बसपा में जाएंगे या नई पार्टी बनाएंगे? स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- जिसे छोड़ते हैं, वहां पलटकर नहीं देखते

लखनऊ। रामचरितमानस, तुलसीदास से लेकर हनुमान तक की बयानबाजी को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों चर्चा में हैं. जहां बीजेपी एक ओर इन बयानों को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और सपा पर निशाना साध रहे हैं. तो वहीं सपा के कुछ नेता भी स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोल रहे हैं. कुछ सपा नेताओं ने मौर्य को बसपा का एजेंट तक बता दिया और दावा किया कि वे 2024 से पहले सपा छोड़ देंगे. इन सबके बीच स्वामी प्रसाद मौर्य ने न सिर्फ सपा और बीजेपी के नेताओं का पलटवार किया, बल्कि अपनी रणनीति भी बताई.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने यूपी तक से बातचीत में बसपा में शामिल होने को लेकर कहा, जिसे मैं छोड़कर आता हूं, वहां पलटकर भी नहीं देखता. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मैं सपा में हूं, सपा में रहूंगा. कोई कुछ भी कयासबाजी लगाए, उनके हाथ कुछ आने वाला नहीं है.

क्या है मामला?

दरअसल, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.

मामला बड़ा नहीं, इसलिए अखिलेश चुप- स्वामी प्रसाद मौर्य

वहीं, रामचरितमानस पर हुए विवाद पर अखिलेश यादव की चुप्पी को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मामला कोई इतना बड़ा नहीं है, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष कुछ नहीं बोले.  अच्छी बात है कि ‘मौनं स्वीकृति: लक्षणम्’ अर्थात उनकी मौन स्वीकृति है.

सपा में ही घिरे स्वामी प्रसाद मौर्य

इस पर सपा नेता रोली तिवारी मिश्रा ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य डीलर हैं. वे बसपा के एजेंट हैं. मुझे तो लगता है कि मौर्य सपा को और ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे और हो सकता है कि वे 2024 से पहले पार्टी भी छोड़ दें. सपा नेता ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की कि कोई कैसे भगवान राम और रामचरित मानस का अपमान कर सकता है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने रोली मिश्रा पर तंज कसा. स्वामी ने कहा, वेऐसी बचकानी बयानबाजी करने वालों को जवाब देना मैं अपनी तौहीन समझता हूं.

अपर्णा यादव पर किया पलटवार

उधर, अपर्णा यादव को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, अगर सम्मान पूर्वक रखना चाहिए तो फिर समाजवादी पार्टी छोड़ कर के भाजपा में क्यों गई थी? दरअसल, अपर्णा यादव ने सपा द्वारा मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देने का विरोध करने पर कहा था कि नेताजी कहा करते थे जो मिले उसे सम्मान पूर्वक और प्यार पूर्वक रखना चाहिए. फिर ये अचानक भारत रत्न कहां से आ गया. मुझे पता नहीं?

स्वामी ने सपा नेताओं पर भी साधा निशाना

जब स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछा गया कि आपके साथी और सपा नेता पवन पांडे ने कहा है कि ब्राह्मणों को लेकर आपको अल्प ज्ञान है. पहले आप इतिहास पढ़िए और अगर आपको लगता है कि नीचे जाति वाले नहीं रहते तो 14 कोसी परिक्रमा में आइए और देखिए सबसे ज्यादा भीड़ वहां पर दलितों और शूद्रों की है.

इस पर मौर्य ने कहा कि जो आदिवासी हैं, दलित हैं अनजाने हैं गाली को धर्म मान बैठे हैं. इनके मकड़ जाल में फंसे थे. उन्हीं को सम्मान के साथ खड़ा करने का प्रयास कर रहा हूं और जिस नाम का हवाला आप दे रहे हैं वह कितने ज्ञानी हैं जग जानता है.