’17 देशों में रोड शो, 10 लाख करोड़ निवेश लाने का टारगेट,’ योगी की टीम ने बनाया नया मास्टर प्लान

लखनऊ। बिजनेस में खुद को अव्वल साबित कर चुके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब नए टारगेट की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं. सीएम योगी 10 लाख करोड़ रुपए का निवेश लाने की मुहिम में जुट गए हैं. इसके लिए योगी सरकार अगले वर्ष ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट की शुरुआत करेंगे. तीन दिन होने वाले इस समिट में देश और विदेश के बड़े औद्योगिक घरानों के मुखिया हिस्सा लेंगे.

इन देशों में रोड शो की तैयारी

बताया जा रहा है कि विदेश में होने वाले रोड शो की शुरुआत दुबई से की जाएगी. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम (यूके), नीदरलैंड्स, जर्मनी, फ्रांस, जापान, सिंगापुर, साउथ कोरिया, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रेलिया, यूएई, अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड, बेल्जियम, स्वीडन और रूस में भी रोड शो का आयोजन किया जाएगा.

यूपी में निवेश के फायदे बताएंगे अफसर

इन रोड शो का मकसद उद्यमियों को प्रदेश की नीतियों को जानकारी देना और यहां निवेश के लिए असीम संभावनाओं के बारे में बताना होगा. रोड शो की तैयारियों के लिए इंडस्ट्री विभाग के अधिकारी लगातार ऐसे विदेशी उद्यमियों के संपर्क में हैं, जो प्रदेश में निवेश के इच्छुक हैं.

दिल्ली समेत इन शहरों में भी रोडशो कराए जाएंगे

विदेश के अलावा, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली में भी रोड शो आयोजित किए जाएंगे. यूपी के मुख्य सचिव ने बीते दिनों इन रोड शो के आयोजन की समीक्षा की और इस प्रोग्राम को मंजूरी दे दी है.

27 पॉलिसी में बदलाव की तैयारी

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले साल होने वाले ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश लाने का लक्ष्य रखा है. बता दें कि यूपी में 2018 में हुए इंवेस्टर्स समिट में 4.60 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए थे. अब 10 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश यूपी में लाने के लिए 27  पॉलिसी में भी कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं.

हर देश की भाषा में नीतियों का अनुवाद होगा

प्रदेश सरकार औद्योगिक नीति लाने के साथ ही नई जैव और ऊर्जा नीति भी ला रही है. इसके अलावा यूपी की औद्योगिक नीति समेत 27 सेक्टोरल नीतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराने का फैसला भी किया गया है, ताकि विदेश में रोड शो के दौरान ही वहां के निवेशकों को उनकी भाषा में नीतियों की प्रतियां उपलब्ध कराई जा सकें. पहले चरण में जर्मन, फ्रेंच, जापानी, अंग्रेजी आदि भाषाओं में इन नीतियों के अनुवाद की तैयारी की गई है.