एक ऐसा गेम जिसमें मुकाबला तो होता था, लेकिन फैसला पहले से ही तय हो जाता था. कौन हारेगा? हालांकि हारने वाले को पता नहीं चलता था, क्योंकि गेम का पैटर्न ही ऐसा था. इस डायलॉग की तरह… ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं…’ यानी जब तक कंगाल नहीं करेंगे, तब तक जाल में फंसाकर रखेंगे. यही था महादेव ऐप का असली काम.
दरअसल, महादेप ऐप की खूब चर्चा हो रही है, क्योंकि इसमें अब बॉलीवुड का तड़का लग गया है. बड़े-बड़े सितारे लपेटे में हैं. रणबीर कपूर, कपिल शर्मा समेत करीब 15-16 सेलेब्रिटीज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर हैं. हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं, कैसे जूस की दुकान चलाना वाला चंद साल में ही 20 हजार करोड़ रुपये का मालिक हो गया.
‘महादेव ऐप’ के जरिये दुनियाभर में लोगों को चूना लगाने के पीछे केवल दो मास्टरमाइंड हैं- सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल. इन दोनों ने ही मिलकर इस ऐप को शुरू किया था. बताया जा रहा है कि महादेव ऐप का घोटाला करीब 5000 करोड़ रुपये है. कैसे सौरव चंद्राकर (Sourabh Chandrakar) ने अपने दोस्त रवि उप्पल (Ravi Uppal) के साथ मिलकर लोगों को चूना लगाया और फिर UAE को अपने काले कारोबार का गढ़ बना दिया. लेकिन उससे पहले सौरभ चंद्राकर के बारे में बताते हैं, कैसे एक छत्तीसगढ़ में एक जूस की दुकान चलाते-चलाते सट्टेबाजी का सौदागर बन गया.
कुछ साल पहले तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सौरभ चंद्राकर ‘जूस फैक्ट्री’ के नाम जूस की दुकान चलाता था. अब रोड साइड जूस बेचने वाले की आय तो सीमित होती है. लेकिन सौरभ चंद्राकर को कुछ बड़ा करना था, मोटा पैसा कमाना था. पहले तो उसने अपनी जूस की दुकान को ही फैलाना शुरू किया, छत्तीसगढ़ के कई शहरों में जूस फैक्ट्री के नाम से दुकानें खुलीं.
कहानी यहां से मोड़ लेती है… सौरभ चंद्राकर को जूस बेचने के साथ-साथ सट्टा खेलने की भी आदत थी. पहले वह ऑफलाइन सट्टा खेलता था. लेकिन कोरोना की वजह से ऑनलाइन सट्टा खेलने लगा. लॉकडाउन के दौरान उसने सट्टेबाजी ऐप बनाने का फैसला किया और फिर यहां एंट्री होती है रवि उप्पल की.
महादेव ऐप से कैसे ठगी?
दोनों ने मिलकर कोरोना काल में सट्टेबाजी के लिए एक ऐप बनाया, जिसका नाम महादेव ऐप नाम दिया. इस ऐप सोशल मीडिया पर इस तरह फैला कि कुछ ही दिनों में करीब 50 लाख लोग इसके मेंबर बन गए. क्योंकि देश में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज चरम पर है. बच्चे, युवा से लेकर बुजुर्ग इसकी गिरफ्त में हैं. जिससे ‘महादेव ऐप’ जैसे ठगों की दुकाने चल पड़ी.
‘महादेव ऐप’ का सूत्रधार 28 साल के सौरभ चंद्राकर छत्तीसगढ़ का रहने वाला है और उसने सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के लोगों को ही चूना लगा गया है. पिछले साल जब ईडी ने इसकी जांच शुरू की तो घोटाले का आकार देख हैरान रह गए. गेमिंग ऐप के बैंक खाते से पिछले एक साल में कुल 5000 करोड़ रुपये की लेन-देन की गई. यही नहीं, इस मामले में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां भी छत्तीसगढ़ से ही हुई हैं.
अब आइए बताते हैं कैसे महादेव ऑनलाइन गेमिंग ऐप के जरिये ठगी को अंजाम दिया है. इस गेम की शुरुआत केवल 500 रुपये से होती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी लत लग सके. महादेव ऐप (Mahadev App) पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस और फुटबॉल जैसे विभिन्न लाइव गेम में सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध करता है.
महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप पिछले 4 साल से चालू है. बेटिंग ऐप को 70:30 के लाभ अनुपात पर फ्रेंचाइजी देकर चलाया जाता है. इसका हेडक्वार्टर UAE में है. इस एप्लीकेशन के कॉल सेंटर श्रीलंका और नेपाल में भी है. माना जाता है कि इसका नेटवर्क भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश समेत अन्य कई देशों में फैला हुआ है.
