UP में वॉकओवर दे रही कांग्रेस? प्रियंका गांधी ने तो आना ही किया बंद

पटना से बेंगलुरु तक मीटिंग, पर UP में वॉकओवर दे रही कांग्रेस? प्रियंका गांधी ने तो आना ही किया बंदलखनऊ। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा हुआ है। बीजेपी समेत तमाम दलों ने तैयारियों शुरू कर दी हैं। सीटों के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में बीजेपी समेत सभी क्षेत्रिय दल जोर-शोर से बैठक करने में लगे हुए हैं, लेकिन कांग्रेस की तैयारियों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल, यूपी में कांग्रेस की राज्य कार्यकारी समिति की घोषणा लंबे समय से लंबित है। यूपी विधानसभा चुनाव तक प्रियंका गांधी काफी सक्रिय थीं, लेकिन उसके बाद अब प्रदेश में उनकी सक्रियता काफी कम हो गई है। उन्होंने लखनऊ की यात्रा आखिरी बार जून 2022 में की थी, जब वह पार्टी के तत्कालीन नवसंकल्प शिविर के तहत दौरे पर गई थीं। ऐसे में कांग्रेस के ही नेता अटकलें लगा रहे हैं कि क्या गांधी परिवार यूपी से दूरी बनाने जा रहा है या फिर वह पहले जैसे ही काम करता रहेगा। मालूम हो कि पटना में पिछले दिनों हुई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस शामिल थी। अब अगले महीने फिर से एक और बैठक होने जा रही है, जिसके बारे में शरद पवार ने कहा है कि यह बेंगलुरु में हो सकती है। लेकिन तमाम राज्यों में सक्रियता के बावजूद भी यूपी में कांग्रेस ज्यादा एक्टिव नहीं दिखाई दे रही।

विधानसभा चुनाव के बाद अजय कुमार ‘लल्लू’ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने दलित वोटों को साधने की रणनीति के तहत प्रदेश कांग्रेस की कमान बृजलाल खाबरी को सौंप दी थी। खाबरी का दावा है कि उन्होंने नई कार्यकारिणी समिति के लिए नाम पार्टी आलाकमान को भेज दिए हैं, लेकिन अभी तक सूची को मंजूरी नहीं दी गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आलाकमान इसमें कुछ बदलाव कर सकता है। खाबरी ने कहा, ”नाम भेज दिए गए हैं और समिति जल्द ही आने की उम्मीद है।”

कभी बसपा चीफ मायावती के करीबी नेताओं में शुमार रहे बृजलाल खाबरी को यूपी कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किए गए नौ महीने से ज्यादा हो चुके हैं। उनके बाद कांग्रेस आलाकमान ने छह जोनल अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे। इन वरिष्ठ नेताओं को छह अलग-अलग क्षेत्रों का प्रभार सौंपा गया। अगला कदम खाबरी की सहायता के लिए एक राज्य कार्यकारी समिति का गठन करना था। हालांकि, नौ महीने बाद भी, यूपीसीसी को अभी तक अपनी नई समिति नहीं मिली है, लेकिन इसके बावजूद खाबरी विभिन्न मुद्दों पर अभियान की योजना बना रहे हैं। वह अब स्वयं ही संभागीय बैठकें आयोजित कर रहे हैं और जुलाई के पहले सप्ताह में बैठकों के एक और सेट की योजना बनाई है।