महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवराज सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट महाकाल कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद महाकाल मंदिर पहले से कहीं अधिक अधिक भव्य दिखाई दे रहा है। महाकाल कॉरिडोर शुरू होने के बाद यहाँ दर्शनार्थियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 11 अक्टूबर को इस कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे।
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक उज्जैन में इस कॉरिडोर के बनने के बाद महाकाल मंदिर परिसर दस गुना अधिक बड़ा हो गया है। पहले यह सिर्फ 2 हेक्टेयर में फैला हुआ था लेकिन अब यह 20 हेक्टेयर में फैल चुका है। उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 5 एकड़ में बना हुआ है, यानी महाकाल कॉरिडोर उससे 4 गुना अधिक बड़ा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार (19 सितंबर, 2022) को बताया कि इस महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए बताया था, “आज हमने जो काम देखा है, उस से मैं संतुष्ट हूँ। 11 अक्टूबर को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल महाराज की नगरी पधारेंगे और प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण करेंगे। हम आज से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर रहे हैं।”
भारत की संस्कृति एवं जीवनमूल्य एवम परम्पराओं का दुनिया भर में प्रचार-प्रसार हो रहा है।
मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ध्वजा पताका लेकर चल रहे हैं, उन्हीं से प्रार्थना की है कि वह महाकाल महाराज के परिसर के प्रथम चरण का लोकार्पण करें। pic.twitter.com/5EBrgOSDdV
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 19, 2022
बता दें कि महाकाल कॉरिडोर का निर्माण पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे हुआ है। ऐसी मान्यता है कि रुद्रसरोवर के दर्शन मात्र से 7 जन्मों की चिंताएँ दूर हो जातीं हैं। इस परिसर को शिव, शक्ति समेत अन्य धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी करीब 200 मूर्तियों और भित्ति चित्र (म्यूरल्स) के माध्यम से सजाया गया है।
महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की कुल लागत 793 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण के कामों को फाइनल टच दिया जा चुका है। पहले चरण में महाकाल पथ, महाकाल वाटिका, रुद्रसागर तालाब के किनारे का डेवलपमेंट समेत मुख्य द्वार, नाइट पार्क व अन्य विस्तार शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट महाकाल मंदिर की तस्वीर की पूरी तरह बदल देगा। इस प्रोजेक्ट के दर्शनार्थियों को दो लाभ होने वाले हैं – पहला यह कि दर्शन बेहद आसान होंगे और दूसरा, दर्शन के साथ ही धार्मिक पर्यटन भी किया जा सकता है।