नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफे का कारण निजी बताया है. केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच कुछ मसलों पर विवाद चल रहा था. हालांकि पिछले माह 19 नवंबर को आयोजित बोर्ड बैठक से पहले इसे निपटाने की बात कही गई थी.
उर्जित ने 4 सितंबर, 2013 में आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था. पिछले महीने उनके इस्तीफा देने की खबर आई थी लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया था. पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पिछले माह मुलाकात की थी. दोनों के बीच इस विवाद को सुलझाने को लेकर एक फॉर्मूला भी तय हुआ था. इस फॉर्मूले के तहत आरबीआई से पैसे मांगने को लेकर केंद्र नरमी बरतेगा और दूसरी तरफ आरबीआई भी सरकार को कर्ज देने में थोड़ी ढिलाई बरतेगा.
सरकार और आरबीआई के टकराव के सवाल टाल गए थे पटेल
पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही कशमकश पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था, “मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा क्योंकि हम मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता के विषय में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के सार्वजनिक रुख और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया.
गौरतलब है कि गत 23 अक्टूबर को मुंबई में हुई पिछली बोर्ड बैठक ने वित्त मंत्रालय और आरबीआई के आपसी मतभेदों को खुलकर सार्वजनिक कर दिया था. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता का मुद्दा उठाते हुए आचार्य ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए रिजर्व बैंक को अधिक स्वायत्ता देने की जरूरत है. उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकता है. आचार्य ने कहा था कि अगर सरकारें केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेंगी तो उन्हें बाजारों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा.
बाद में विवाद आगे बढ़ा तो वित्त मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता ‘एक महत्वपूर्ण और शासन चलाने के लिए स्वीकार्य जरूरत’ है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों को सार्वजनिक हित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के हिसाब से काम करना है.