नई दिल्ली। आतंकी अजमल कसाब, अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का केस हो या फिर निठारी कांड और आरुषि हत्याकांड. ये सब ऐसे मामले हैं, जिनकी सच्चाई जानने के लिए पुलिस और सीबीआई को लोगों के दिमाग में झांकना पड़ा था. यानी इन लोगों का नार्को टेस्ट कराना पड़ा था. मगर सवाल ये है कि क्या वाकई इन लोगों ने नार्को टेस्ट के दौरान सच बोला था? ये सवाल इसलिए कि श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस में सबूतों को हासिल करने के लिए ही आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट किया गया है.
दिल्ली के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में गुरुवार को श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट किया गया. इस दौरान इस केस से जुड़े अधिकारी और विशेषज्ञों की टीम वहां मौजूद थी. आफताब का नार्को टेस्ट करीब दो घंटे तक चला. टेस्ट के दौरान उससे कई सवाल जवाब किए गए. सूत्रों के मुताबिक आफताब ने ज्यादातर सवालों जवाब दिए हैं.
आफताब ने कई सवालों के जवाब अंग्रेज़ी में दिए. कुछ सवालों के जवाब देने में आफताब ने थोड़ा समय लिया. टेस्ट के दौरान आफताब कई सवालों पर चुप रहा लेकिन टीम ने उससे सवाल को दोहराया और जवाब देने को कहा, जिसके बाद आफताब ने जवाब दिया. इससे पहले कि हम आपको आफताब से किए गए सवालों के बारे में बताएं, उससे पहले आपको ये बताते हैं कि कब-कब और किस पर नार्को टेस्ट किए गए हैं.
अजमल कसाब का नार्को टेस्ट
आपको आतंकी अजमल कसाब का वो वीडियो तो याद होगा, जिसमें नार्को के दौरान उसे आतंकी हमले की पोल खोलते देखा जा सकता था. वो वीडियो तब पूरे देश ने देखा था. देश उस वीडियो को भुला नहीं सकता. अजमल कसाब 26-11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले का गुनहगार और इकलौता जिंदा पकड़ा गया आतंकी था. नार्को टेस्ट के वक्त वो ना पूरी तरह होश में था और ना पूरी तरह बेहोश. यानी नीम बेहोशी की हालत में था और तब उसी आलम में उसने बताया था कि कैसे मुंबई पर आतंकी हमले की साजिश रची गई, उसे अंजाम दिया गया और वो खुद कैसे इसका हिस्सा बना था.
अब्दुल करीम तेलगी का नार्को टेस्ट
अब्दुल करीब तेलगी वो शख्स है, जो देश में हुए सबसे बड़े घोटालों में से एक स्टैंप घोटाले का मास्टरमाइंड था. जब वो पुलिस कस्टडी में था तब बोल तो रहा था, मगर पूरा सच नहीं बोल रहा था. इसलिए उसके नार्को टेस्ट का फैसला किया गया. लेकिन जब उसका नार्को टेस्ट किया गया, तो इसने उन नेताओं के भी नाम ले डाले, जिन्हें उसने पैसे दिए थे.
कृष्णा के नार्को टेस्ट
आरुषि मर्डर केस की साजिश देश में हुए कत्ल की सबसे गहरी साजिश में से एक थी। आरुषि और हेमराज को किसने मारा, ये पुलिस से लेकर सीबीआई तक पता नहीं लगा पाई। ऐसे में सच उगलवाने के लिए आरुषि के मां-बाप और घरेलू नौकरों को भी नार्को टेस्ट से गुजारा गया। हालांकि अफसोस की बात ये है कि नार्को टेस्ट भी साजिश को बेनकाब नहीं कर पाया.
गैंगस्टर अबु सलेम का नार्को टेस्ट
अंडरवर्ल्ड डॉन और गैंगस्टर अबु सलेम को पुर्तगाल से डिर्पोट कर भारत लाया गया था. अंडरवर्ल्ड की अंदर की हर खबर उसके दिल और दिमाग में कैद थी. वह मुंह से इसके बारे में कुछ बोल नहीं रहा था, इसलिए नार्को टेस्ट के जरिए अबु सलेम के दिमाग में भी झांकने का फैसला किया गया. पर वो इतना शातिर था कि नार्को टेस्ट के दौरान एक सवाल के जवाब में वो बाकायदा गाना गाने लगा था.
सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर का नार्को टेस्ट
पूरे देश को दहला देनेवाले निठारी कांड की कहानी भी आधी अधूरी सामने आ रही थी. निठारी का गुनहगार सुरेंद्र कोली और उसका मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर होशो हवास में अलग-अलग कहानियां सुना रहे थे. दोनों के नार्को टेस्ट का फैसला किया गया. वे दोनों भी नार्को टेस्ट से गुजरे थे. इसी टेस्ट से पता चला था कि निठारी का असली गुनहगार सुरेंद्र कोली था, हालांकि एक कत्ल के बारे में पंढेर को भी पता था.
आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट
अब इसी कडी में 1 दिसंबर को एक नया नाम और जुड़ गया. वो नाम है आफताब अमीन पुनावाला का. जो हाल के वक्त के सबसे सनसनीखेज कत्ल का आरोपी है. दिल्ली के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में एक दिसंबर की सुबह आफताब का नार्को टेस्ट किया गया. जो करीब दो घंटे तक चला. इस टेस्ट के दौरान आफताब हर उस सवाल से गुजरा, जिसके जवाब श्रद्धा मर्डर केस की मिस्ट्री को सुलझा सकते हैं. अब आपको बताते हैं कि एक दिसंबर को किया गया ये नार्को टेस्ट दिल्ली पुलिस के लिए इतना अहम क्यों हैं?
एक भी चश्मदीद गवाह नहीं
श्रद्धा मर्डर केस की सबसे कमजोर बात ये है कि इस केस में एक भी चश्मदीद गवाह नहीं है. यानी अब जो कुछ है या पुलिस को जो कुछ करना है वो सिर्फ और सिर्फ चंद इंसानी हड्डियों, चंद खून के कतरे और आफताब के बदलते बयानों को सामने रख कर ही करना है. ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि नार्को टेस्ट के दौरान आफताब कुछ ऐसे सुराग या सबूत उगल दे, जिससे उसका बच पाना नामुकिन हो जाए.
इस टेस्ट के जरिए पुलिस ने खास तौर पर जो सवाल आफताब से पूछे, वो सवाल ये हैं-
– श्रद्धा का कत्ल किस तारीख को किया?
– श्रद्धा को क्यों मारा?
– श्रद्धा को कैसे मारा?
– लाश के टुकडे कैसे किए?
– टुकड़े करने के लिए हथियार कहां से खरीदे?
– टुकड़े को घर में कितना वक्त तक रखा?
– टुकड़े को कैसे और कहां रखा?
– लाश के टुकड़े को कहां-कहां ठिकाने लगाए?
– हथियार कहां फेंके?
– कत्ल के बाद छह महीने तक क्या कुछ किया?
– अगर कत्ल गुस्से में और गलती से किया तो तभी पुलिस के सामने सरेंडर क्यों नहीं किया?
आफताब से पूछे गए सबूतों से जुड़े सवाल
मनोवैज्ञानिकों की एक टीम के साथ मिलकर केस के जांच अधिकारी और आला पुलिस अफसरों ने इन सवालों के अलावा बाकी सवालों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार की थी. लेकिन कुल मिलाकर जिन सवालों पर पुलिस का ज्यादा जोर था, वो सवाल सीधे सबूतों से जुड़े हैं. जैसे श्रद्धा की लाश के टुकड़े या हड्डियां कहां-कहां हो सकती हैं? कहां कहां उसने फेंके? श्रद्धा के मोबाइल कपड़े कत्ल और करते और लाश के टुकड़े करते हुए खुद के पहने कपड़े कहां छुपाए?
अगर झूठ बोला होगा तो सबूत मिलना मुश्किल
अगर नीम बेहोशी की हालत में आफताब ने अंजाने में सच बोला है, तो इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली पुलिस के हाथ सबूतों का पूरा पुलिंदा लग गया होगा. लेकिन अगर कहीं सवालों के जवाब में अबु सलेम की तरह गाना गाने लगा या कुछ और बोला होगा तो सबूत ढूंढना, मुश्किल हो जाएगा. ये बात पुलिस भी अच्छी तरह से जानती है. इसीलिए डॉक्टरों की जिस टीम ने आफताब का नार्को टेस्ट किया है, उस टीम के साथ आला पुलिस अफसरों की कई मीटिंग हो चुकी हैं.
