योगी सरकार में कानून व्यवस्था सबसे मजबूत

  • – विपक्ष द्वारा गलत आंकड़े पेश करने पर मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में दिया करारा जवाब
  • – बोले,1 जनवरी से 30 नवंबर के बीच महिला संबंधी 4 लाख से अधिक मामलों काे किया गया निस्तारित
  • – पॉक्सो एक्ट में इस वर्ष अब तक 2440 अपराधियों को दिलाई गई सजा
  • – महिलाओं के खिलाफ दहेज मृत्यु के मामलों में 16.68 प्रतिशत की आई कमी
  • – दुष्कर्म में 25.34 प्रतिशत और शीलभंग में 14.31 फीसदी की दर्ज की गयी है कमी

लखनऊ। यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष द्वारा महिला हिंसा और उत्पीड़न के मुद्दे पर गलत आंकड़े पेश करने पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था सबसे मजबूत हुई है। पिछले साढ़े सात वर्षों में यूपी में महिला समेत हर प्रकार के अपराध में गिरावट दर्ज की गई है। अपराधियों को सजा दिलाने में भी प्रदेश सरकार सबसे ज्यादा सफल हुई है। उन्होंने विपक्ष के सवालों को जवाब देते हुए कहा कि 1 जनवरी 2024 से 30 नवंबर के बीच 1090 वीमेन पावर लाइन पर 4,18,504 शिकायतें दर्ज की गईं। इसमें 4 लाख 9 हजार 912 शिकायतों का निस्तारण किया गया। इसका रेश्यो 97.95 प्रतिशत है। वहीं पेंडिंग 8,592 मामलों के निस्तारण के लिए कार्रवाई की जा रही है।

दहेज मृत्यु के मामलों में गिरावट
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि दहेज मृत्यु के मामले में भी लगातार कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2017 में 2524 मामले सामने आए थे। 1 जनवरी 2024 से 31 अक्टूबर तक इस पर 1418 केस दर्ज किए गए। वर्ष 2023 में दहेज मृत्यु की 2061 घटनाएं दर्ज की गईं। उन्होंने कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने की बात है तो सरकार ने जितनी तेजी से प्रॉसिक्यूशन को मजबूत करते हुए कन्विक्शन कराया है। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार के इतिहास में किसी की सरकार ने नहीं किया।

अपराधों पर सजा दिलाने में योगी सरकार अव्वल
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में 2017 में 415 लोगों को सजा हुई। वहीं 2018 में 631 लोगों को सजा हुई। वर्ष 2019 में 665 और 2020 में 535 और 2021 में 1230, 2022 में 2313 और 2023 में 2841 और अभी इस वर्ष 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक 2440 लोगों को सजा दिलाने में सफलता हासिल की गई। स्पेशल अभियान चलाकर 1 जुलाई 2023 से लेकर 11 दिसंबर 2024 तक 48 मृत्युदंड दिए गए। इसी अवधि में 6065 मामलों में आजीवन कारावास, 1046 मामलों में 20 वर्ष और उससे अधिक सजा, 73 मामलों में 15 से 19 वर्ष की सजा, 3610 मामलों में 10 से 14 वर्ष की सजा, 5564 मामलों में 5 से 9 वर्ष की सजा और 22298 मामलों में पांच वर्ष से कम की सजा दिलाने में सफलता मिली।

दुष्कर्म के मामले में तेजी से हो रही कार्रवाई
सुरेश खन्ना ने कहा कि जब से भारतीय न्याय संहिता आई, इसमें 1 जुलाई से लेकर 12 दिसंबर तक 29 लोगों को सजा हुई है। सुरेश खन्ना ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक वर्ष 2022 तक की रिपोर्ट उपलब्ध है, उसके मुताबिक हर क्षेत्र में महिलाओं से संबंधित अपराध में गिरावट दर्ज की गई है। दुष्कर्म के मामले में पूरे देश में यूपी का 24वां स्थान है। इस तरह देश के 23 राज्य यूपी से आगे हैं। सुरेश खन्ना ने कहा कि धारा-354 के मामले में यूपी का 17वां स्थान है। इसके अतिरिक्त हत्या के मामलों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2024 से लेकर 30 नवंबर 2024 तक 245 मामले दर्ज किए गए। वहीं 2022 में 175, 2023 में 141 और 2024 में अभी तक 126 मामले दर्ज किए गए। इसमें 48.57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह महिलाओं के विरुद्ध दहेज मृत्यु में 16.68 प्रतिशत की कमी आई है। दुष्कर्म में 25.34 प्रतिशत, शीलभंग में 14.31 फीसदी की कमी आई है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के क्राइम में उत्तर प्रदेश से 19 राज्य ऊपर हैं।