MY से अखिलेश यादव का किनारा क्यों, कहां से आया PDA समीकरण

कहां से आया PDA समीकरण, क्यों MY से अखिलेश यादव का किनारा; सपा की इनसाइड स्टोरीलखनऊ। मुलायम सिंह यादव के दौर से ही सपा MY समीकरण की बात करती रही है, जिसमें करीब 10 फीसदी यादव और 20 फीसदी मुसलमान आते हैं। लेकिन अब अखिलेश यादव PDA का जिक्र करते हैं और हर जगह कह रहे हैं कि एनडीए को तो पीडीए ही हराएगा। उनके पीडीए का अर्थ पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक से है। अखिलेश यादव ने हाल ही में एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने PDA के साथ 90 पर्सेंट वोट की बात कही है। दरअसल वह पीडीए में मुसलमानों के अलावा सिख, ईसाई समेत अन्य अल्पसंख्यकों एवं दलितों और पिछड़ों में यादवों के अलावा भी अन्य जातियों को शामिल करके देख रहे हैं।

यही स्थिति दलित समाज में भी रही। अब अखिलेश यादव भाजपा की इसी रणनीति की काट के लिए PDA की ओर बढ़े हैं। उन्हें लगता है कि सपा की छतरी इससे बड़ी हो जाएगी और ज्यादा से ज्यादा बिरादरियों को इसके अंदर लाया जा सकेगा। यही वजह है कि कभी कांशीराम से मुकाबला करने वाले मुलायम सिंह यादव के बेटे अब उनकी जयंती मनाते हैं। इसके अलावा राम मनोहर लोहिया के साथ ही आंबेडकर का भी जिक्र करते हैं। सपा और बसपा जब यूपी में कुछ अरसे के लिए प्रतिद्वंद्वी पार्टियां थीं तो आंबेडकर का कभी सपा जिक्र नहीं करती थी। अब बदली स्थिति में अखिलेश ने आंबेडकर और कांशीराम दोनों का साथ लिया है।

अखिलेश यादव ने इसी PDA फॉर्मूले को लेकर एक पोस्ट करते हुए एक्स पर लिखा है, ‘भाजपा इसी कारण न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण। इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फ़ार्मूले इस बार फ़ेल हो गए हैं। इसीलिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गई है। भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। भाजपा का टिकट लेकर हारने के लिए कोई लड़ना नहीं चाहता है। यहां तक कि भाजपा के मुख्य समर्थकों में भी जो महिलाएं महिला पहलवानों की दुर्दशा, मणिपुर की वीभत्स घटना, माँ-बेटी को जलाने के कांड जैसी अन्य अनगिनत नारी अपमान की घटनाओं को लेकर भाजपा समर्थक होने के नाते शर्मिंदा हैं वो अबकी भाजपा का साथ नहीं देंगी।’