चुनाव आयोग पड़ताल करेगा, J&K में तत्काल आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं

नई दिल्ली। चुनाव आयोग इस बात का अध्ययन करेगा कि क्या जम्मू कश्मीर में नए सिरे से चुनावों की घोषणा होने से पहले ही वहां आदर्श आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं. बुधवार को राज्यपाल द्वारा राज्य विधानसभा भंग किये जाने के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही.

चुनाव आयोग ने हाल ही में फैसला किया था कि जिन राज्यों में समय पूर्व विधानसभाओं को भंग कर दिया जाता है, वहां आचार संहिता तत्काल प्रभाव में आएगी. अन्यथा कार्यवाहक सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी को नीतिगत फैसले लेने से प्रतिबंधित करने वाली आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें घोषित करने के दिन से लागू होती है.

तेलंगाना पहला राज्य है जहां विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले आदर्श आचार संहिता लागू की गई. उन्होंने कहा,‘तेलंगाना में आचार संहिता लागू की गई जहां निर्वाचित सरकार ने विधानसभा को भंग कर दिया. यहां (जम्मू कश्मीर में) स्थिति अलग है. यहां विधानसभा मजबूरी के चलते भंग की गयी हो सकती है. यहां कोई सरकार नहीं थी. हम आने वाले दिनों में इस बात का अध्ययन करेंगे कि जम्मू कश्मीर में भी आचार संहिता लागू की जा सकती है या नहीं.’

राज्यपाल ने भंग की जम्मू-कश्मीर विधानसभा
बता दें जम्मू कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया और साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है.

इससे कुछ ही समय जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था. मुफ्ती ने बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं.

उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था. लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है.

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *