नई दिल्ली। महज एक दशक के राजनीतिक सफर में एक के बाद एक सफलताएं अर्जित करने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक के लिए समय ठीक नहीं चल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री एक के बाद एक आरोपों और मुश्किलों में घिरते जा रहे हैं। शराब घोटाले में लगते आरोपों और राजभवन से टकराव की वजह से कामकाज में आ रही दिक्कतों के बीच ‘जासूसी कांड’ से खलबली मच गई है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने प्रारंभिक जांच के बाद दावा किया है कि 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद ‘आप’ सरकार ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में ‘फीडबैक यूनिट’ का गठन किया और इससे नेताओं की जासूसी कराई गई। सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है।
80 के दशक के अंत में कर्नाटक की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया था जब तब के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े पर फोन टैपिंग के आरोप लगे। सुब्रमण्यम स्वामी ने 1998 में एक खत जारी करते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट के प्रमुख को नेताओं, कारोबारियों और पत्रकारों का फोन टेप करने को कहा। हंगामा बढ़ने पर मुख्यमंत्री रामकृष्ण को पद छोड़ना पड़ा था। इस्तीफे के बाद उन्होंने स्वामी पर मानहानि का मुकदमा किया था और जेडीएस में शामिल हो गए थे।
1990 में तब के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी जासूसी के आरोपों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के घर के बाहर हरियाणा सीआईडी के दो पुलिसकर्मियों के पकड़े जाने पर जासूसी का शोर मचा। कांग्रेस के समर्थन से बनी समाजवादी जनता पार्टी की सरकार 4 महीने में ही गिर गई थी। जासूसी के आरोपों से रिश्तों में आई खटास की वजह से कांग्रेस ने संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में साथ नहीं दिया और सरकार गिर गई। उस समय हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे जोकि समाजवादी जनता पार्टी के ही नेता था। कहा गया कि चंद्रशेखर के कहने पर चौटाला ने राजीव गांधी की जासूसी कराई।
क्या केजरीवाल के लिए भी बढ़ेंगी मुश्किलें?
देश में जासूसी के प्रकरण से पहले हुए घटनाक्रम को देखते हुए पूछा जा रहा है कि क्या केजरीवाल सरकार के सामने भी अभूतपूर्व संकट आने वाला है? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीबीआई को जांच की मंजूरी मिलने के बाद केजरीवाल सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए भी कि सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है, जोकि विजिलेंस डिपार्टमेंट के प्रमुख हैं। भारतीय जनता पार्टी ने केस दर्ज होने से पहले ही इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना लिया है। गुरुवार को भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।