पत्नी या पति के जीवित रहते असम के कर्मचारी अब दूसरी शादी नहीं कर पाएँगे। यह सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। मजहब के हिसाब से छूट नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम सरकार दूसरी शादी की इजाजत किसी भी कर्मचारी को नहीं देगी, भले ही उनका मजहब इसकी इजाजत देता हो। विशेष परिस्थितियों में दूसरी शादी के लिए कर्मचारियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।
सीएम सरमा ने बताया कि ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जब मुस्लिम कर्मचारी दो शादी कर लेते हैं। बाद में उनकी दोनों बीवी पेंशन के लिए लड़ती रहती हैं। इसे देखते हुए यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कानून पहले से ही था। अब इसे लागू करने का फैसला किया गया है।
HCM Dr @himantabiswa speaks on the circular pertaining to restrictions on more than one marriage for government employees in Assam. pic.twitter.com/syalHBpbqG
— Chief Minister Assam (@CMOfficeAssam) October 27, 2023
बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का यह आदेश असम के चार लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए 58 साल पहले बनाए गए एक सेवा नियम के तहत आया है। इसके अनुसार सरकार की सहमति के बगैर कर्मचारी तब तक दूसरी शादी नहीं कर सकते जब तक पहला पति या पत्नी जीवित है।
असम सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 26 के तहत सरकार की मंजूरी के बगैर दूसरी शादी प्रतिबंधित है। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करता है तो उसे कदाचार माना जाता है।
ये अधिसूचना कार्मिक अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा ने शुक्रवार (20 अक्टूबर,2023) को जारी की थी, लेकिन यह गुरुवार (26 सितंबर,2023) को सामने आई। इसमें कहा गया है कि दिशा-निर्देश असम सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 26 के प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं।
इस आदेश में कहा गया है, “इन प्रावधानों के संदर्भ में, अनुशासनात्मक प्राधिकारी इस नियम को न मानने वाले कर्मचारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति सहित बड़ा जुर्माना लगाने के लिए तत्काल विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।”