नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जारी बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. राम मंदिर के समर्थन में नेताओं से लेकर संत समाज तक के बयान सामने के बाद गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 25 नवंबर को अयोध्या में धर्मसभा के आयोजन की घोषणा कर दी है. विहिप ने इसे राम मंदिर निर्माण के लिए अंतिम धर्मसभा बताया है. विहिप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए यह धर्मसभा अंतिम संदेश है.
विहिप के अवध प्रांत के संगठन मंत्री भोलेन्द ने बयान में लोगों से आह्वान किया कि वे सभी 25 नवंबर को अयोध्या पहुंचें. इस दिन अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने के लिए अंतिम धर्मसभा हो रही है. इसके बाद धर्मसभा नहीं होगी, मंदिर निर्माण होगा. विहिप के संगठन मंत्री ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह धर्मसभा श्रीराम के विरोधियों को, जनेऊ पहन हिंदू बनकर मान सरोवर की यात्रा करने वालों और रामनामी दुपट्टा ओढ़कर राम मंदिर का विरोध करने वालों को भी अंतिम संदेश है.
संगठन मंत्री ने कहा कि इस धर्मसभा को बाद कोई धर्मसभा नहीं होगी, बल्कि मंदिर निर्माण होगा. उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में इस धर्मसभा में पहुंचने के लिए जनजागरण यात्रा निकाली जाएगी. गौरतलब है कि राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विधेयक लाने की बात कही थी. इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी राम मंदिर निर्माण की जोर-शोर से वकालत की थी.
इस मामले पर हर नेता अपने-अपने दावे कर रहे हैं. इससे पहले बीजेपी के विधायक सुरेंद्र सिंह ने भी राम मंदिर निर्माण को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि संविधान से बड़ा भगवान होता है. भगवान राम का मंदिर जरूर बनना चाहिए. सिंह ने राम मंदिर मुद्दे पर बोलते हुए कहा ‘मोदी जी जैसा महान प्रधानमंत्री हो, वो भी हिंदुवादी और योगी जी जैसा महान हिंदुवादी नेता मुख्यमंत्री हो, उस समय भी भगवान राम टेंट में रहें इससे बड़ा दुर्भाग्य भारत और हिंदु समाज के लिए नहीं होने वाला. ऐसी परिस्थिति बनाई जानी चाहिए कि राम मंदिर अयोध्या में बने.’
सुरेंद्र सिंह ने कहा था, ‘विधायक होते हुए भी हम स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि भगवान संविधान से परे की चीज हैं, आस्था की चीज हैं. उस पर तनिक भी विलंब नहीं होना चाहिए, भगवान राम का मंदिर बनना चाहिए.’