भारतीय कुश्ती संघ में संग्राम छिड़ गया है. महिला पहलवानों ने फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि कोच महिलाओं को परेशान कर रहे हैं और कुछ कोच तो अभद्रता भी करते हैं.
विनेश फोगाट ने कहा, जब मैंने आवाज उठानी चाही तो मुझे धमकाया गया कि मुझे बैन कर दिया जाएगा. रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष मुझे ‘खोटा सिक्का’ कहते थे. मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया. मैं इतने तनाव में थी कि आत्महत्या करना चाहती थी.
हालांकि, इन सभी आरोपों को बृजभूषण शरण सिंह ने खारिज किया है. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को लिखित शिकायत करनी चाहिए. मैं जांच के लिए तैयार हूं. बृजभूषण सिंह ने दावा किया कि ये सारी समस्या तब शुरू हुई, जब हमने पॉलिसी बदली और नए नियम बनाए.
इस पूरे मामले में खेल मंत्रालय ने भी रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि बृजभूषण सिंह ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से बात की है और उनसे कहा है कि वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. इसके बाद तीन सदस्यों की जांच समिति बनाई जाने की बात कही जा रही है.
कुश्ती पहलवानों ने क्या आरोप लगाए हैं? अपने बचाव में बृजभूषण सिंह ने क्या कहा? और वो कौन से नियम थे, जिन्हें सारी समस्या की जड़ बताया जा रहा है? एक-एक करके जानते हैं…
पहलवानों ने क्या आरोप लगाए?
पहलवानों ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष और कोच पर आरोप लगाए. विनेश फोगाट ने कहा, ‘मुझे कुश्ती खेलते हुए 10 साल बीत गए हैं. मुझसे ट्रायल देने को कहा गया. मैंने उनसे पूछा कि अगर ट्रायल में मुझे चोट लग गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?’
ये सब बातें करते हुए विनेश फोगाट रो रही थीं. उन्होंने कहा कि वो अपने खेल से प्यार करती हैं और इसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार हैं. उन्होंने सवाल उठाया, ‘ओलंपिक में जब चार महिला पहलवान सफर कर रही थीं तो फेडरेशन के अध्यक्ष को हमारे साथ सफर करने की क्या जरूरत थी?’
फोगाट ने कहा, ‘महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जाता है. मैं खुद महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के 10-20 मामलों के बारे में जानती हूं. जब हमें हाईकोर्ट निर्देश देगा तो हम सभी सबूत देंगे. हम प्रधानमंत्री को भी सबूत देने को तैयार हैं. जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, हम धरने पर बैठे रहेंगे. किसी भी इवेंट में कोई एथलीट हिस्सा नहीं लेगा.’
विनेश फोगाट ने ये भी आरोप लगाया कि उन्हें जो किट दी जाती है, वो घटिया क्वालिटी की है. उन्होंने दावा किया कि इसकी शिकायत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल न खेलने पर बैन लगाने की धमकी दी जाती है.
साक्षी मलिक ने भी आरोप लगाया कि इवेंट के अगले ही दिन टूर्नामेंट रख दिया जाता है और हमें प्रताड़ित किया जा रहा है. साक्षी ने दावा किया कि अगर कोई खिलाड़ी किसी वजह से टूर्नामेंट मिस कर देता है तो उसे बैन कर दिया जाता है.
बजरंग पुनिया ने आरोप लगाया कि पहलवानों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. एक दिन पहले नियम बनाए जाते हैं और उन्हें लागू कर दिया जाता है. फेडरेशन के अध्यक्ष खिलाड़ियों के साथ गलत बर्ताव करते हैं, खिलाड़ियों को थप्पड़ मार देते हैं. बजरंग पुनिया ने आरोप लगाया कि स्पॉन्सरशिप से जो पैसा मिला था, वो कहां गया.
बृजभूषण सिंह ने क्या सफाई दी?
यौन शोषण के आरोपों को बृजभूषण शरण सिंह ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘यौन उत्पीड़न की कोई घटना नहीं हुई है. अगर आरोप सच निकले तो मैं फांसी पर लटकने के लिए तैयार हूं.’
उन्होंने कहा, ‘यौन उत्पीड़न बड़ा आरोप है. जब मेरा नाम ही इसमें घसीटा गया है तो मैं कैसे कार्रवाई कर सकता हूं? मैं जांच के लिए तैयार हूं. मैं विनेश फोगाट से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने ओलंपिक में कंपनी के लोगो वाली पोशाक क्यों पहनी थी? मैच हारने के बाद मैंने उसे सिर्फ प्रोत्साहित किया है. क्या कोई सामने आ सकता है जो कह सके कि फेडरेशन ने किसी एथलीट का उत्पीड़न किया है?’
उन्होंने दावा किया कि ये सारे प्लानिंग के तहत लगाए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘हम, हमारे कोच, हमारी फेडरेशन, इनके ऊपर कोई आरोप बनता ही नहीं है. मेरा शक है कि ये सब प्लानिंग से हुआ है. हम बिना सबूत नहीं बोलेंगे.’
उन्होंने दावा किया, ‘सारी समस्या तब शुरू होती है, जब हम कुछ नियम बनाते हैं और नीति में बदलाव करते हैं. कुछ खिलाड़ी नेशनल गेम्स नहीं खेलना चाहते. ट्रायल नहीं देना चाहते. हम चाहते हैं कि सभी खिलाड़ी ट्रायल दें और नेशनल गेम्स में हिस्सा लें.’ उन्होंने कहा कि कोई शिकायत है तो लिखित में देना चाहिए.
