आसान नहीं अध्यक्षी का काम, कांग्रेस को कितनी ताकत दे पाएंगे 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे!

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन का आज आखिरी दिन था। शशि थरूर और कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पद के चुनाव के लिए नामांकन भर दिया है। शशि थरूर तो बागी जी-23 के नेता माने जाते हैं, जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है। ऐसे में खड़गे की जीत तय मानी जा रही है। यह भी हो सकता है कि शशि थरूर आखिरी वक्त तक नामांकन ही वापस ले लें और वह सहमति से अध्यक्ष बन जाएं। हालांकि एक सवाल यह भी है कि 80 साल से ज्यादा उम्र के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस को कितनी ताकत दे पाएंगे, जो फिलहाल नेतृत्व की कमी से जूझ रही है।

मौजूदा कांग्रेस सोनिया गांधी की तबीयत थोड़ा खराब रहती है और वह पार्टी को उतना समय नहीं दे पातीं, जितना जरूरी है। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे की सेहत भी चिंता का विषय हो सकती है। एक तरफ उनकी उम्र 80 की है तो वहीं वह घुटने की सर्जरी भी करा चुके हैं। उसके बाद से ही उन्हें सीढ़ियां पकड़ के चढ़ना पड़ता है या फिर सहारे की जरूरत होती है। कांग्रेस में असंतोष रखने वाले जी-23 नेताओं की ओर से हमेशा फुल टाइम अध्यक्ष की मांग उठती रही है। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे कितने उत्साह के साथ पार्टी को कितना वक्त दे सकेंगे, यह भी सोचने की बात है।

भाजपा की लीडरशिप से कैसे कर पाएंगे मुकाबला

कांग्रेस को यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि उसका मुकाबला भाजपा की उस लीडरशिप से है, जहां पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे नेता 18-18 घंटे काम करते हैं। बीपी और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से भी मल्लिकार्जुन खड़गे जूझ रहे हैं। हालांकि उन्हें डायबिटीज या हार्ट संबंधी गंभीर बीमारियां नहीं हैं। वह संसद से लेकर सड़क तक आगे दिखते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए देश भर में यात्राएं करना और बिजी शेड्यूल में काम करना कोई आसान काम नहीं है।

खड़गे में हैं कुछ खूबियां, जिनकी वजह से मिला गांधी परिवार का भरोसा

खड़गे की ताकत यह है कि वह जमीन से जुड़े नेता रहे हैं। छात्र जीवन से ही कांग्रेसी खड़गे कई बार विधायक और सांसद चुने गए हैं। फिलहाल वह राज्यसभा सांसद है और संसद में लंबी डिबेट्स में भी हिस्सा लेते रहे हैं। कांग्रेस में फाटइर का टैग रखने वाले खड़गे को लेकर कहा जाता है कि वह संगठन के आदमी हैं। शायद इसीलिए गांधी परिवार ने उन पर भरोसा जताया है। एक तरफ वह भरोसेमंद हैं तो दूसरी तरफ संगठन से जुड़े आदमी हैं।