अयोध्या में राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता ठुकराने के बाद कांग्रेस अपने ही नेताओं के निशाने पर आ गई है. लगातार दूसरे दिन कांग्रेस नेताओं की विरोध में प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस के फैसले पर हैरानी जताई है. उन्होंने न्योता ठुकराने का परिणाम भी भुगतने की चेतावनी दी है.
पूर्व कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा, जो लोग (राम मंदिर आंदोलन में) लड़े, वे स्पष्ट रूप से (प्राण-प्रतिष्ठा के संबंध में) निर्णय लेंगे. उन्होंने निर्णय ले लिया है. जहां तक निमंत्रण का सवाल है, इसे अस्वीकार करने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं? जब राजीव गांधी ने इसे अनलॉक करवाया था तो आप कौन होते हैं इसे अस्वीकार करने वाले? यदि हमारा नेतृत्व ऐसे सलाहकारों को रखता है तो परिणाम वही होंगे जो अब तक आए हैं… नुकसान हो गया है, यह चुनाव (आगामी लोकसभा चुनाव) में दिखेगा.
‘लंबी लड़ाई के बाद जीत मिली’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लक्ष्मण सिंह का कहना था कि राजीव गांधी ने ताला खुलवाया था. यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह ने वहां 46 एकड़ जमीन राम मंदिर न्याय को देने की बात कही थी. उन्होंने वहां पर भव्य मंदिर निर्माण की बात कही थी. दुर्भाग्यवश वो पद से हट गए. इसी बीच, राजीव जी की हत्या हो गई. यह मामला खटाई में पड़ गया. उसके बाद स्थानीय और पूर देश के साधु संतों ने इस लड़ाई को लड़ा. बुद्धजीवी जुड़े. पत्रकार जुड़े. राजनीतिक दल जुड़े. एक बहुत लंबी लड़ाई को लड़कर उन्होंने जीत हासिल की. उसके बाद उन्होंने इस निर्माण का कार्य शुरू करवाया.
लक्ष्मण सिंह ने आगे कहा, जिन्होंने ये सब लड़ाई लड़ी है, तो निर्णय भी वही लोग करेंगे. उन्होंने निर्णय लिया है. लेकिन निमंत्रण को ठुकराने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं. जब राजीव जी ने वहां ताला खुलवाया था तो आप कौन हैं मना करने वाले? इस तरह के सलाहकार अगर हमारा नेतृत्व रखेगा तो फिर क्या कहेंगे- जैसे परिणाम आ रहे हैं, वो आते रहेंगे. पुनर्विचार करें या ना करें… बयान बदलें या ना बदलें, जो नुकसान होना था, वो हो चुका है. ये चुनाव में दिख जाएगा.
61 हजार वोटों से चुनाव हार गए लक्ष्मण सिंह
बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से गुना जिले की चाचौड़ा सीट से उम्मीदवार थे. लेकिन इस बार उन्हें हार मिली है. इस सीट से बीजेपी की प्रियंका मीना ने 61570 वोटों से जीत हासिल की है. 2018 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार ममता मीना को 9797 वोटों से हराया था.
IRS अफसर की पत्नी ने हराया चुनाव
दिल्ली में पदस्थ भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अफसर प्रद्युम्न सिंह मीना की पत्नी प्रियंका मीना को बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में टिकट दिया था. प्रियंका मीना ने 27 फरवरी 2023 को बीजेपी का दामन थामा था. बीजेपी में आने के बाद से ही प्रियंका क्षेत्र में खासी लोकप्रिय हो गई थीं. प्रियंका अपने नाम के पीछे ससुराल के गांव का नाम (पेंची) लिखती हैं. बीजेपी ने प्रियंका के चेहरे को तवज्जो देते हुए हर किसी को हैरानी में डाल दिया था.