1. फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर कार्यरत क्षेत्रीय प्रबंधक सुभाष पांडे के नेतृत्व में करोड़ों का अनाज घोटाला
2. भंडारण निगम के गोदामों में बोरों की कमी पाए जाने पर आर्थिक लागत से दुगनी दर पर कटौतियां की जाएगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम इलेवन की कार्यशैली की पूरी दुनिया मे सराहना हुई वही प्रदेश में कई विभाग ऐसे भी हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान बनाने के लिए अपनी अपनी टीमें बनाकर सुनियोजित तरीके से करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम देने के लिए खेल खेला जा रहा है। जिस तरह टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज श्रीकांत ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लिए जाने जाते है ठीक उसी तरह से उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक श्रीकांत गोस्वामी भ्रष्टाचार के मैदान में अपनी बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते है, विभाग कोई भी रहा हो उनकी योग्य बल्लेबाज़ी के भरष्टाचार के स्कोर ने सबको पीछे छोड़ दिया है। बल्लेबाज श्रीकांत की तरह लक्ष्य निर्धारित करके बल्लेबाज़ी करने मैदान में उतरते है और वर्ष 2022 में 50 करोड़ घोटाले का लक्ष्य पाने के लिए भंडारण निगम के जिन दो सलामी बल्लेबाजों का चयन किया गया है उन्होंने परिणाम देना शुरू कर दिया है। खास बात यह है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सुभाष पांडे फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर मिली नौकरी को ताक पर रखकर फ्री हिटिंग करने में माहिर है क्योंकि फर्जी मार्कशीट और डिग्री के चलते नौकरी से क्लीन बोल्ड होना ही है इसलिए बिना किसी खौफ़ के बल्लेबाज़ी कर रहे हैं।
सीतापुर के मैदान में प्रबंध निदेशक द्वारा खेल की शुरुआत में ही प्रदेश सरकार को लगभग 6 करोड़ का पहला स्कोर खड़ा किया है जिसकी भरपाई भी नही संभव है, श्रीकांत गोस्वामी ने सरकारी राजस्व को पहला बाउंसर दिया है और दिखाने के लिए अपने ही क्षेत्ररक्षकों पर संगीन धाराओं में मुक़दमा (FIR No. 0423, PS Ramkot, Sitapur) दर्ज करा दिया लेकिन कार्यवाही के नाम पर एक भी विकेट नही गिरा, पूरी टीम सुरक्षित लेकर लखनऊ।मंडल की कमान फर्जी डिग्री धारक सुभाष चंद्र पांडे के हाथों में सौप दी, सुभाष चंद्र पांडे ने मैदान में आते ही पिहानी गोदाम।मे लगभग 3 से 4 करोड़ का लक्ष्य पूरा करने की प्रारंभिक शॉट लगा दी है, टीम गोस्वामी के स्टार बल्लेबाज सुभाष चंद्र पांडे कहीं फर्जी डिग्री की जांच में क्लीन बोल्ड न हो जाये इसलिए अपने विश्वस्नीय खिलाड़ी संजीव राय को फर्जी डिग्री प्रकरण मे जांच अधिकारी नियुक्त करके जांच को 50 करोड़ के लक्ष्य प्राप्ति तक लंबित करने का खेला बना लिया है।
क्षेत्रीय प्रबंधक सुभाष पांडे द्वारा हिंदुस्तान के शिक्षा जगत में एक नया अध्याय लिखने का रिकॉर्ड बनाया है , उनके द्वारा लखनऊ से 1400 किलोमीटर दूर सिक्किम प्रदेश से एमएससी की डिग्री विभाग में बिना किसी अवकाश लिए घर बैठे ही प्राप्त की गई है जबकि वर्ष 2018 में उनके इस फर्जीवाड़े के लिये तत्कालीन प्रबंध निदेशक आलोक सिंह द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था लेकिन शासन प्रशासन में अपने जुगाड़ तंत्र से मामले।को दबा दिया गया।
यूजीसी द्वारा लिखित रूप में स्पष्ट किया गया है कि जिस यूनिवर्सिटी से सुभाष चंद्र पांडे ने अपनी शैक्षिक योग्यता दिखाई है उसको हज़ारों फर्जी डिग्री बाटने के कारण वर्ष 2015 में बंद कर दिया गया था और ऐसी किसी भी पाठ्यक्रम के लिए यूनिवर्सिटी अधिकृत नही थी लेकिन फर्जी डिग्री के आधार पर सुभाष पांडे द्वारा जो भ्रष्टाचार का जाल फैलाया है उसको देखते हुए प्रबंध निदेशक द्वारा उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में हमेशा आगे रखा गया है । प्रबंध निदेशक की टीम के दूसरे खिलाड़ी प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे संजीव राय का कार्यकाल भंडारण निगम में दिनांक 30.07.2021 को समाप्त हो चुका है परंतु 50 करोड़ के घोटाले के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस खिलाड़ी की आवश्यकता को महसूस करते हुए श्रीकांत गोस्वामी द्वारा अभी तक अपने खेल में महत्वूवर्ण खिलाड़ी के रूप में शामिल कर रखा है जबकि शासन के पत्र दिनांक 30.09.2020 द्वारा संजीव राय की प्रतिनियुक्ति इस प्रतिबंध के साथ बढ़ाई गई थी कि उक्त अवधि के पश्चात प्रतिनियुक्ति किसी भी दशा में नही बढ़ाई जाएगी।
संजीव राय और सुभाष पांडे की जोड़ी के कारनामों, किस्से और शिकायतें सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव बी एल मीणा और मंत्री द्वारा लगातार व्हाट्सप्प पर देखे, सुने और पढ़े जा रहे हैं लेकिन इस खेल में रेफरी और कोच की भूमिका में उनकी मौन स्वीकृत कहीं न कही प्रबंध निदेशक द्वारा 50 करोड़ के घोटाले के लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग करते हुए दिखाई देती है।
