लखनऊ। मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने अकेले ही लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया है, लेकिन पार्टी के नेता इससे सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। इसी के चलते पार्टी में भगदड़ के हालात पैदा हो रहे हैं। पार्टी सांसद रितेश पांडेय ने शुक्रवार को भाजपा का दामन थाम लिया। उन्हें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह और यूपी प्रभारी बैजयंत पांडा की मौजूदगी में भाजपा में एंट्री मिली। यही नहीं अब चर्चा है कि बसपा के तीन और सांसद भाजपा का रुख करने वाले हैं। इसके अलावा दो सांसद कांग्रेस के संपर्क में हैं और वेस्ट यूपी के एक सांसद रालोद के साथ जा सकते हैं। भाजपा के साथ गठबंधन में रालोद को उनकी सीट मिलती दिख रही है।
इस तरह बसपा के कुल 10 सांसदों में से 2 ही उसके पास बचेंगे और उनका भविष्य भी अनिश्चित ही है। रितेश पांडेय ने बसपा छोड़ने की जो वजह बताई है, उसमें पहला यह कि पार्टी का उनसे संपर्क ही नहीं था। दूसरा मायावती से भी उनका कोई संवाद नहीं था। यही स्थिति लगभग सांसदों की रही है। माना जा रहा है कि रितेश पांडेय ने टिकट की इच्छा से भाजपा जॉइन की है। भाजपा की ओर से उन 16 सीटों पर पहले कैंडिडेट घोषित किए जा सकते हैं, जिन पर यूपी में 2019 में वह जीत नहीं सकी थी। ऐसे में इन सीटों पर बसपा के ही उन सांसदों की नजर है, जो पिछली बार चुने गए थे।