लखनऊ। रामचरितमानस को लेकर जारी विवाद के बीच भाजपा के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा है कि हिंदुओं को आपस में लड़ाने की अखिलेश यादव ने आतंकवादियों से पैसा लिया है। इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश है। वहीं, अखिलेश यादव ने कहा है कि रामचरितमानस से किसी को कोई शिकायत नहीं है। लेकिन जो गलत है वह तो गलत ही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रामविलास वेदांती रविवार (5 फरवरी, 2023) को झाँसी के मड़िया महादेव मंदिर दर्शन करने गए थे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने धार्मिक तुष्टिकरण की पार्टियों पर जमकर निशाना साधा। वेदांती ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के नेता हिंदुत्व के नाम पर समाज के लोगों को आपस में लड़ाना चाहते हैं।
रामविलास वेदांती ने कहा है कि जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने हिंदू और मुस्लिम को आपस में लड़ाया था, ठीक उसी तरह उनके बेटे अखिलेश यादव हिंदुओं को आपस में लड़ा रहे हैं। वेदांती ने कहा कि अखिलेश यादव मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में सफल नहीं हो पाए। साल 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसीलिए अब हिंदुओं को आपस में लड़ाकर जीतना चाहते हैं।
उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि हिंदू-मुस्लिम को अलग करने के बाद भी नेता सफल नहीं हो पाए। इसलिए हिंदुओं को हिंदुओं से लड़ाने के लिए सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, आप नेता संजय सिंह और कॉन्ग्रेस के पी चिदंबरम ने षड्यंत्र के तहत एक मीटिंग की थी। पूर्व सांसद की मानें तो इस मीटिंग में हिंदुओं को आपस में लड़ाकर धार्मिक आस्था समाप्त करने की साजिश रची गई।
वहीं, रामचरितमानस को लेकर जारी विवाद को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा है कि वह आज भी हर रोज एक घंटा भजन सुनते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि योगी जी को तो सारे भजन याद होंगे उन्हें सुनने की ज़रुरत नहीं है। उन्हें भजन सुनने का समय भी नहीं मिलता होगा। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस से किसी को शिकायत नहीं है लेकिन जो गलत है वह गलत है।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा है कि यह देश का बड़ा सवाल है। सिर्फ एक दिन के समझने से यह समझ में नहीं आएगा। अगर आप महाभारत पढ़ेंगे तो देखेंगे कि दानवीर कर्ण के साथ क्या हुआ, कर्ण को कितना अपमान सहना पड़ा। भाजपा के लोग धर्म के वैज्ञानिक हैं। इसलिए वह बताएँ कि शूद्र कौन होता है?
बात दें कि रामचरितमानस को लेकर विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के विवादित बयान से हुई थी। उन्होंने कहा था, रामचरितमानस दलितों-पिछड़ों को शिक्षा ग्रहण करने से रोकता है। रामचरितमानस के एक दोहे “अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए” का जिक्र करते हुए कहा कि यह समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि दोहे में अधम का अर्थ नीच होता है जिसे उन्होंने जाति से जोड़ते हुए कहा कि इस दोहे के अनुसार नीच जाति अर्थात दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था।
उन्होंने यह भी कहा था कि वो रामचरितमानस को धर्म ग्रंथ मानते ही नहीं हैं क्योकि इस किताब को तुलसीदास ने अपनी खुद की ख़ुशी के लिए लिखा था। स्वामी प्रसाद ने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में कुछ ऐसी चौपाइयाँ हैं, जिनमें शूद्रों को अधम होने का सर्टिफिकेट दिया गया है। उन्होंने उन चौपाइयों को एक वर्ग के लिए गाली जैसे बताया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के हिसाब से ब्राह्मण भले ही कितना गलत करे वो सही और शूद्र कितना भी सही करे वो गलत होता है। मौर्य के अनुसार, अगर उसे ही धर्म कहते हैं वो ऐसे धर्म का सत्यानाश हो और ऐसे धर्म को वो दूर से नमस्कार करते हैं।
इन तमाम विवादित बयानों के चलते विवाद बढ़ता जा रहा है। गत (29 जनवरी 2023) को स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी महासभा ने रामचरित मानस की प्रतियाँ जलाई थी। हालाँकि, बाद में इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। रामचरित मानस जलाने वालों में एक मुस्लिम भी शामिल था। इन आरोपितों में यशपाल सिंह लोधी, देवेंद्र यादव, महेंद्र प्रताप यादव, नरेश सिंह, एसएस यादव, सुजीत, संतोष वर्मा और सलीम का नाम शामिल हैं। इन सभी पर IPC की धारा 153A, 295A, 505 और 298 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया हुआ था।