भारतीय खाद्य निगम के उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम के 150 से अधिक भंडारण गोदामों में लगभग 50 गोदामों में जिस तरह अनियमितता का खेल चल रहा है उसके भौतिक सत्यापन में 50 करोड़ से अधिक धनराशि का खाद्यान्न घोटाला सामने आएगा।
राज्य भंडारण निगम के विभिन्न मंडलों (लखनऊ, कानपुर, झांसी, बरेली, मुरादाबाद, अयोध्या) के कई गोदामों पर भारतीय खाद्य निगम द्वारा विशेष जांच कराए जाने के आदेश जारी किया गया है जिसमें न सिर्फ भारी मात्रा में खाद्यान्न भंडारण मे शॉर्टेज मिलेगी बल्कि भंडार संचालन में शिथिलता, लापरवाही एवं चट्टाबाल लेखांकन में व्याप्त अनियमितता एवं डिपो प्रभारी की संभावित लापरवाही भी प्रमाणित होगी। जिलाधिकारी द्वारा कांटे की जांच कराए जाने पर खाद्यान्न बोरियो का औसत वजन कम पाया जा रहा है और भारतीय खाद्य निगम के उच्च अधिकारी द्वारा बताया गया है कि भंडारण निगम के गोदामों में बोरों की कमी पाए जाने पर आर्थिक लागत से दुगनी दर पर कटौतियां की जाएगी जो उपरोक्त लक्ष्य को।प्राप्त करने में दुगनी रफ्तार प्रदान करेगी ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के कथन को नज़रंदाज़ करते हुए राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक श्रीकांत गोस्वामी का खेल अपने लक्ष्य को पाने में कितना सफल होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन एक बात तो तय है कि सरकारी धनराशि से अब तक लगभग 8 करोड़ का संभावित घोटाला सामने आ रहा है और खेल ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब होंगे और 50 करोड़ का घोटाला सामने आएगा।
राज्य भंडारण निगम की कार्यशैली से मुफ़्त अनाज वितरण पर लगा सवालिया निशान
राज्य भंडारण निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता से उत्तर प्रदेश में गरीबों को दिए जा रहे हैं मुफ्त अनाज की योजना पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है क्योंकि राज्य भंडारण निगम के गोदामों से अनाज का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों में किया जाता है और अनेक कल्याणकारी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याणकारी योजना, अंत्योदय अन्न योजना और मध्यहां भोजन योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी विभिन शासकीय योजनाओं का संचालन किया जाता है, परंतु गरीबों को वितरित होने वाले खाद्यान्न को राज्य भंडारण निगम ने अपनी लूट खसोट के चलते गरीबों के पेट पर डाका डालकर, उनके मुँह का निवाला छीनकर केवल अपने ही विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जेबें भरने का काम करने के साथ ही मोदी और योगी सरकार की छवि को धूमिल करने का भी प्रयास किया गया है।
गरीबों को निर्गत किए जाने वाले खाद्यान्न भी बोरों में कम करके भरा जा रहा है जो भारतीय खाद्य निगम के प्रबंधक द्वारा क्षेत्रीय प्रबंधक को प्रेषित पत्र दिनांक 30 नवंबर 2021 से प्रमाणित होता है जिसमें कहा गया है कि जानबूझकर खाद्यान्न वजन कम करके बोरे में भरा जा रहे हैं एवं कम औसत के बोरे बनाए जा रहे हैं जिससे असामान्य हानि होना संभावित है और इन अनियमितताओं को गंभीरता से लेकर भंडारण हानि ना मानकर फूल बैग शॉर्टेज में दर्ज किया जाएगा। भारतीय खाद्य निगम की रिपोर्ट में गोदामों में हो रहे अवरोध, अनियमितताएं के संबंध में शिकायती पत्र में स्पष्ट रूप से राज्य भंडारण निगम की छवि धूमिल किए जाने का उल्लेख भी किया है, सिर्फ बात वजन की नही अनाज की गुणवत्ता भी मानक के अनुरूप नही है।
उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम लिमिटेड के जिला प्रबंधक के पत्र दिनांक 28 सितंबर 2021 का इस संबंध में लिखा पत्र प्रदेश सरकार के मंत्रियों और नौकरशाह के लिए अत्यंत शर्मनाक होगा, जिस चावल को गरीबों में वितरण कराया जाना था वो बटोरन का चावल बताया गया और मात्र 20-20 किलो की बोरियों में भरा जा रहा ये चावल का रंग ही पीला बताया गया है। भंडारण निगम मुख्यालय में वरिष्ठ पद पर कार्यरत सूत्रों से मिली जानकारी इस बात को प्रमाणित करती है कि खाद्यान्न घोटाले की घटतौली और अनाज की बर्बादी का मुख्य कारण निगम मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा प्रतिमाह धन वसूली का बड़ा लक्ष्य गोदाम प्रभारियों को दिया जाना है। प्रबंध निदेशक द्वारा प्रति माह की जाने वाली धनराशि न दिए जाने पर विभिन्न गोदाम।के प्रभारियों को पदमुक्त कर नए प्रभारियों के अधीन कर दिया गया है और कुछ प्रभारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गई है।
डॉ मोहम्मद कामरान
स्वतंत्र पत्रकार