महाराष्ट्र की सियासत में चुनावी चिन्ह को लेकर चल रही जंग के बीच उद्धव ठाकरे को टार्च और मशाल वाला चिन्ह दे दिया गया है. वहीं उनकी पार्टी का नाम शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे रखा गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे से अभी के लिए तीन विकल्प मांगे हैं, उसी के आधार पर उन्हें भी कोई चुनावी चिन्ह दिया जाएगा.
जानकारी तो ये भी मिली है कि एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से चुनाव आयोग को पहले तीन विकल्प दिए गए थे. लेकिन चुनाव आयोग ने उन तीन विकल्पों में से दो को तो रिजेक्ट कर दिया, वहीं तीसरा वाला क्योंकि डीएमके के चुनाव चिन्ह से मेल खा रहा था, ऐसे में उसे भी स्वीकार नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि शिंदे खेमे की तरफ से त्रिशूल, गदा और उगते सूरज चुनावी चिन्ह के लिए भेजे गए थे, लेकिन चुनाव आयोग ने त्रिशूल और गदा को धार्मिक बताया और उगते सूरज को डीएमके का चुनावी चिन्ह. ऐसे में अब दोबारा शिंदे गुट को चुनाव आयोग को तीन विकल्प भेजने पड़ेंगे.
वैसे इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में सिर्फ मुद्दे अलग रहते हैं, लेकिन उद्धव बनाम एकनाथ शिंदे की जंग तीखी होती जा रही है. इसकी शुरुआत तो सत्ता परिवर्तन के साथ हो गई थी जब उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया, लेकिन इसके बाद शिवसेना के वर्चस्व को बचाने वाली जंग ने भी तनाव कम करने का मौका नहीं दिया. अब उस सब के ऊपर चुनाव चिन्ह वाली लड़ाई ने विवाद को और ज्यादा बढ़ाने का काम किया. अभी के लिए दोनों उद्धव और शिंदे कैंप को ना शिवसेना नाम दिया गया है और ना ही वो वाला चुनाव चिन्ह मिला है.
इससे पहले शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर भी उद्धव और शिंदे के बीच में एक लंबी कानूनी लड़ाई देखने को मिल गई थी. बाद में जीत जरूर उद्धव ठाकरे की हुई लेकिन दोनों ही रैलियों में आई बड़ी भीड़ ने दावों का दौर फिर शुरू कर दिया.