नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव नजदीक हैं और उम्मीदवारों को लेकर चर्चाएं तेज हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री साफ कर रहे हैं कि पार्टी का नया प्रमुख चाहे कोई भी बन जाए, वह भी गांधी परिवार की अगुवाई में ही काम करेगा। खास बात है कि कांग्रेस से विदा ले चुके दिग्गज भी इशारों-इशारों में कहते रहे हैं कि पार्टी में अध्यक्ष के चुने जाने पर भी कमान गांधी परिवार के हाथों में ही रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘नेहरू-गांधी परिवार हमारा नेता रहेगा। जो भी पार्टी अध्यक्ष बनेगा, वह उनके नेतृत्व में काम करेगा…। हमारी प्राथमिकता यह देखना है कि देश की स्थिति कैसे बेहतर होगी। हम देश को बंटने या संविधान को कमजोर नहीं होने देंगे।’
पहले भाजपा की बात
भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर सवाल उठाती रही है। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा था, ‘अशोक गहलोत कहते हैं कि अगर मैं पार्टी अध्यक्ष बना तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (राजस्थान के लिए) आगे की चीजें तय करेंगी। वह किस क्षमता से ऐसा करेंगी? वह पूर्व अध्यक्ष बन जाएंगी! क्या कांग्रेस को विधायकों को यह तय नहीं करना चाहिए? तो गांधी परिवार के हाथ में रिमोट कंट्रोल होगा! फर्जी चुनाव क्यों फिर?’
कांग्रेस को लेकर पूनावाला के जुबानी हमले रुके नहीं। उन्होंने पूछा, ‘सर आपके अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी क्यों और कैसे तय करेंगी? क्या वह स्थाई अध्यक्ष हैं और आप रिमोट कंट्रोल अध्यक्ष बनेंगे?’
कांग्रेस के दिग्गज भी उठा चुके सवाल
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सवाल किया गया था, तो उन्होंने जवाब दिया था, ‘पार्टी छोड़े करीब एक साल हो गया, तो मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।’ हालांकि, बाद में उन्होंने कहा, ‘आपको वाकई लगता है कि कोई चुनाव होने वाले हैं? क्या कभी हुए हैं? देशभर से पहले ही प्रस्ताव आने शुरू हो गए हैं या लाए जा रहे हैं कि उन्हें या इन्हें अध्यक्ष होना चाहिए।’
गुलाम नबी आजाद क्या बोले
अगस्त के अंत में कांग्रेस से करीब 5 दशकों बाद अलग होने वाले गुलाम नबी आजाद नई पार्टी के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। वह अपने इस्तीफे समेत कई बार राहुल गांधी पर निशाना साध चुके हैं। अगस्त में ही जब उनसे पूछा गया कि क्या राहुल को ही पार्टी का अध्यक्ष होना चाहिए या नहीं? उन्होंने जवाब दिया, ‘अगर वह नहीं बनते हैं, तो जो भी बनेगा उसे उनका गुलाम बनना पड़ेगा और उनकी फाइलें उठानी होंगी। उनसे पूछिए कि वह पार्टी के लिए कितना समय देते हैं? उनके पास पार्टी के लिए समय नहीं है और मेरी टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं? हम जब उनकी उम्र के तो 20 घंटे से ज्यादा समय दिया करते थे।’
खबर है कि शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर और पूर्व सीएम सिंह पर्चा दाखिल कर सकते हैं। इनके अलावा वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन कुमार बंसल का नाम भी चर्चा में है। इससे पहले भी मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, केसी वेणूगोपाल जैसे नामों को लेकर खबरें आ चुकी हैं।