नई दिल्ली। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर विवाद नहीं थम रहा है। खबर है कि इस सीरीज का दूसरा एपिसोड जारी हो चुका है और तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर एक बार फिर लिंक शेयर की है। खास बात है कि भारत में इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर सरकार ने रोक लगा दी है। हैदराबाद से लेकर दिल्ली तक कई जगहों पर इसके प्रदर्शन के चलते जमकर तनाव हुआ।
स्क्रीनिंग पर हुए जमकर विवाद
दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग को लेकर विवाद हो गया था। जेएनयू छात्रों ने आरोप लगाया था कि डॉक्यूमेंट्री को देखने से रोकने के लिए पथराव किया गया था। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कथित तौर पर स्क्रीनिंग रोकने के लिए बिजली काट दी थी।
JNUSU अध्यक्ष कासिम ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि डॉक्यूमेंट्री चलने के दौरान पथराव हुआ। उन्होंने कहा, ‘जब हम जेएनयू के उत्तरी गेट की ओर जा रहे थे, तो एबीवीपी ने हमें घेर लिया और एक बार फिर पत्थरबाजी हुई। पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हम शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास जाएंगे। हमने पत्थरबाजी करने वाले दोषियों को पकड़ लिया था।’
उन्होंने कहा, ‘हमने शिकायत दर्ज करा दी है और पुलिस ने भरोसा दिया है कि वे तत्काल मामले की जांच करेंगे। हमने इसमें शामिल सभी लोगों के नाम और जानकारी दे दी हैं। फिलहाल के लिए हम विरोध खत्म कर रहे हैं। हम जेएनयू प्रॉक्टर ऑफिस में भी शिकायत दर्ज कराएंगे।’
हालांकि, जेएनयू में एबीवीपी अध्यक्ष रोहित ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रोपेगैंडा हैं और आरोप लगाने की शुरुआत लेफ्ट ने की थी। उन्होंने कहा कि एबीवीपी छात्रों को कड़े निर्देश थे कि मामले में दखल नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं या मेरे कोई सदस्य इस घटना में शामिल नहीं हैं।
कोलकाता में प्रदर्शन की तैयारी
लेफ्ट छात्र संगठन SFI ने कोलकाता स्थित प्रेसिडेंसी कॉलेज कैंपस में पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया है। हाल ही में हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की खबर आई थी, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। रजिस्ट्रार देवेश निगम का कहना है कि छात्रों के एक समूह ने बगैर अनुमति के नॉर्थ कैंपस में इसका प्रसारण किया था।
भारत सरकार ने बताया था प्रोपेगैंडा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, ‘द मोदी क्वेश्चन में ऑब्जेक्टिविटी की कमी थी और यह प्रोपेगैंडा था।’ उन्होंने कहा था, ‘यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसा करने में बीबीसी का मकसद क्या है और इसके पीछे एजेंडा क्या है।’ उन्होंने कहा था, ‘यह एक प्रोपेगैंडा पीस है, जिसे एक बदनाम कहानी को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। पक्षपातपूर्ण, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता साफ दिखाई दे रही है।’