भाषा सिंह
देश के इतिहास में संभवतः पहली बार ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों में पुरस्कार जीत चुके खिलाड़ी अपनी फेडरेशन के मुखिया के खिलाफ इतने गंभीर आरोप, जिनमें यौन शोषण का आरोप भी शामिल है—लेकर धरने पर बैठे। इन आरोपों को लगाते हुए उन्होंने हाथ में जिस तरह से तिरंगा उठा रखा था, वह अलग ढंग का संदेश दे रहा था, हालांकि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महिला पहलवानों के गले रुंधे हुए थे, लेकिन हिम्मत फौलादी थी।
देश की राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर में 30 खिलाड़ियों ने धरने पर बैठकर जो सवाल उठाया कि भाजपा सांसद और मोदी सरकार में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह महिला खिलाड़ियों का शोषण कर रहे हैं और उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए। इन आरोपों पर जिस तरह की चुप्पी मोदी सरकार के तमाम मंत्रियों ने साधी, उससे एक बात साफ हो गई कि बेटी बटाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा अब रसातल में चला गया है। साथ ही यह भी सवाल उठा है कि क्या जिस तरह से बलात्कार के दोषी उत्तर प्रदेश के भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लंबे समय तक सत्ता का वरदहस्त मिलता रहा, क्या वही अंजाम बाकी आरोपियों का भी होगा।
आरोपी भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह
पूरी निडरता से ओलंपिक पुरस्कार विजेता विनेश फोगाट ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि वह कुछ समय से बृजभूषण द्वारा किये जा रहे इस शोषण और निजी जिंदगी में दखल के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं, प्रधानमंत्री व मंत्री को पत्र लिखती रही हैं—लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो वे सब सड़कों पर उतरने पर मजबूर हुईं। उधर, बृजभूषण शरण सिंह ने सिरे से इन आरोपों को नकारते हुए इसे एक साजिश बताया।
ये आरोप बेहद गंभीर हैं और मोदी सरकार से इन पर तुरंत कार्रवाई की अपेक्षा रखते हैं। ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक ने भी यही आरोप दोहराए और कहा कि महिला खिलाड़ियों का शोषण किया जाता है। कोच तंग करते हैं। कुश्ती से जुड़े 30 के करीब खिलाड़ी देश का झंडा लेकर जंतर मंतर पर बैठे थे। उनका कहना था कि जानबूझकर कुश्ती के शिविर लखनऊ में आयोजित किये जाते हैं ताकि वहां आसानी से लड़कियों का शोषण किया जा सके। ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने भी कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के काल में बहुत मनमनानी चल रही है। खिलाड़ियों का सम्मान नहीं किया जाता। ऐसे हालात पैदा कर दिये जाते हैं कि वे खेल ही न पाएं।
उनके साथ साथ खिलाड़ी सरिता मोर, संगीता फोगाट, बजरंग, सत्यव्रत मलिक, जितेंद्र किन्हा भी धरने पर बैठे और एक स्वर में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बातों को साझा करते रहे। विनेश फोगट ने रुंधे हुए स्वर में जब यह कहा कि सच बात कहने वाले खिलाड़ियों पर रोक लगा दी जाती है। मुझे इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि मैं शोषण बर्दाश्त नहीं कर सकती। हम बस खेल ही सकते हैं। खेलने नहीं दिया जाएगा तो कैसे जिएंगे। जब हाल इतने खराब हो गये, तो मरने से अच्छा है कि सड़कों पर उतर कर सच बोलें।
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से सांसद बृजभूषण सिंह भाजपा के बेहद मुंहफट उग्र नेताओं में गिने जाते हैं। पिछले साल मार्च में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे को चुनौती दी थी कि वह उन्हें अयोध्या में नहीं घुसने देंगे। जिस तरह से बृजभूषण शरण सिंह ने उन पर आरोप लगाने वालों को एक साजिश का हिस्सा बताया, उससे ऐसा लगता है कि वह अपने सत्ताधारी पद को लेकर काफी आश्वस्त है। इतने गंभीर आरोप लगने के बाद भी उन्होंने न जांच की बात कही और न ही आरोपियों की शिकायत को सुनने की बात कही। इसके उलट, जिस तरह से बृजभूषण शरण सिंह ने एक कंपनी, खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए और यह भी कह दिया कि वह फांसी पर झूल जाएंगे—उससे साफ है कि यह लंबी लड़ाई है। खिलाड़ियों ने भी साफ कर दिया कि वे बिना इंसाफ लिये इस मोर्चे से हटेंगे नहीं।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)