नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तस्वीर धीरे-धीरे साफ होती दिख रही है. राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए एक के बाद एक राज्य प्रस्ताव पास कर रहे हैं, लेकिन राहुल अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के दो दिग्गज नेता पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनावी ताल ठोक सकते हैं. सोनिया गांधी से मुलाकात कर शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें चुनौती देने का मन बना लिया है. इस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव बेहद रोमांचक हो सकता है तो दो दशक बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिल सकता है.
पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विदेश जाने से पहले अशोक गहलोत से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया था. अशोक गहलोत उस समय तो खामोश थे, लेकिन शशि थरूर के चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करने के बाद हामी भर दी है. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गहलोत और शशि थरूर आमने-सामने होंगे. गहलोत को गांधी परिवार का करीबी नेता माना जाता है तो शशि थरूर जी-23 में शामिल रहे हैं. इस तरह थरूर बनाम गहलोत नहीं बल्कि जी-23 बनाम गांधी परिवार के करीबी का मुकाबला भी देखा जा रहा है.
शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं. थरूर कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट जी-23 में शामिल हैं. जी-23 गुट ने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने और अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने की मांग की थी. इस गुट के प्रमुख चेहरे गुलाम नबी आजाद पार्टी छोड़ चुके हैं तो जितिन प्रसाद और कपिल सिब्बल भी दूसरी पार्टियों का दामन थाम चुके हैं.
वहीं, शशि थरूर ने पिछले महीने एक पत्रिका में लेख लिखकर कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए. साथ ही यह भी कहा था कि कांग्रेस में फैसला लेने वाली सर्वोच्च कमेटी सीडब्ल्यूसी में भी एक दर्जन पदों के लिए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए. इससे पहले भी थरूर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मांग करते रहे हैं.
वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के जमीनी और गांधी परिवार के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. उनके पास लंबा सियासी अनुभव है. यूथ कांग्रेस से लेकर वह कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) पद रहने के साथ ही तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और कई बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अशोक गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी के साथ काम किया है. इस तरह गहलोत को गांधी परिवार के वफादार नेताओं में गिना जाता है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है और 30 सितंबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल गहलोत बनाम थरूर के बीच मुकाबला माना जा रहा. ऐसे में सोनिया गांधी भले ही चुनाव में पूरी तरह से तटस्थ रहने की बात कर रहे हों, लेकिन गहलोत के साथ उनके करीबी रिश्ते जगजाहिर हैं. शशि थरूर भले ही केरल से सांसद हों, लेकिन राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत की तरह नजदीकी रिश्ते नहीं है. इस तरह से गहलोत के सामने थरूर कितना मुकाबला कर पाएंगे यह बड़ी चुनौती होगी?
बता दें कि पिछले तीन दशक में तीसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने जा रहा है. नरसिम्हा राव के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद 1996 में चुनाव हुए. सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था, जिन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी. सीताराम केसरी 6224 वोट हासिल कर अध्यक्ष बने थे जबकि शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव साल 2001 में हुए, जिसमें सोनिया गांधी चुनावी मैदान में उतरीं थीं, जिनके खिलाफ जितेंद्र प्रसाद मैदान में थे. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए बकायदा मतदान हुआ था, जिसमें सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत ही प्राप्त हुए थे. अब दो दशक के बाद एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहे हैं, जिसमें गहलोत और थरूर आमने-सामने हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के कुल 9,100 मतदाता हिस्सा लेंगे. गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले अशोक गहलोत के सामने जी-23 में शामिल रहे शशि थरूर कैसी चुनौती खड़ी कर पाएंगे? कांग्रेस के अंदर अभी भी गांधी परिवार की पकड़ काफी मजबूत है, जिसका नतीजा है कि देश के आठ राज्य की कांग्रेस इकाई ने प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग की है. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सबसे ज्यादा वोटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र और तमिलनाडू में पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ है.
वहीं, जी-23 के कई नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं या फिर सियासी हाशिए पर हैं. गुलाम नबी आजाद ने अपनी पार्टी बना ली है तो कपिल सिब्बल से लेकर जितिन प्रसाद पार्टी को अलविदा कर चुके हैं. इसके अलावा जी-23 के आनंद शर्मा, संदीप दीक्षित और मनीष तिवारी सियासी तौर ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि सियासी खेल कर सकें. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में गहलोत के सामने किस तरह से शशि थरूर टक्कर दे पाएंगे?