कोलकाता। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रथ यात्रा को लेकर चल रहे गतिरोध पर कलकत्ता हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की ओर से बीजेपी की रथ यात्रा पर लगाई गई रोक को हटा दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि असुरक्षा की भावना वास्तविक होनी चाहिए.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना कोशिश किए रथ यात्रा को इजाजत देने से मना किया गया. ममता सरकार ने कोशिश नहीं की. कलकत्ता हाईकोर्ट ने प्रशासन को यह भी निर्देश दिए हैं कि रथ यात्रा के दौरान कानून का उल्लंघन नहीं होने दिया जाए.
इस पर बीजेपी ने कहा है कि रथ यात्रा के जरिये केंद्र के कामों को लोगों को बताएंगे. साथ ही इस दौरान ममता सरकार की तानाशाही को लोगों को बताया जाएगा. सुनवाई के दौरान बीजेपी के वकील ने दलील दी थी कि पुलिस नियमों के तहत रथ यात्रा को नहीं रोक सकती. उन्होंने कहा कि रथ यात्रा को रोकने का अधिकार जिलाधिकारी के पास है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट से कहा था कि साम्प्रदायिक सौहार्द्र में खलल पड़ने का अंदेशा जताने वाली खुफिया रिपोर्ट राज्य में बीजेपी की रथ यात्रा रैलियों को इजाजत देने से इनकार करने की वजह थी. याचिका के जरिए बीजेपी ने अपनी रैली को इजाजत देने से इनकार करने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस सरकार के कदम को चुनौती दी है.
वहीं, बुधवार को बीजेपी के वकील एसके कपूर ने आरोप लगाया था कि इसके लिए इजाजत देने से इनकार करना पूर्व निर्धारित और इसका कोई आधार नहीं था. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च किया और किसी ने उन्हें नहीं रोका लेकिन अब यहां सरकार कहती है कि वह एक राजनीतिक रैली निकालने की इजाजत नहीं देगी.
राज्य की पुलिस की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने दलील दी कि भाजपा की रथ यात्रा की व्यापकता को लेकर भारी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि यदि भाजपा कुछ जिलों में सभाएं कराना चाहती है तो इसकी इजाजत दी जा सकती है लेकिन इतने व्यापक स्तर की रैलियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती.