नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (28 जून 2021) को हरियाणा के मुस्लिम बहुल नूँह जिले (मेवात) में हिंदुओं को सुरक्षा देने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वकील विष्णुशंकर जैन के जरिए वकीलों और एक्टिविस्टों के एक समूह ने यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने इसे कट्टरपंथी संगठनों की साजिश बताया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिका में कहा गया है, “वहाँ कई हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया है। कई महिलाओं व लड़कियों का अपहरण और उनका बलात्कार किया गया है। यहाँ हिंदू महिलाएँ बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। मुसलमानों ने अनुसूचित जाति के लोगों पर भारी अत्याचार किए हैं।”
याचिका में कहा गया है कि नूँह जिले में पुलिस, प्रशासन और प्रदेश सरकार वहाँ हिंदुओं की जिंदगी और उनकी स्वतंत्रता को बरकरार रखने में पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि नूँह में वर्ष 2011 में 20 फीसदी हिंदू थे, लेकिन अब ये घटकर 10-11 फीसदी रह गए हैं। वहीं तब्लीगी जमात के संरक्षण में इस्लाम को मानने वालों की आबादी तेजी से बढ़ी है।
The petition states that Muslims under the patronage of the Tablighi Jamaat have gradually increased their strength “and now the position is that Hindus Population is decreasing and it has come down from 20% to 10-11% since the last census 2011.” The plea goes on to state,
— Bar & Bench (@barandbench) June 28, 2021
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने उस चार सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कमिटी के सदस्यों ने 31 मई 2020 को नूँह के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी। याचिका में कहा गया है, “मुसलमानों द्वारा उन पर किए गए कई जघन्य अपराधों और अत्याचारों के लिए हिंदुओं ने कई एफआईआर और शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है।”
Singh: The petitioners have gone to this area
CJI: we cannot entertain this plea based on newspaper reports
Singh: additional affidavit says they have gone there#supremecourt @Districtnuh
— Bar & Bench (@barandbench) June 28, 2021
याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि हरियाणा का नूँह जिला एंटी नेशनल तत्वों से प्रभावित हो चुका है और वहाँ का हिंदू समुदाय जानवरों की तरह जीवन जीने के लिए मजबूर है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई, एनआईए और सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की वाली एक एसआईटी के गठन की माँग की गई है, ताकि जबरन धर्मान्तरण, हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के बलात्कार के आरोपों की जाँच की जा सके। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट से बीते 10 सालों में हिंदुओं द्वारा दबाव में की गई बिक्री को रद्द करने की माँग की गई है।
[Worsening conditions of “Hindus” in Nuh, Mewat]#SupremeCourt to hear a plea seeking protection for the fundamental rights of Hindus stating that their right to life and liberty is being “eroded by members of Muslim community who are in dominating position.”@vishnujain3 pic.twitter.com/w7jRMJlyhg
— Bar & Bench (@barandbench) June 28, 2021
इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने की। इसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एएस बोपन्ना भी शामिल रहे। सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस एन वी रमणा ने कहा, “हम अखबार की खबरों के आधार पर इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं।” कोर्ट ने एडिशनल एफिडेविड के बारे पूछताछ के बाद हिंदुओं की सुरक्षा की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
हिंदुओं पर अत्याचार और धर्मान्तरण का अड्डा बना मेवात
राजस्थान और हरियाणा में आने वाला मेवात क्षेत्र लंबे समय से अपराध का केंद्र रहा है। यह संगठित अपराध, पशु तस्करी और अवैध रोहिंग्याओं का केंद्र रहा है।
इससे पहले फरवरी 2020 में मेवात के तवाडु के एक गाँव में एक विवाहिता के अपहरण और गैंगरेप की खबर सामने आई थी। पीड़िता का सितंबर 2019 में अपहरण कर लिया गया था और उसे बंदी बनाकर रखा गया था, लेकिन 15 जनवरी 2020 को वह आरोपितों के चंगुल से भाग निकली। कैद से भागने के बाद उसने पाँच लोगों पर अपहरण और महीनों तक सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया था। महिला ने बताया था कि कैद में रखने के दौरान आरोपी उसे ड्रग्स देते थे और गैंगरेप करते थे। पीड़िता ने बताया था कि अपहरणकर्ता उसका अश्लील वीडियो भी शूट करते थे और उसे इंटरनेट पर डालने की धमकी देते थे।
इसी तरह सितंबर 2020 में इस्माइल, इरशाद और साहिर ने एक 15 वर्षीय नाबालिग का अपहरण कर लिया था। आरोपितों ने उसे नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ गैंगरेप किया। नूँह के पिनाँगवा गाँव में हुई इस वारदात में नाबालिग के साथ 28 घंटे तक गैंगरेप किया गया और उसे प्रताड़ित किया गया। आरोपित लड़की के परिचित ही थे। पीड़िता ने बताया था कि वह सुबह घूमने के लिए बाहर गई थी, इसी दौरान इस्माइल ने उसे बाजरे के खेत में ले जाने का लालच दिया और उसके साथ रेप किया। करीब 2 घंटे बाद दूसरा आरोपित साहिर आया और उसने भी उसके साथ रेप किया। बाद में इरशाद ने भी उसके साथ वही हरकत की। पीड़िता ने अपने बयान में बताया था कि आरोपितों ने उसका रेप करने से पहले उसे नशीला पदार्थ खिलाया था।
इसी तरीके से पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा के फरीदाबाद में निकिता तोमर नाम की 21 वर्षीय छात्रा के साथ लव जिहाद और उसका धर्मान्तरण कराने की कोशिश की गई थी। नहीं मानने पर आरोपित ने गोली मारकर निकिता की हत्या कर दी थी। फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में अग्रवाल कॉलेज के बाहर दो लोगों ने दिनदहाड़े उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इनमें से एक तौसीफ उसे लगातार परेशान कर रहा था। निकिता ने तौसीफ के खिलाफ छेड़छाड़ और उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में समझौता हो गया था।
हत्या से एक दिन पहले ही निकिता ने आरोपित तौसीफ के खिलाफ परेशान करने और धर्मान्तरण कराने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपितों ने अग्रवाल कॉलेज के बाहर जब निकिता को गोली मारी तो वो घटना वहीं पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। हत्या का यह वीडियो वायरल हो गया था। इसके बाद पुलिस ने तौसीफ और उसके साथी रेहान को गिरफ्तार कर लिया। तोमर की हत्या का मुख्य आरोपित तौसीफ भी मेवात का रहने वाला था, जो कट्टरपंथी इस्लामियों द्वारा बड़े पैमाने पर हिंदू महिलाओं के धर्मांतरण, अपहरण और बलात्कार के लिए बदनाम है।