26 मार्च को ओटीटी प्लेटफार्म हंगामा और वीआई मूवीज पर रिलीज होगी ‘द प्रोटोकॉल’
कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया के सामने एक बात साफ कर दी है कि किसी भी तरह के दुश्मन से लड़ने के लिए देशों को संगठित, व्यवस्थित और ताकतवार होना जरूरी है। आज पूरी दुनिया में तेजी से बहुत सारे बदलाव हो रहे हैं। खासकर रूस-यूक्रेन वार ने विश्वयुद्ध जैसा माहौल बना दिया है। जहां पर पूरा विश्व पोलराइज हो रहा है। ऐसे में भारत और उसके पड़ोसी देशों के सामने भी खुद को सुरक्षित और प्रासंगिक बनाए रखने की चुनौती है। साफ शब्दों में कहा जाए तो महाशक्तियों के इस दौर में पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों के लिए किसी युद्ध का सामना कर पाना आसान नहीं है। सवाल ये है कि इन देशों को अपनी सुरक्षा के लिए ऐसा क्या करना चाहिए कि कोई ‘दुश्मन’ उनकी तरफ आंख उठाकर न देख सके? इसी मुश्किल सवाल का हल सुझाती है नलिन सिंह की नई फिल्म ‘द प्रोटोकॉल’ ।
‘द प्रोटोकॉल’ के जरिये एक्टर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर नलिन सिंह ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण विषयवस्तु को पर्दे पर उतारा है। 25 मिनट की यह शॉर्ट पीरियड फिल्म गांधी और हिटलर की दो ध्रुवीय विचारधाराओं के टकराव को बेहद संजीदगी और ईमानदारी से पर्दे पर पेश करती है। साथ ही मौजूदा वक्त की जरूरत को देखते हुए ‘अखंड भारत’ की परिकल्पना को भी साकार करने का आाह्वान करती है। नलिन सिंह बताते हैं “यह फिल्म दुनिया भर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करने की एक कोशिश है, जिससे अखंड भारत के सपने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। तमाम समुदायों, जातियों और धर्मों के साथ-साथ संस्कृतियों की विभिन्नताओं के बावजूद भारत ने लोकतंत्र को सफलता पूर्वक अपनाकर दुनिया को ये दिखा दिया है कि वो ‘अखंड भारत’ का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। इसलिए अब अखंड भारत से एक इंच भी कम पर सोचना बेकार है।
‘द प्रोटोकॉल’ का निर्माण एनआरएआई प्रोडक्शन ने किया है। 26 मार्च को ओटीटी प्लेटफार्म हंगामा डॉट कॉम और वीआई मूवीज पर ‘द प्रोटोकॉल’ के साथ इसी प्रोडक्शन की तीन अन्य शॉर्ट फिल्में ए स्क्वॉयड, रम विद कोला और कॉलिंग चड्ढा भी रिलीज हो रही हैं। अप्रैल के पहले हफ्ते में ये फिल्में एमएक्स प्लेयर पर भी आ जाएंगी। इससे पहले नलिन सिंह ने माई वर्जिन डायरी, इन्द्रधनुष, गांधी टू हिटलर और ए नाइट बिफोर द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी मशहूर फिल्में बनाई हैं, जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया है और समीक्षकों ने भी खूब सराहा है।
विशेषकर भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई ‘द प्रोटोकॉल’ की कहानी दो मुख्य पात्रों, महात्मा गांधी और हिटलर के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में गांधी और हिटलर के वैचारिक मतभेद को चित्रित किया गया है। निर्देशक नलिन सिंह ने दोनों पात्रों के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है। एक तरफ गांधी हैं, जो लोगों के मन को बदलने और अहिंसा में यकीन रखते हैं, तो दूसरी तरफ हिटलर है, जो लोगों की जान लेने और हिंसा में विश्वास करता है। यह फिल्म महात्मा गांधी की सोच और अहिंसा की ताकत को भी सामने रखती है, जहां भारत की स्वतंत्रता के बाद गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना गया और दुनिया में उनकी अहिंसा की थ्योरी को खुले दिल से आत्मसात किया। ‘द प्रोटोकॉल’ में आकाश डे ने हिटलर और प्रिय रंजन त्रिवेदी ने गांधी का किरदार निभाया है। अगस्त्य अरुणाचल हिटलर के मेजर जनरल की भूमिका में दिखेंगे। ईवा ब्राउन के रोल में पूनम झा नजर आएंगी।
फिल्म के मकसद और सामाजिक संदेश पर चर्चा करते हुए नलिन सिंह कहते हैं, “आज श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे मुल्क किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक मजबूती का मुद्दा सबसे अहम है। ऐसे में जरूरी है कि ‘अखंड भारत’ की तर्ज पर कोई ऐसा संगठन बनाया जाए, जहां उसमें शामिल देशों की अपनी अलग पहचान भी कायम रहे। जैसे भारत में राज्यों की अपनी पहचान है, उनकी चुनी हुई सरकारें हैं, लेकिन सब केंद्र के नेतृत्व में काम करती हैं। उसी तरह ‘अखंड भारत’ में एक छत्र के नीचे अगर ये सभी देश आ जाएं, तो एक बड़ी ताकत का निर्माण हो सकता है। और तब अगर कोई भी हम पर अटैक करता है या फिर कोरोना महामारी जैसी कोई चुनौती पेश आती है तो सब मिलकर आसानी से उसका मुकाबला कर सकते हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि अखंड भारत की ये परिकल्पना ताकत और जोर-जबरदस्ती के बल पर नहीं, बल्कि सभी पड़ोसी देशों की समझ-बूझ और साझेदारी से सच हो सकती है।”