकाउंट को प्रतिबंधित करने के आदेश के पालन में देरी पर भी नाराज़गी व्यक्त की है।
सरकार की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि ट्विटर अपने नियम और दिशानिर्देश बना सकता है, लेकिन भारत की संसद में पारित विधानों का पालन करना ही होगा, चाहे ट्विटर के अपने नियम और दिशानिर्देश कुछ भी हों।
गौरतलब है कि भारत में चल रहे किसान आन्दोलन के बीच किसानों के नरसंहार वाले भड़काऊ हैशटैग चलाने पर भारत सरकार ने ट्विटर को 250 से अधिक अकाउंट को प्रतिबंधित करने के लिए कहा था।
ट्विटर ने इसके बाद कुछ देर के लिए इन अकाउंट पर भारत में ‘रोक’ लगाईं भी थी, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए उन्हें कुछ ही देर बाद फिर से सक्रीय कर दिया गया।