दिलीप घोष पर हमले में 8 गिरफ्तार: ‘ममता का राजनीतिक दिखावा’ कह BJP ने की अधिकारियों पर एक्शन की माँग

ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से लॉ एन्ड ऑर्डर पर आए दिन सवाल उठा करते हैं। अब फिर वहीं से खबर। कल सोमवार को (27 सितंबर 2021) पश्चिम बंगाल के भवानीपुर में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेता दिलीप घोष पर उनके अंगरक्षकों की मौजूदगी में हमला किया गया था। इस हमले में भारी जनदबाव के चलते आखिरकार पश्चिम बंगाल पुलिस को एक्शन लेना पड़ा है। ताजा समाचार मिलने तक 8 गिरफ्तारियाँ की जा चुकी हैं।

BJP नेता दिलीप घोष के अंगरक्षकों की मौजूदगी में हुए इस हमले के बाद मीडिया, सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर ये सवाल उठने शुरू हो गए थे कि आखिरकार पश्चिम बंगाल में सुरक्षित कौन? शुरुआत में पश्चिम बंगाल पुलिस ने हीलाहवाली की पर जब इस मामले ने राष्ट्रव्यापी तूल पकड़ा तब से अब तक 8 गिरफ्तारियाँ की जा चुकी हैं।

इस मामले से संबंधित केस को भवानीपुर थाने में दर्ज किया गया है। दिलीप घोष पर हमले की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा अधिकारियों के साथ भी उस भीड़ ने धक्कामुक्की की थी। भीड़ के हाथों में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस का झंडा था। मजबूरी में आत्मरक्षार्थ अंगरक्षकों को पिस्टल भी निकालनी पड़ी थी।

इस घटनाक्रम पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि ये गिरफ्तारियाँ महज ममता सरकार का सियासी दिखावा भर है, यह सिर्फ जनाक्रोश को दबाने के लिए की गई हैं।

हमले और गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा का प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयोग से इस मसले पर मिला। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने न सिर्फ अभियुक्तों बल्कि उस स्थान पर नियुक्त प्रशासनिक अधिकारियों पर भी कार्रवाई की माँग की है, जो सुरक्षा व्यवस्था को सुचारू रखने में नाकाम रहे।

बतौर भूपेंद्र यादव पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल डाली है और उन्होंने हिंसा को ही लोकतंत्र बना डाला है। उनके अनुसार 8 गिरफ्तारियों के बहाने ममता बनर्जी इस हमले के पीछे के मुख्य उन सूत्रधारों को बचाना चाह रही हैं, जो उनकी पार्टी तृणमूल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि साक्ष्य संकलन के तौर पर इस हमले की एक CD भी तैयार की गई है।

फिलहाल इस पूरे मामले में बंगाल में लंबे समय तक शासक रहे वामपन्थी तत्व भी खामोश हैं और समता, समानता, अहिंसा जैसे सिद्धांतो की दुहाई फिलहाल मूक स्वरूप में है। विपक्षी दलों में से भी किसी ने अभी तक सुरक्षाबलों की मौजूदगी में एक विशेष भीड़ के इस हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है।