लखनऊ। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस में सपा नेता आजम खान को सात साल की सजा सुनाई गई है. इतना ही नहीं उनके बेटे अब्दुला आजम और पत्नी तंजीम फातिमा भी 7-7 साल तक जेल में रहेंगे. रामपुर की एमपी-एमएलएल कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए तीनों को सीधे जेल भेजने का आदेश दिया है. दरअसल, ये मामला साल 2017 में हुए विधान सभा चुनाव से जुड़ा हुआ है. उस वक्त आजम खान के बेटे अब्दुला ने रामपुर की स्वार विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस दौरान उन्होंने चुनावी फार्म में अपनी जो उम्र बताई थी, वो फर्जी थी. आजम खान ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर उन्हें चुनाव लड़ाया था.
बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया था. इसमें आजम खान, अब्दुला और तंजीम तीनों को आरोपी बनाया गया था. पुलिस जांच में खुलासा हुआ था कि अब्दुला ने पहला जन्म प्रणाम पत्र विदेश यात्रा के लिए बनवाया था, जबकि दूसरा सरकारी कार्यों और जौहर यूनिवर्सिटी के लिए बनवाया था. सबकुछ सुनियोजित साजिश के तहत किया गया था. जांच में सामने आया था कि पहला जन्म प्रणाम पत्र रामपुर नगर पालिका ने 28 जून 2012 को जारी किया था, जिसमें उनका जन्म स्थान रामपुर बताया गया था.
बहुत लंबी है आजम खान के खिलाफ दर्ज केस की लिस्ट
आजम खान समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. मुलायम सिंह यादव के जमाने में उनकी तूती बोलती थी. यूपी में जब भी सपा सरकार बनी, उनका रुतबा मुख्यमंत्री से कम नहीं रहा. रामपुर से लखनऊ तक उनका जलवा था. वो कई बार विधायक, राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद, कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तक रहे हैं. लेकिन साल 2017 में सत्ता में योगी आदित्यनाथ के आने के बाद से उनके बुरे दिनों की शुरुआत हो गई. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उनके द्वारा दिया गया एक बयान उनके गले की फांस बन गया, जिसमें उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों पर अभद्र टिप्पणी की थी.
‘डीएम तनखईया है, डरियो मत, जूते साफ कराऊंगा’
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आजम खान अपने सबाब पर थे. चुनाव प्रचार के दौरान धड़ल्ले से विवादित बयान दिए जा रहे थे. उन्होंने कई बार सीधे योगी आदित्याथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था. इसी दौरान एक दिन उन्होंने प्रशासिनक अधिकारियों पर अभद्र टिप्पणी कर दी. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. इसमें आजम ने कहा था, ”कलेक्टर पलेक्टर से मत डरियो, यह तनखईया है. हैं, तनखईयों से नहीं डरते हैं. और देखें हैं मायावती जी के फोटो, कैसे बड़े-बड़े अफसर रुमाल निकालकर जूते साफ कर रहे हैं. हां, उन्हीं से है गठबंधन. उन्हीं के जूते साफ कराऊंगा इनसे अल्लाह ने चाहा”.
एक साल में दर्ज हुए 70 केस, ज्यादातर थे पुराने मामले
साल 2017 में रामपुर में आन्जनेय कुमार सिंह डीएम थे. उन्होंने आजम खान के बयान को शायद गंभीरता से ले लिया. इसके बाद योगी सरकार के सहयोग से उन्होंने आजम के खिलाफ पुराने फाइलों को खोलना शुरू कर दिया. 20 साल पहले दर्ज मामलों में भी नए सिरे एफआईआर दर्ज होने लगी. इस तरह साल 2019 में अचानक 70 से अधिक केस दर्ज हो गए. इसमें ज्यादातर पुराने थे. इनमें से एक केस शिकायत के 16 साल बाद, 22 केस शिकायत के 13 साल बाद दर्ज हुआ था. उनके खिलाफ पहला केस 12 जुलाई 2019 को 2.19 बजे दोपहर में दर्ज हुआ था. इसी साल 16 जुलाई को सुबह 10.30 बजे से रात 11.30 के बीच 8 केस दर्ज हो गए.
आजम खान के खिलाफ कई अजब-गजब के मामले भी दर्ज हैं. इनमें पाजेब, बकरी और भैंस चुराने का भी मामला है. इसके साथ ही जमीन पर कब्जा, नदी की जमीन पर कब्जा, शत्रु संपत्ति कब्जाने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी, लोक प्रतिनिधि अधिनियम, आचार संहिता उल्लंघन, यौन उत्पीड़न, हत्या के प्रयास सहित, डकैती, छेड़छाड़, धमकाने, मारपीट, गाली गलौज और बलवा के मामले भी दर्ज हैं. इस तरह उनके खिलाफ 103 मामले दर्ज हैं. इसका जिक्र उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान चुनाव आयोग में दाखिल अपने हलफनामे में किया है. कई मामलों में उनके साथ बेटे अब्दुलाह और पत्नी तंजीम को भी नामजद किया गया है.
आजम खान के खिलाफ ज्यादातर केस आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 452 (चोट, हमला या गलत तरीके से रोकने की तैयारी के बाद घर में अतिक्रमण), 504 (जानबूझकर अपमान करना, किसी को उकसाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 354 (किसी महिला पर हमला करना या आपराधिक बल का उपयोग करना या अपमानित करने का इरादा रखना), 307 (हत्या का प्रयास), 395 (डकैती), 447 (आपराधिक अतिक्रमण), 427 (पचास रुपए की राशि को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 412 (कमीशन में चोरी की गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) 120 बी (आपराधिक साजिश), 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर मामले लंबित हैं.