भारत-नेपाल की सोनौली सीमा पर बुधवार (31 जुलाई 2024) की रात दो चीनी नागरिक पकड़े गए। उनके साथ एक तिब्बती मूल का शरणार्थी भी मिला। छानबीन में पुलिस को इनके पास पहचान पत्र के तौर पर भारतीय आधार कार्ड मिले। यह कार्ड इन्होंने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के दो अलग-अलग पते पर बनवा रखे थे। इसमें इनकी मदद दिल्ली में रहने वाले तिब्बती मूल के भारतीय नागरिक ने की थी।
खबरों के अनुसार, सुरक्षाबल के हत्थे चढ़ने के बाद ये लोग खुद को मूक दिखाने का प्रयास कर रहे थे। हालाँकि एसएसबी जवानों ने सख्ती से पूछताछ की तो इन्हें बोलना पड़ा। शुरू में इन्होंने बताया कि दवाई बनाने का कारोबार करते हैं और जड़ी-बूटियों की तलाश में भारत आए हैं। हालाँकि सुरक्षाबल को इनपर यकीन नहीं हुआ। पासपोर्ट चेक करने पर इनकी पहचान चीनी नागरिक के तौर पर पता चली।
इसमें एक का नाम जू वाकयांग निकला जबकि दूसरे की पहचान यंग मेंगमेंग के रूप में हुई। इन्होंने भारतीय आधार कार्ड पर अपने नाम विज्ञेन डोर्जी, जू वाकयांग लिखवाया हुआ था। भारत में इनके रहने की व्यवस्था तिब्बती मूल के लवसंग सेरिंग ने की थी।
इसके अलावा भारत में लाने और इन्हें नेपाल के काठमांडू से गोरखपुर पहुँचाने का जिम्मा भी उसी ने उठाया था। तिब्बती मूल के भारतीय नागरिक ने चीनी नागरिकों से इस काम के लिए 40 हजार रुपए लिए थे। पूछताछ में बताया गया कि चूँकि चीनी नागरिकों को हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में जड़ी-बूटी की तलाश करनी थी, इसलिए उनका आधार कार्ड हिमाचल प्रदेश के पते से बनवाया गया था।
इसके बाद वह दोनों चीनी नागरिकों को लेकर कार से काठमांडो से सोनौली सीमा से सटे बेलहिया पहुँचा। यहाँ से पैदल सीमा पार कराने के बाद गोरखपुर रेलवे स्टेशन छोड़ना था। वहाँ से ट्रेन से दिल्ली भेजने की तैयारी थी।
अब इस मामले में महराजगंज अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने कहा कि पकड़े गए दोनों चीनी और भारतीय नागरिक के विरुद्ध सोनौली थाने में धोखाधड़ी, कूटरचना और विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही जिन पते से दोनों चीनी नागरिकों के आधार कार्ड बने हैं, उन पतों का भी पुलिस टीम सत्यापन करेगी। पुलिस ने इन्हें कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया है।