महादेव ऐप पर सभी लॉटरी और बेटिंग ऑप्शन को इस तरह से डिजाइन किया गया था, इसे खेलने वाला प्लेयर्स हमेशा पैसे खोता था और कंपनी फायदे में रहती थी. लेकिन शुरुआत में हारने वाले को भी जीता हुआ दिखाया जाता था. इस ऐप में लोगों को छोटी-छोटी रकम में जीत मिलती रहती थी. लगातार जीत देकर बैटिंग करने वालों का भरोसा जीतकर सट्टे का लत लगवाया जाता था, और फिर बाद में जब कोई बड़ी रकम लगाता था तो वह हार जाता.
बड़ी रकम की लालच में हजारों लोग अपनी गाढ़ी कमाई इस ऑनलाइन सट्टा ऐप में लुटा चुके हैं. ऑनलाइन गेम के सॉफ्टवेयर की कमांड संचालकों के हाथ में होने के कारण इसमें खेलने वाले की हार लगभग तय होती थी. इस ऐप का विस्तार कितना था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले छत्तीसगढ़ में इसके 30 सेंटर थे. जांच एजेंसियों को शक है कि यह घोटाला 5000 करोड़ रुपये का हो सकता है. पिछले साल करीब 10 लाख लोगों ने महादेव गेमिंग ऐप पर सट्टा लगाया. ये सट्टा 500 रुपये से 5000 रुपये तक के होते थे. यह एक बेटिंग ऐप है. महादेव ऐप ने केवल बैटिंग करवाकर पैसा कमाया, और हवाला के जरिये न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी फंड ट्रांसफर किए गए.
इस सट्टेबाजी में यूजर को व्हाट्सऐप के जरिये जोड़ा जाता है और उन्हें पैसे लगाने के लिए कहे जाते हैं. सोशल मीडिया पर विज्ञापन के जरिए लोगों को ऐप पर पैसे लगाने का लालच दिया जाता. जो नंबर संपर्क करने के लिए दिए गए, उसपर केवल व्हाट्सएप के जरिये संपर्क होता है.
जैसे ही कोई व्यक्ति पैसे लगाने के लिए संपर्क करता तो उसे 2 अलग-अलग नंबर दिए जाते थे. एक नंबर का उपयोग ऐप में पैसे जमाकर पॉइंट इकट्ठा करने में किया जाता, इन पॉइंट से सट्टा लगाया जाता. जबकि दूसरे नंबर से यूजर जीते हुए पॉइंट को रकम में बदलकर अपने खाते में डलवा सकता था. खबरों के मुताबिक ये सारा लेन-देन बेनामी खातों के जरिए किया जाता था.
खुलासे की कड़ी में ये बात सामने आई है कि करीब 10 हजार से ज्यादा बैंक खाते इसके लपेटे में हैं. ये सभी सेविंग खाते हैं. महादेव ऐप के संचालक सेविंग खातों से फ्रॉड किए पैसों को कॉर्पोरेट खाते में भेज दिया करते थे. इस ठगी को दुबई से ऑपरेट किया जा रहा था. इसका मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर अभी भी दुबई में है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले महीने महादेव ऑनलाइन लॉटरी ऐप मामले की जांच करते हुए कोलकाता, भोपाल, मुंबई समेत देश के विभिन्न शहरों में छापेमारी कर के 417 करोड़ की संपत्ति फ्रीज और जब्त की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया था.
बीते एक साल में महादेश ऐप के जरिए 5000 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है. हवाला के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई. कंपनी की कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महादेव ऐप की मदद से हर रोज करीब 200 करोड़ रुपये की कमाई की जा रही थी.
बॉलीवुड के ये सितारे लपेटे में
अब बताते हैं कैसे बॉलीवुड के बड़े सितारे लपेटे में आए हैं. फरवरी 2023 में सौरभ चंद्राकर की UAE के रास अल-खैमा में शादी थी. आरोप है कि इस शादी में महादेव ऐप के प्रमोटरों ने 200 करोड़ रुपये नकद खर्च किए. परिवार के सदस्यों को नागपुर से यूएई ले जाने के लिए प्राइवेट जेट किराये पर लिए गए थे. इस शादी में नामचीन हस्तियों को बुलाया गया था. जिसमें नेहा कक्कड़, टाइगर श्राफ, भाग्यश्री समेत करीब 15-16 से सेलिब्रिटीज परफॉर्म करने के लिए UAE पहुंचे थे.