लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी विसात बिछनी शुरु हो गई है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में अभी देरी है, लेकिन पार्टियां अभी से तैयारियों में जुट गई है. बीजेपी के चुनावी प्रचार को धार देने के लिए तो खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाइक पर सवार हो रहे है. उधर, समाजवादी पार्टी भी एक बार फिर अखिलेश को 2011 की साइकिल पर बैठाने की तैयारी में जुटी है. लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अखिलेश यादव भी करीब 50 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से करेंगे. हालांकि, ये यात्रा 16 सितंबर से कन्नौज से शुरू होने वाली थी, लेकिन मध्यप्रदेश. राजस्थान और छतीसगढ़ में हो रहे चुनाव की वजह से टाल दी गई है. अब इन राज्यों में चुनाव खत्म होते ही तारीख की घोषणा भी हो जायेगी. समाजवादी साइकिल का जवाब बीजेपी अपने बाइक से देने की तैयारी में है, तो बीएसपी भी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के चुनावी अभियान को धार देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सरकार के सभी मंत्री 17 नवंबर को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मोटरसाइकल चलाकर कमल संदेश यात्रा निकालेंगे. बीजेपी ने योजना बनाई है कि 17 नवंबर को सभी जिलों में एक साथ करीब आठ लाख मोटरसाइकलें सड़क पर हों.
अभियान में सीएम योगी वाराणसी में तो डिप्टी सीएम केशव मौर्य प्रयागराज और डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ में मोटरसाइकल चलाएंगे. रैली कम से कम 5-7 किलोमीटर का फासला तय करेगी. बीजेपी की योजना है कि हर बूथ से कम से कम पांच कार्यकर्ता एक बाइक पर सवार होकर निकलें. बीजेपी ने प्रदेश भर में अब तक 1.62 लाख बूथ बना लिए हैं. इस हिसाब से सड़क पर मोटरसाइकलों की संख्या आठ लाख तक पहुंचने की उम्मीद है.
पार्टी की कोशिश है कि वह जनता में विश्वास दिला सके कि मंत्री हो या वरिष्ठ नेता, हर कोई बाइक के साथ आपके बीच में खड़ा है. इसे लोकसभा चुनाव से पहले माहौल बनाने की पहल के तौर पर भी देखा जा रहा है. सरकार के मंत्री और प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा की मानें तो 17 तारीख को दो पहिया कमल संदेश यात्रा सभी लोकसभा क्षेत्रों में निकाली जायेगी. यात्रा का मकसद केंद्र के विकास कामों को जनता तक पहुंचाने का है. यूपी में करीब तीन करोड़ केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थी है. यह संख्या बढ़ानी भी है और जनता तक योजनाओं की जानकारी भी पहुंचानी है.
वैसे तैयारी तो समाजवादी पार्टी भी कर रही है. राज्यों के चुनाव खत्म होने के साथ ही अखिलेश की समाजवादी साइकिल यात्रा शुरू हो जाएगी. अखिलेश खुद साइकिल चालाकर समाजवादी पार्टी के लिए महौल बनाएंगे. समाजवादी पार्टी बीजेपी के बाइक रैली पर नसीहत दे रही है. एसपी का दावा है कि बीजेपी कॉपी करती है, लेकिन ठीक ढ़ंग से नहीं कर पा रही.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जमाई की मानें तो देश में पेट्रोल की कीमतों ने लोगों को परेशान कर रखा है. यूपी के युवाओं की हैसियत नहीं है कि वो बाइक चला पाएं. ऐसे में बीजेपी की ये बाइक कैसे चलेगी. 2019 में इनकी बाइक नहीं चलनेवाली.
लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां बुलेट पर सवार तेज रफ्तार से दौड़ने की तैयारी में है. तो, हाथी अपनी मस्त चाल से चला जा रहा है. बात बीएसपी की करें तो बहुजन समाज पार्टी भले ही गठबंधन को तैयार दिख रही हो, लेकिन अपनी तैयारी जारी है. बीएसपी जमीन पर उतर कर अपना काम बड़ी ही गुपचुप तरीके से कर रही है. जानकार भी मानते है कि बीएसपी साइकिल, बाइक या कार रैलियों में विश्वास नहीं रखती.
वरिष्ट पत्रकार रतनमणी लाल कहते है कि बीएसपी भाईचारा रैली और छोटे-छोटे कार्यक्रम करती है. साइकिल और बाइक रैलियों का फायदा भी मिलता है और शायद इसीलिए बीजेपी भी बाइक पर सवार हो रही है. अखिलेश को 2012 में इसका फायदा मिल चुका है. साफ है कि तैयारियां तेज़ है. एसपी-बीएसपी से लेकर बीजेपी सभी ने कमरकस ली है. कोई साइकिल पर तो कोई बाइक पर सवार होकर 2019 के इस संग्राम के पार करने में लगे है.
बाइक और साइकिल में रेस हो तो संभव है कि बाइक जितेगी, लेकिन बचपन में हमने एक कहानी भी सुनी है. कछुए और खरगोश की, जिसमें कछुआ धीरे-धीरे लगातार चलते हुए रेस जीत जाता है. 2019 में बीजेपी को यह कहानी नहीं भूलनी चाहिए.