बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दिन का दिल्ली दौर खत्म कर गुरुवार को पटना लौट आए। नीतीश की दिल्ली में कोई राजनीतिक मेल-मुलाकात या बैठक नहीं हुई जिसकी चर्चा लगातार दो दिन से हो रही थी। चर्चा थी कि नीतीश की दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भी मुलाकात हो सकती है लेकिन दौरे के दौरान नीतीश ने कोई राजनीतिक भेंट नहीं किया। पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों ने जब राजनीतिक मुलाकातें ना होने पर सवाल पूछा तो नीतीश ने कहा कि उनकी किसी नेता से मुलाकात की कोई योजना ही नहीं थी। जेडीयू सूत्रों ने बताया कि वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के बाद नीतीश को आंख के डॉक्टर को दिखाना था। वो इसी दो काम के लिए गए थे।
नीतीश कुमार बुधवार को दिल्ली में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर गए थे और वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उनको फूल चढ़ाया था। दिल्ली से लौटने पर नीतीश ने कहा कि वो वाजपेयी का बहुत सम्मान करते हैं और शुरू से उनके साथ रहे थे। वाजपेयी के समय और अभी के एनडीए पर बात करते हुए नीतीश ने कहा कि 1999 में अटल जी ने ही इस गठबंधन का नाम एनडीए रखा था। पहले जब हम लोग साथ थे तो सभी पार्टी एक साथ बैठक करते थे। अटल जी के बाद बैठक बंद कर दिया और जब विपक्षी दलों की बैठक हुई तो आनन-फानन में बैठक करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब हम सभी लोग साथ आ गए हैं तो बीजेपी वाले बेचैन हो गए हैं।
प्रशांत किशोर के बयान कि जेडीयू को 5 सीट भी नहीं आएगा पर नीतीश ने कहा की मैं ऐसे लोगों की बात का जवाब नहीं देता। पत्रकारों ने महाराष्ट्र में एनसीपी नेता शरद पवार और उनके डिप्टी सीएम भतीजे अजित पवार की ताजा मुलाकात पर सवाल पूछा तो नीतीश ने कहा कि ऐसी-वैसी कोई बात नहीं है, उसने बातचीत होती रहती है और हम लोग फिर मुंबई में साथ बैठने वाले हैं। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव को देश के हित में बताते हुए कहा कि जनता इस बार पहले से मूड बना चुकी है।