नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा को दिल्ली में आवंटित टाइप-7 का सरकारी बंगला खाली करना पड़ा सकता है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार (6 अक्टूबर) अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया है। इस आदेश में राज्यसभा सचिवालय को कहा गया था कि राघव चड्ढा से बंगला खाली न करवाया जाए। मार्च में सचिवालय ने चड्ढा को बंगला खाली करने का नोटिस दिया था।
दरअसल, कोर्ट ने इस साल अप्रैल में उन्हें इस सरकारी आवास से बेदखल किए जाने पर रोक लगा दी थी। इस रोक को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सुधांशु कौशिक ने गुरुवार (6 अक्टूबर 2023) को हटा लिया। अदालत ने कहा कि राघव चड्ढा को आवंटित आवास एक विशेषाधिकार मात्र है, जो उन्हें एक सांसद के रूप में दिया गया है। इस पर वे कब्जे के अधिकार का दावा नहीं कर सकते।
इस मामले में चड्ढा ने अजीबो-गरीब तर्क दिया है। AAP सांसद ने कहा, “मेरे कई पड़ोसी पहली बार सांसद बने हैं, जिनमें श्री सुधांशु त्रिवेदी, श्री दानिश अली, श्री राकेश सिन्हा और सुश्री रूपा गांगुली शामिल हैं। इन्हें भी इनकी पात्रता से ऊपर वाले आवास आवंटित है। मुझे भी इनके समकक्ष का ही आवास आवंटित किया गया।”
दरअसल, राज्यसभा सचिवालय का कहना है कि पहली बार सांसद बने राघव चड्ढा को टाइप-6 बंगला आवंटित करने का अधिकार है। टाइप-7 बंगला उन सदस्यों को है, जो पहले केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री या लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं।
राघव चड्ढा ने कहा कि यह बंगला नियमानुसार उन्हें आवंटित किया गया था और इसे बिना किसी सूचना के रद्द किया गया है। यह राज्यसभा सचिवालय का मनमाना रवैया है। उन्होंने कहा कि वे वे वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल अभी 4 साल बाकी है। उन्होंने कहा कि इस तरह से आवास छिनना 70 से अधिक वर्षों के इतिहास की अप्रत्याशित घटना है।
दरअसल, राघव चड्ढा को 6 जुलाई 2022 को राज्यसभा सांसद के रूप में पंडारा पार्क में टाइप-6 बंगला आवंटित किया गया था। इसके बाद उन्होंने 29 अगस्त 2022 को राज्यसभा के सभापति से अनुरोध किया कि उन्हें टाइप-7 बंगला दी जाए। इसके बाद उन्हें राज्यसभा पूल से पंडारा रोड पर एक और बंगला आवंटित किया गया था।
इस साल 3 मार्च को राज्यसभा सचिवालय ने इस आवंटन को रद्द कर दिया। आवंटन रद्द करने के आदेश के खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुँच गए। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में चड्ढा के आवास आवंटन को निलंबित करने पर रोक लगा दी। इसके बाद अब अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए कोर्ट ने आवास को खाली करने का आदेश दे दिया।