15 किमी में 1000 मस्जिद, 645 मदरसे: नेपाल बॉर्डर से सटे यूपी के 7 जिलों में 3 साल में 26% मस्जिद-मदरसे बढ़े, SSB ने किया अलर्ट

लखनऊ। नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के सात जिलों में आश्चर्यजनक तरीके से मस्जिद और मदरसों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसको लेकर सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने आगाह किया है। 15 किलोमीटर के दायरे में बढ़ी यह संख्या डेमोग्राफी में बदलाव के भी संकेत करती है। अधिकारियों के अनुसार साल 2018 में 738 मस्जिद थे जो 2021 में बढ़कर 1000 हो गए। इसी तरह मदरसे 500 से बढ़ कर 645 हो गए।

नेपाल के साथ भारत 1 हजार 751 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के इलाके इस सीमा से सटे हैं। नेपाल के साथ उत्तर प्रदेश की 570 किलोमीटर सीमा लगती है। इस क्षेत्र में 30 बॉर्डर पुलिस स्टेशन भी हैं। मस्जिद, मदरसों की संख्या यूपी के सात सीमावर्ती जिलों में बढ़े हैं। ये जिले हैं- महारजगंज, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, पीलीभीत और खीरी।

SSB के अधिकारियों के मुताबिक, बीते तीन सालों में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में करीब 26 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है, जिससे सीमावर्ती इलाकों में डेमोग्राफिक बदलाव के संकेत मिलते हैं। यूपी-नेपाल बॉर्डर पर नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी भी बढ़ी है। भारत के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ समय में न सिर्फ पाकिस्तान ने नेपाल में सुरक्षित आतंकी ठिकाने बनाने शुरू कर दिए हैं, बल्कि चीन भी अब इस छोटे हिमालयी देश में काफी रुचि ले रहा है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में खबर आई थी कि भारत और नेपाल की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पिछले 20 सालों में मदरसों की संख्या में 4 गुना बढ़ोतरी हुई। अधिकतर मदरसे भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में खुले हैं। उस समय सिद्धार्थनगर जिले में 597 मदरसे चल रहे थे, जिनमें 452 रजिस्टर्ड थे तो 145 मदरसों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। वर्ष 1990 तक जिले में कुल 16 मान्यता प्राप्त मदरसे थे। वर्ष 2000 में इन मदरसों की संख्या बढ़कर 147 हो गई, जिनमें मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 45 थी। इससे पहले नेपाल से लगे जिलों में मुस्लिम आबादी की संख्या में 2.5 गुना की बढ़ोतरी की खबर सामने आई थी।

नेपाल से लगे जिलों में 2.5 गुना बढ़े मुस्लिम

इससे पहले उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में डेमोग्राफी बदलाव को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई थी। मुस्लिम आबादी में 2.5 गुना वृद्धि की बात कही गई थी। गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट में कुमाऊँ के तीन क्षेत्रों को संवेदनशील करार दिया गया था। ये क्षेत्र ऊधमसिंह नगर, चम्पावत व पिथौरगढ़ हैं। इनमें पिथौरगढ़ के दो कस्बे धारचूला व जौलजीवी को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया था। उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों के अलावा उत्तर प्रदेश में भी कई क्षेत्रों को लेकर अलर्ट जारी हुआ था। इसका कारण था कि पिछले 2 साल के अंदर बहराइच, बस्ती व गोरखपुर मंडल से लगी नेपाल सीमा पर वहाँ 400 से अधिक मजहबी शिक्षण संस्थान और मजहबी स्थल खुले, जिसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में दी थी।

‘मुस्लिम पट्टी’ बनाने की साजिश

उत्तर भारत में एक ‘मुस्लिम पट्टी (Muslim Belt)’ बनाने की साजिश चल रही है। इस पट्टी में पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के इलाके होंगे जो पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़ा होगा। यह दावा पिछले साल ‘दैनिक जागरण में प्रकाशित एक लेख में किया गया था। इसमें बताया गया था कि उत्तर भारत में मुस्लिम षड्यंत्रकारियों ने जिस मुस्लिम गलियारे को तैयार करने की साजिश रची है, वो बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा होते हुए पाकिस्तान से मिलेगा। इस गलियारे में मुस्लिमों को बड़ी संख्या में बसाने का काम शुरू किया जा रहा है और असम में घुसपैठियों के खिलाफ हुए आंदोलन के बाद वहाँ के कई मुस्लिमों को भी इधर ही बसाया गया है।