वो नियम, जिन्हें फसाद की जड़ माना जा रहा…
रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष ने इस सारे फसाद की जड़ उन नियमों को बताया है जिसके तहत ओलंपिक खेलने के लिए सभी खिलाड़ियों को ट्रायल से गुजरना जरूरी है.
दरअसल, नवंबर 2021 में फेडरेशन ने नियमों में बदलाव किया था. इसमें तय हुआ कि ओलंपिक के लिए टीम को आखिरी रूप देने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को भी ट्रायल्स में भाग लेने के लिए कहा जा सकता है.
इससे पहले तक ये होता था कि जो खिलाड़ी ओलंपिक कोटा हासिल कर लेता था, उसे टीम में जगह मिल जाती थी. लेकिन इन नियमों को बदल दिया गया. फेडरेशन ने इसके पीछे ये वजह बताई थी कि ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद कुछ खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं या फॉर्म में नहीं रहते और वो इस बात को छिपाकर ओलंपिक खेलने चले जाते हैं, जिससे मेडल की संभावनाएं कम हो जातीं हैं.
इतना ही नहीं, अब ये नियम भी कर दिया गया है कि कोई भी राज्य नेशनल में एक से ज्यादा टीम नहीं भेज सकता. ओलंपिक में सबसे ज्यादा टीमें हरियाणा, रेलवे और सेना से भेजी जाती थीं.
हरियाणा से क्या है कनेक्शन?
जिस समय रेसलिंग फेडरेशन ने नियमों में बदलाव किया, उस समय भी इसे हरियाणा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया था. इसकी दो वजह थी. पहली ये कि पहलवानी में ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा के हैं और वो ओलंपिक कोटा हासिल कर लेते हैं. दूसरी- राष्ट्रीय स्तर पर भी हरियाणा, रेलवे और सेना की ओर से ज्यादा टीमें भेजी जातीं हैं.
रेसलिंग फेडरेशन का मकसद पहलवानी में कमजोर राज्यों को भी मौका देना था. फेडरेशन का मानना था कि हरियाणा की टीम हर वर्ग में 6 पहलवानों को उतारती है जो दूसरे राज्यों के लिए नाइंसाफी है.
उस वक्त फेडरेशन के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया था, ‘हरियाणा की A और B टीम में एक-एक पहलवान होते हैं. रेलवे और सेना की टीम में भी ज्यादातर पहलवान हरियाणा से ही होते हैं. इस तरह से हर वर्ग में हरियाणा के 6 पहलवान होते हैं और मेडल जीतने की संभावना ज्यादा होती है, जो बाकी राज्यों के लिए सही नहीं है.’
अधिकारी का कहना था कि हम इसे ठीक करना चाहते हैं. केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और बाकी राज्यों के खिलाड़ी भी नेशनल में मेडल जीतें, ताकि दूसरे राज्यों में भी कुश्ती पॉपुलर हो.
उस समय हरियाणा रेसलिंग फेडरेशन के महासचिव राजकुमार हुड्डा ने कहा था कि ये हरियाणा के साथ नाइंसाफी है. इससे न सिर्फ हरियाणा, बल्कि देश की कुश्ती को भी नुकसान होगा. सभी सात ओलंपियन हरियाणा से आए थे और उसके बावजूद हमें टारगेट किया जा रहा है.
हरियाणा में पहलवानी कर रहे लोगों का कहना था कि हर राज्य की अपनी एक खास पहचान होती है. हरियाणा कुश्ती में अच्छा है तो बाकी राज्य दूसरे खेलों में अच्छे हैं.
विरोध करने की और क्या वजह?
रेसलिंग फेडरेशन का नियम है कि जो नेशनल नहीं खेलेगा, वो इंडियन कैंप में रिप्रेजेंट नहीं कर सकता. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जीतने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा. खिलाड़ी इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि हम जीतकर आए हैं, इसलिए हमें मौका दिया जाए.
इतना ही नहीं, विनेश फोगाट ने एक टूर्नामेंट में निर्धारित ड्रेस कोड की बजाय स्पॉन्सर की ड्रेस पहनी थी, जिस पर यूनाइटेड रेसलिंग फेडरेशन ने भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि क्यों न उन्हें सस्पेंड कर दिया जाए. यही वजह थी कि टोक्यो ओलंपिक में विनेश फोगाट खेल नहीं सकी थीं.
ओलंपिक में हरियाणा का प्रदर्शन
देश की आबादी में हरियाणा की हिस्सेदारी सिर्फ 2% है. टोक्यो ओलंपिक में भारत से 127 खिलाड़ी गए थे, उनमें से 30 हरियाणा से थे. पहलवानी में ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा के ही हैं.
टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड मेडल जीता था. 121 साल में ये भारत का पहला गोल्ड मेडल था. ये गोल्ड मेडल नीरज चोपड़ा ने जिताया था, जो हरियाणा के पानीपत से आते हैं.
टोक्यो ओलंपिक में भारत ने एक गोल्ड समेत 7 मेडल जीते थे. इनमें से 6 व्यक्तिगत मेडल थे, जिनमें से तीन हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते थे. इतना ही नहीं, पुरुष हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली टीम में भी हरियाणा के दो खिलाड़ी थे.
2000 से लेकर अब तक 6 ओलंपिक हो चुके हैं. इन ओलंपिक में भारत ने 20 मेडल जीते हैं, जिनमें से 11 अकेले हरियाणा से आए हैं.