क्रीमिया (Crimea) के काले सागर (Black Sea) के तट के पास एक रहस्यमयी बोट मिली. यह बोट सेवास्तोपोल (Sevastopol) में स्थित रूसी नौसैनिक बेस के पास ही मौजूद थी. इस बोट को पिछले महीने के अंत में पकड़ा गया. यह एक छोटी और मानवरहित नाव है, जिसे किसने बनाया है इसका पता नहीं चल रहा है. हालांकि इस बोट को रूसी नौसैनिकों ने ही खोजा है.
रूसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इसे यूक्रेन की साजिश बताकर शेयर किया जा रहा है. यह पानी में तेजी से चलने वाली ड्रोन बोट है. जिसे किसी व्यावसायिक स्पीडबोट से बनाया गया है. असल में सेवास्तोपोल स्थित रूसी नौसैनिक बेस (Russia Naval Base) पर पिछले तीन हफ्तों से कई जंगी जहाज खड़े थे. ऐसा माना जा रहा है कि यूक्रेन इस रहस्यमयी बोट से घातक हमला करके रूस के युद्धपोतों की धज्जियां उड़ाने वाला था.
इस रहस्यमयी नाव को कहां बनाया गया इसका पता नहीं चल रहा है. लेकिन यह विस्फोटकों से लदी हुई थी. यह एक एक्स्प्लोसिव अनक्रूड सरफेस वेसल (Explosive Uncrewed Surface Vessel) है. या फिर आप इसे अनमैन्ड सरफेस वेसल (Unmanned Surface Vessel – USV) कह सकते हैं. यानी मानवरहित लेकिन विस्फोटकों से भरी स्पीडबोट.
112 किलोमीटर प्रतिघंटा की है रफ्तार
जब बोट और इसकी वायरल तस्वीरों की जांच की गई तो पता चला कि यह देसी जुगाड़ से बनाई गई बोट है. इसमें जीटीएक्स या फिर प्रो मॉडल के थ्रस्ट रिवर्सर लगे हैं. Sea-Doo डिजाइन के बोट से मैच करती है. यानी वाटरजेट इस डिजाइन वाले स्पीड बोट का हो सकता है. सी-डू को कनाडा में बनाया जाता है. यह काफी पसंद किया जाता है. इसमें तीन सिलेंडर वाले गैसोलिन इंजन का इस्तेमाल होता है. यानी यह स्पीडबोट 112 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकती है.
दूसरी खास बात ये है कि यह फटती कैसे. इस समुद्री ड्रोन में फटने के लिए नया तरीका उपयोग किया गया है. नाव के अगले हिस्से पर दो गोल बटन जैसे ढांचे बने हैं. जो किसी भी चीज से टकराने के बाद बोट के अंदर रखे विस्फोटक को सक्रिय कर देते. यानी ये इम्पैक्ट फ्यूज हैं. जैसा कि सोवियत संघ के समय के FAB-500 के बोट में किया जाता था. यानी दोनों गोले जंगी जहाज से टकराए और विस्फोट हुआ.
ऐसे खुफिया हमलावर नावों का है इतिहास
आमतौर पर ऐसे बोट फाइबर ग्लास या ऐसे ही मटेरियल से बनाए जाते हैं. लेकिन विस्फोटकों से लदे समुद्री ड्रोन को एल्यूमिनियम से बनाया जाता है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि यूक्रेन इस तरह के हथियार का उपयोग कर रहा है. इससे पहले श्रीलंका में लिट्टे और इटली में मुसोलिनी ऐसे हथियारों को इस्तेमाल कर चुके हैं. इसके अलावा साल 2016 में यमन में हौती मूवमेंट के समय भी ऐसे बोट्स का उपयोग किया गया था. आतंकी संगठन अलकायदा भी ऐसे बोट्स का उपयोग करता है.
साल 2017 में रॉयल सऊदी नेवी के फ्रिगेट अल मदीना से ऐसी ही एक ड्रोन बोट टकराई थी. जिससे हुए विस्फोट से दो नौसैनिकों की मौत हो गई थी. बाद में सऊदी अरब की सरकार ने इसके लिए हौती मूवमेंट पर आरोप लगाया था. 1980 से लेकर 2000 तक श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे की एक टीम थी सी टाइगर्स (Sea Tigers). इन्होंने ऐसे कई विस्फोटकों वाली बोट्स बनाई थीं. लेकिन इन बोट्स को आत्मघाती सी टाइगर्स चलाते थे. दुश्मन के पास जाकर खुद की जान तो देते ही थे, विस्फोट करके तबाही मचा देते थे. 20 सितंबर 1994 में श्रीलंकाई जंगी जहाज SLNS Sagarawardena से ऐसी दो बोट्स टकराई थीं, उसके बाद वह जंगी जहाज समुद्र में डूब गया था.
इटली से आया था ऐसे नाव का कॉन्सेप्ट
असल में ऐसे तेजी से चलने वाले विस्फोटक स्पीड बोट्स या एक्सप्लोसिव ड्रोन्स का कॉन्सेप्ट इटली से ही आया था. इस बोट का इस्तेमाल सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के समय मुसोलिनी के समय सबसे ज्यादा हुआ था. तब ऐसे ही आत्मघाती बोट की मदद से ब्रिटिश क्रूजर HMS York को 26 मार्च 1941 को उड़ा दिया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इजरायल ने 22 अक्टूबर 1948 में मिस्र के फ्लैगशिप Emir Farouk को ऐसे ही खतरनाक बोट से उड़ा दिया था.
छोटे आकार के ये आत्मघाती बोट्स या ड्रोन्स समुद्र में रात के समय आते हुए पता नहीं चलते. इनकी स्पीड भी काफी तेज होती है. इसलिए इनपर हमला करना भी मुश्किल होता है. क्रीमिया के पास सेवास्तोपोल में विस्फोटक ड्रोन बोट का मिलना ये बताता है कि रूस की नौसेना वहां कुछ तैयारी कर रही थी. जिसे इस बोट के मिलने के बाद थोड़ा धीमा कर दिया गया है.