नई दिल्ली। इसरो के वैज्ञानिकों के लगन और मेहनत ने वह कर दिखाया (Chandrayaan 3 Ssoft landing on moon) जो आजतक किसी भी देश ने या कहीं के भी वैज्ञानिकों ने किया था। चंद्रयान-3 के (Chandrayaan 3 latest update) लैंडर विक्रम की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर (Lander Vikram soft landing news) सॉफ्ट लैंडिंग का करिश्मा। जिस जगह पर विक्रम उतरा उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘शिव शक्ति’ (Shiv Shakti the name of Vikram landing point) का नाम दिया है। लेकिन इस ‘नामकरण’ पर कुछ सियासतदानों ने विवाद पैदा करने की कोशिश की। इस बीच इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चेयरमैन (ISRO Chief S Somanath) एस. सोमनाथ ने कहा है कि लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर कोई विवाद नहीं हैं। देश को उस जगह का नाम रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस नामकरण में कुछ भी गलत नहीं है। इसरो चीफ ने चांद पर लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने पर कहा, ‘प्रधानमंत्री ने इसका अर्थ भी इस तरह समझाया जो हम सभी के लिए उचित है।’
इसरो चीफ ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। और उन्होंने (प्रधानमंत्री) ही अगला नाम तिरंगा भी दिया और दोनों ही नाम भारतीय हैं। देखिए, हम जो कुछ करते हैं, उसे हमें महत्व देना चाहिए। देश का प्रधानमंत्री होने के नाते नाम रखना उनका अधिकार है’
एस सोमनाथ ने रविवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में पौर्णमिकवु-भद्रकाली मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विज्ञान और आस्था दो अलग-अलग चीजें हैं, दोनों को मिलाने की जरूरत नहीं है।
इसरो चीफ ने कहा, ‘मैं एक खोजकर्ता हूं, मैं चांद का अन्वेषण करता हूं। मैं आंतरिक अंतरिक्ष को एक्सप्लोर करता हूं। विज्ञान और अध्यात्मिकता दोनों को एक्सप्लोर करना मेरी जिंदगी का हिस्सा है। इसलिए मैं तमाम मंदिर भी जाता हूं और तमाम ग्रंथ भी पढ़ता हूं। इसलिए हमारे अस्तित्व और ब्रह्मांड में हमारी यात्रा का अर्थ समझने की कोशिश करता हूं। लिहाजा यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है कि हम सभी एक्सप्लोर करने के लिए बने हैं। अपने अंतस की खोज, आंतरिक आत्मा की खोज के साथ-साथ बाहर से हम क्या हैं, उसकी खोज। आउटर सेल्फ की खोज के लिए मैं विज्ञान को साधता हूं और आंतरिक खोज के लिए मंदिर आता हूं।’
एस. सोमनाथ ने कहा कि चांद पर उतरने वाले स्थान का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने को लेकर कोई विवाद नहीं है। देश को उस स्थान का नाम रखने का अधिकार है। इसरो चीफ ने कहा कि कई अन्य देशों ने चंद्रमा पर अपना नाम रखा है और यह हमेशा संबंधित राष्ट्र का विशेषाधिकार रहा है।
इसरो चीफ ने कहा कि भारत पहला देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। दक्षिणी ध्रुव में चंद्रमा की सतह पर्वतों और घाटियों के कारण बहुत पेचीदा है और यहां तक कि थोड़ी सी गणना त्रुटि के कारण भी लैंडर मिशन में विफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसरो ने अभियानों के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को प्राथमिकता दी है, क्योंकि यहां की सतह खनिजों से समृद्ध है, जिसे रोवर द्वारा चंद्रमा की सतह से उचित प्रतिक्रिया मिलने के बाद वैज्ञानिकों द्वारा तेज किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रूसी मिशन को 2021 में पूरा होना था और उस देश में युद्ध के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
एक सवाल के जवाब में सोमनाथ ने कहा कि रोवर चंद्रमा की सतह से जो तस्वीरें ले रहा था, उन्हें इसरो स्टेशनों तक पहुंचने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इसरो द्वारा इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों के ग्राउंड स्टेशनों का सपोर्ट मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि चंद्रमा की सतह पर वायुमंडल नहीं है, इसलिए सभी छायाएं अंधेरी हैं और इससे स्पष्ट तस्वीरें प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।