नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से झटका लगा है। मानहानि केस में राहत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई है। हाईकोर्ट के फैसले पर उनकी बहन और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इस फैसले को ‘अहंकारी सत्ता का हथकंडा’ करा दिया है। इसके लिए उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की बहुचर्चित कविता ‘समर शेष है’ का सहारा लिया है।
वह आगे लिखती हैं, ”अहंकारी सत्ता सच को दबाने के लिए हर हथकंडे आजमा रही है, जनता के हितों से जुड़े सवालों से भटकाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, छल, कपट: सब अपना रही है। लेकिन, सत्य, सत्याग्रह, जनता की ताकत के सामने न तो सत्ता का अहंकार ज्यादा दिन टिकेगा और न ही सच्चाई पर झूठ का परदा। राहुल गांधी जी ने इस अहंकारी सत्ता के सामने जनता के हितों से जुड़े सवालों की ज्योति जलाकर रखी है।”
प्रियंका गांधी ने आगे कहा, ”इसके लिए वे हर कीमत चुकाने को तैयार हैं और तमाम हमलों व अहंकारी भाजपा सरकार के हथकंडों के बावजूद एक सच्चे देशप्रेमी की तरह जनता से जुड़े सवालों को उठाने से पीछे नहीं हटे हैं। जनता का दर्द बांटने के कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं। सत्य की जीत होगी। जनता की आवाज जीतेगी। जय हिंद।”
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह ”मोदी उपमान” संबंधी टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराने संबंधी फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा, ”हमारे सामने एक और विकल्प है… उच्चतम न्यायालय। चलिए देखते हैं। कांग्रेस पार्टी यह विकल्प भी अपनाएगी।”
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत का कांग्रेस नेता को दोषी ठहराने का आदेश ”न्यायसंगत, उचित और वैध” है। यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।