रायबरेली। मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि यूपी में अपराधी नहीं सुधरे तो उनका ठिकाना जेल होगा. मगर ये नहीं बताया था कि जेल ही अपराधियों की अय्याशगाह बन जाएगी. यूपी सरकार की नींद उड़ा देने वाला ऐसा ही एक वीडियो वायरलहो रहा है. जिसमें साफ देखा जा सकता है कि रायबरेली जेल अपराधियों के लिए कैसे जन्नत बन गई, कैसे वहां उनका सिक्का चलता है. कैसे अपराधी तमंचे और कारतूस से जेल में खेलते हैं, कैसे वो जेल से ही लोगों को धमकियां दे रहे हैं.
वीडियो में रायबरेली की जेल का दृश्य दिखता है. जहां कत्ल के आरोपियों की महफिल सज़ी है. शराब रखी है, बढ़िया सा चखना है, कारतूस हैं, तमंचा है, मोबाइल फोन है. संगीन जुर्म में बंद इन आरोपियों की बातें सुनेंगे तो पांव के नीचे से जमीन खिसक जाएगी. वो मोबाइल से कॉल करके लोगों को धमका रहे हैं.
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे इन अपराधियों के आगे पूरा का पूरा जेल प्रशासन नतमस्तक है. कैसे अपराधी जेल में बैठकर बोलियां लगाते थे कि जेलर दस हजार में बिकेगा, डिप्टी जेलर की कीमत पांच हजार भी बहुत है. जब जेलर बिक गया हो. डिप्टी जेलर बिक गया हो. जेल का एक एक पुलिसकर्मी बिक गया हो. तो अपराधी जेल से फोन पर अपने गवाह को धमकाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
जेल के भीतर इन अपराधियों का रसूख देखने लायक है. वे जेल के भीतर से अपना हुक्म चलाते हैं. जेल के अधिकारियों को खरीद लेते हैं. दरअसल, ये वीडियो रायबरेली जेल की बैरक नंबर 10 में बंद संगीन जुर्म के आरोपियों का है. जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे जेल के भीतर ये शातिर अपराधी हथियारों से खेलते हैं. कैसे शराब सिगरेट की पार्टी करते हैं. कैसे ये पुलिसवालों को खरीदते हैं.
अब आपको बताते हैं कि ये आरोपी हैं कौन. पार्टी का मुख्य आयोजक अंशू दीक्षित है, जो पेशेवर अपराधी है. हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र नेता विनोद त्रिपाठी की हत्या के मामले में उसका नाम सामने आय़ा था. उसके अलावा वीडियो में अजीत चौबे, सिंगार सिंह, सोहराब और निखिल सोनकर नज़र आ रहे हैं.
इन सब पर सीतापुर, लखीमपुर, लखनऊ, हरदोई, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद में लूट और हत्या के कई मामले दर्ज हैं. मतलब ये कि ये कोई ऐरे गैरे नहीं, बल्कि खूंखार अपराधी हैं. वीजियो में ये जिस अपराधी राम चंदर तिवारी की बात कर रहे हैं. वो इस जेल का डिप्टी जेलर हैं. ये जिस जेलर को पैसे देने की बात कर रहे हैं, उसका नाम गोविंद वर्मा है. और बाकी लोगों से जो ये सामान मंगवाने की बात कर रहे हैं, उनमें जेल का मुख्य वार्डन लालता प्रसाद और वार्डन शिवमंगल सिंह शामिल है.
ये वीडियो सामने आया, वायरल हुआ तो पुलिस की नींद उड़ गई. आनन फानन में कार्रवाई का दौर शुरु हुआ. डीएम ने छापा मारा, तो मोबाइल फोन, तमंचे, शराब की बोतलें, सिगरेट माचिस, सब बरामद हुआ. डीआईजी जेल उमेश कुमार खुद जांच के लिए पहुंचे. जांच में आरोप सच साबित हुए और फिर शुरु हुआ कार्रवाई का दौर.
कार्रवाई के नाम पर एसएसपी, जेलर और डिप्टी जेलर समेत 6 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया. पुलिस वालों पर कार्रवाई हुई. आरोपियों को दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. मगर जिस तरह से जेल की ये तस्वीरें सामने आई हैं, उससे साबित होता है कि बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी जैसे अपराधी की हत्या हो जाने के बाद भी यूपी पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया.
अब कार्रवाई भले ही हो गई है, मगर इस वीडियो ने बता दिया कि यूपी में सरकार चाहे जिसकी हो, अगर अपराधियों का रसूख है, तो यूपी में जेल भी जन्नत हो जाया करती है.