आर्थिक मोर्चे पर दो नई अपडेट है। आठ कोर सेक्टर का उत्पादन अगस्त में 3.3 प्रतिशत की सुस्त रफ्तार से बढ़ा है। वहीं, अप्रैल-अगस्त की अवधि में भारत का राजकोषीय घाटा 5.42 लाख करोड़ रुपये था, जो पूरे साल के लक्ष्य का 32.6 प्रतिशत था।
राजकोषीय घाटा सरकार के बाजार से लिये गये कर्ज की स्थिति को बताता है। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, टैक्स समेत सरकार की कुल प्राप्तियां 8.48 लाख करोड़ रुपये रहीं। यह 2022-23 के लिये बजटीय अनुमान का 37.2 प्रतिशत है।
एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में कुल प्राप्ति बजटीय अनुमान की 40.9 प्रतिशत थी। कर राजस्व संग्रह सात लाख करोड़ रुपये रहा। यह चालू वित्त वर्ष के बजटीय अनुमान का 36.2 प्रतिशत रहा। केंद्र सरकार का कुल व्यय अप्रैल-अगस्त के दौरान 13.9 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजटीय अनुमान का 35.2 प्रतिशत है। यह बीते वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि में 36.7 प्रतिशत था।
टूटी इकोनॉमी की तेज रफ्तार?
आठ कोर इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट इतना नीचे आने से संभव है कि आपको लगे कि इकोनॉमी की हालत खराब हो गई है, या इकोनॉमी की रफ्तार थम रही है. लेकिन असलियत में ये एक तुलनात्मक अध्ययन है, तो इसे ऐसे समझ सकते हैं. जब अगस्त 2021 के आंकड़े निकाले गए तो उसकी तुलना अगस्त 2020 से की गई, और अब अगस्त 2021 की तुलना में इनकी ग्रोथ रेट तय की गई है, इसलिए ये काफी कम लग रही है. लेकिन असल मायने में 8 कोर इंडस्ट्रीज ने अगस्त 2022 में 3.3 प्रतिशत की दर से ग्रोथ दर्ज की है, यानी ये पॉजिटिव संकेत ही है, ना कि निगेटिव.
जुलाई से भी नीचे आई ग्रोथ रेट
अगर 8 कोर इंडस्ट्री के ग्रोथ रेट को देखा जाए, तो अगस्त 2022 के आंकड़े जुलाई से भी नीचे हैं. जुलाई में ये ग्रोथ रेट 4.5% थी. जबकि उससे पहले जून 2022 में 13.2% और मई 2022 में ये 19.3% तक पहुंच गई थी. अगर बीते 12 महीनों के आंकड़े देखें तो मई 2022 में ही ये ग्रोथ रेट सबसे अधिक रही है. जबकि उससे पहले अगस्त 2021 में ही ये दहाई अंकों में थी और उसके बाद लगातार नीचे है.