ऐसे किया गया आफताब का नार्को टेस्ट
अब आइए आपको बताता हूं कि आफताब का नार्को टेस्ट कैसे किया गया और किसने किया. डॉक्टर नवीन अंबेडकर अस्पताल के नार्को डिपार्टमेंट के नोडल अफसर हैं. डॉ नवीन की अगुवाई में ही आफताब का पूरा नार्को टेस्ट किया गया. चूंकि नार्को टेस्ट से गुजरनेवाले शख्स को होशो हवास में रहने नहीं दिया जाता है, इसीलिेए सबसे पहले इंजेक्शन के जरिए उसकी रगों में बेहोशी की दवा पहुंचाई जाती है. जैसे अमूमन किसी बड़े ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने के लिए एनस्थिशिया दिया जाता है.
वजन, उम्र और सेहत के हिसाब से दी गई डोज
पर यहां इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि नार्को टेस्ट से गुजरनेवाले शख्स की सेहत, उम्र और वजन क्या है? उसे कोई बीमारी तो नहीं है? फिर उसी हिसाब से बेहोशी की दवा की डोज तय की जाती है. डोज की मात्रा इतनी ही होनी चाहिए कि ना वो पूरी तरह बेहोश हो और ना ही पूरी तरह होश में. क्योंकि अगर वो पूरी तरह बेहोश हो गया, तो फिर सवालों के जवाब नहीं देगा और अगर होश में ही रह गया, तो फिर झूठे जवाब ही देगा.
ऐसी होती है हालत
हालांकि दवा के असर से नार्को टेस्ट से गुजरनेवाला शख्स अक्सर गहरी नींद में जाने की कोशिश करता है. आपने देखा होगा ऐसे कई नार्को टेस्ट के दौरान इसीलिए सवाल पूछनेवाला डॉक्टर लगातार उसे थपकियां देता है, उसके चेहरे पर हाथ लगाता है, उसे हिलाता रहता है, ताकि वो पूरी तरह से नींद की आगोश में ना समा जाए.
पहले हो चुका है आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट
श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का पॉलीग्राफ टेस्ट पहले ही किया जा चुका है. उस टेस्ट में उसने हत्या की बात कबूली है. साथ ही उसने श्रद्धा की लाश के टुकडे फेंकने की बात भी कबूल कर ली है. उसने कहा कि उसे हत्या का कोई अफसोस नहीं है. पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान उसका व्यवहार सामान्य रहा. उसने ये भी कहा कि वो पुलिस को सब पहले ही बता चुका है कि हत्या करने का उसे कोई अफसोस नहीं है.
जेल नंबर 4 में है आफताब
श्रद्धा का हत्यारोपी आफताब अमीन पूनावाल को जेल में सुसाइड वॉच पर रखा गया है. यानी चौबीसों घंटे उसकी निगरानी की जा रही है. वो जिस सेल में है, उसमें दो छोटे जुर्म के मुल्जिम पहले से हैं. सूत्रों के मुताबिक वह जेल में आराम से है, उसे कोई दिक्कत नहीं है. वो बातें कर रहा है और चैन से सो रहा है.
हैरान है आफताब की दूसरी गर्लफेंड
आफताब अमीान पूनावाला की दूसरी गर्लफेंड एक क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट है. अब वो सकते में है, उसे यकीन नहीं हो रहा कि जब वो आफताब के घर गई थी, तब उसके फ्रिज में श्रद्धा की लाश के टुकड़े रखे थे. उसने खुद पुलिस से कहा है कि उसे नॉर्मल होने के लिए अब काउंसिलिंग की दरकार है. लड़की को उसके व्यवहार में कुछ संदेहास्पद नहीं लगा था.
पॉलीग्राफ टेस्ट संतुष्ट नहीं हैं एक्सपर्ट
नार्को से पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट तो किया गया लेकिन विशेषज्ञ उस टेस्ट से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं हैं. आफताब का इंटरनेट सर्च बताता है कि उसने पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट को लेकर भी सर्च किया था. इससे पता चलता है कि वो इन टेस्ट में भी एक्सपर्ट्स को चकमा देना चाहता था. अब सबकी निगाहें नार्को एनालिसिस टेस्ट के नतीजे पर लगी हैं.