महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अजीत पवार गुट के शामिल होने से भले ही सरकार और मजबूत हुई हो लेकिन सरकार के अंदर सहयोगी दलों के बीच खटपट की आशंका भी बढ़ गई है। खासकर नए मंत्रियों को विभागों के आवंटन के मुद्दे पर शिवसेना के शिंदे गुट के विधायकों में नाराज़गी बढ़ गई है। हालांकि, बीजेपी की कोशिश है कि दोनों सहयोगी दलों को साधते हुए 2024 तक का सफर तय करें।
सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार ने एनसीपी कोटे के मंत्रियों के लिए वित्त और योजना, बिजली, सिंचाई, सहयोग और विपणन जैसे विभागों की मांग की है। उनका तर्क है कि पार्टी (एनसीपी) के पास उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान यही विभाग थे, इसलिए इस बार भी उन्हें वही विभाग दिए जाने चाहिए।
उधर, शिंदे गुट के विधायकों का कहना है कि जब अजित पवार के पास महा विकास अघाड़ी सरकार में वित्त विभाग था, तो वह एनसीपी के गढ़ों में परियोजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करते थे, जिससे राज्य में एनसीपी का दबदबा बढ़ गया और शिवसेना को भारी नुकसान हुआ था। विधायकों ने मुख्यमंत्री शिंदे से कहा कि अगर एनसीपी को दोबारा वही विभाग आवंटित किए गए तो यह शिंदे गुट को सरकार और गठबंधन में तीसरे स्थान पर धकेल देगा।
विधायकों ने सीएम एकनाथ शिंदे से अजित पवार और उनके मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभाग आवंटित करने के प्रयासों का पुरजोर विरोध करने को कहा है। अजित को वित्त मंत्रालय मिलने की अटकलों से शिंदे खेमे की बेचैनी बढ़ गई है। इसबीच, भाजपा नेताओं ने कहा कि सेना गुट की चिंताएँ वैध हैं, लेकिन एनसीपी गुट को ‘उसके कद के अनुरूप’ विभाग आवंटित करना होगा। मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए अजित पवार ने भी संकेत दिए हैं कि सरकार में शामिल होने से शिंदे खेमा नाराज है।
पवार के इस बयान पर शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावले ने कहा, “गुस्सा करके हम क्या हासिल कर सकते हैं? लेकिन जब पूरी रोटी की उम्मीद करने वालों को आधी रोटी मिलेगी और आधी रोटी की उम्मीद करने वालों को चौथाई मिलेगी, तो कुछ तो गुस्सा होगा ही।”