यूपी के मुजफ्फरनगर में एक स्कूल ने 8 अभिभावकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. इन सभी पर कोरोना काल में कुछ महीनों की फीस ना देने का आरोप है. साथ ही स्कूल से टीसी लिये बिना किसी दूसरे स्कूल में बच्चों का एडमिशन करा दिया. मजेदार बात ये है कि अभिभावकों समेत उन स्कूलों को भी आरोपी बनाया गया है जिनने बच्चों का एडमिशन दिया है.
मामला जिले के एमजी वर्ल्ड विजन स्कूल का है. इस स्कूल की तरफ से एसडी पब्लिक स्कूल, माउंट लिट्रेरा के साथ अन्य कुछ स्कूलों को भी 120 का मुलजिम बनाया गया है. जिन्होंने बिना टीसी बच्चों को एडमिशन दिया.
एमजी वर्ल्ड विजन स्कूल की प्रधानाचार्य मृणालिनी अनंत ने मनोज गुप्ता, दिवेश कुमार, अर्पित चौधरी, सचिन शर्मा, राहुल शर्मा, प्रमोद कुमार, गुलरेज और अनुज गुप्ता के खिलाफ कम्प्लेंट की थी. जिस आधार पर पुलिस ने 420, 406 व 120बी की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया है. FIR में प्रिंसिपल की तरफ से आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ाने की एवज में स्कूल की फीस नहीं चुकाई और बिना टीसी लिए जिले के अन्य स्कूलों में बच्चों का दाखिला करा दिया. जिले के थाना नई मंडी में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मयंक जायसवाल के निर्देश पर यह मुकदमा लिखा गया है.
मामले में अभिभावकों की तरफ से कहा गया कि, कोरोना काल में उन्होंने अपने बच्चों को निकालने के लिए स्कूल से संपर्क किया था लेकिन उन्हें महीनों टरकाया जाता रहा. इसके बाद उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला अलग-अलग स्कूलों में करा दिया. अभिभावकों का कहना है कि स्कूल की तरफ से उन्हें बकाया फीस का नोटिस दिया गया था, उन सभी ने स्कूल में संपर्क भी किया था, लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल मृणालिनी अनंत की तरफ से कहा गया कि तुम्हें अदालत में देखेंगे. उन्होंने कहा कि तुम सभी को जेल भेजेंगे.
बच्चों के पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल जनपद के प्रमुख बिजनेसमैन सतीश गोयल का है, जो अपने प्रशासनिक और राजनीतिक रसूख के दम पर इस तरह के कारनामें करते रहते हैं. गोयल के खिलाफ स्कूल के मुख्य ट्रस्टी स्वर्गीय सुरेंद्र सिंधी का परिवार लगातार कई आरोप लगाता रहा है लेकिन सीएम कार्यालय से आदेश के बावजूद प्रशासन उनकी जांच नहीं करता. गोयल पर करोड़ों रूपये के घोटाले का भी आरोप है.
अभिभावकों ने बताया कि मृणालिनी द्वारा पिछले साल भी अदालत में इस मामले को लेकर वाद दायर किया गया था. तत्कालीन अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार सिंह ने उनकी याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि, ‘156(3) के तहत अभिभावकों के खिलाफ मुकदमा लिकने का मामला कोई संज्ञेय अपराध नहीं है और फीस वसूली के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से स्कूल मुकदमा लिखाना चाहता है.’ पर अब एक साल बाद संभवता पुराने फैसले के विषय में तथ्य छुपाकर नई याचिका दायर कर मुकदमा दर्ज करा दिया गया.
इस संबंध में अभिभावकों ने जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी से मुलाकात कर उन्हें प्रार्थनापत्र दिया. जिलाधिकारी की तरफ से किसी तरह का अन्याय ना होने का भरोसा दिया गया है. वहीं इस मामले में कानूनी जानकारों का कहना है कि अदालत में एक ही प्रकरण में मुकदमा खारिज होने के बाद तथ्य छुपाकर नया मुकदमा दर्ज कराना धारा 340 के तहत प्रधानाचार्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मामला बनता है. शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि, ‘कक्षा पांच तक प्रवेश के लिए टीसी जमा कराया जाना कोई बाध्यता नहीं है.’