अलवर। एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड अनिवार्य नहीं रहा है तो वहीं दूसरी ओर अलवर में किसानों के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है. जिसके बाद से ही किसान विरोध कर रहे हैं. उनकी दलील है कि मानसून के पहले अचानक आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने से उन्हें सरकारी दुकानों से बिना आधार के यूरिया नहीं मिल पाएगा.
जिसके बाद अब यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि मानसून जल्द दस्तक देने वाला है और उन्हें बुआई के लिए यूरिया और खाद्य की आवश्यकता है लेकिन आधार कार्ड के बिना मिल उन्हें ये नहीं मिल पा रहा है. अलवर जिले में विभिन्न सहकारी समितियों में पंजिकृत और गैर पंजीकृत किसानों की संख्या ज्यादा है. यहां ऐसे किसान ज्यादा हैं जिनके पास अपना आधार कार्ड नहीं है. ये किसान मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं. आधार कार्ड बनाने को लेकर उनके गांव में कोई बंदोबस्त भी नहीं है. ऐसे में किसानों को जिला मुख्यालय या ब्लॉक मुख्यालय का रुख करना पड़ता है.
राज्य के कृषि विभाग ने अचानक फरमान जारी किया है कि अब किसानों को बगैर आधार कार्ड के यूरिया मुहैया नहीं होगा. सरकारी दुकानों से उन्हें रिआयती दरों पर मुहैया होने वाली खाद भी तब उपलब्ध होगी जब वे वहां अपना आधार कार्ड जमा कराएंगे. दिव्यांग किसान साजिद खान भी पुलिस थाने में यूरिया लेने के लिए पहुंचा, लेकिन साजिद खान के पास आधार कार्ड नहीं होने के चलते उसे यूरिया का कट्टा नहीं दिया जा रहा था लेकिन डॉक्टर के बनाए गए सर्टिफिकेट के चलते उसे यूरिया का कट्टा दिया गया.
राज्य में रबी की फसल कटाई में मात्र दो हफ्ते से भी कम का समय शेष बचा है. लिहाजा किसान परेशानी में हैं. आखिर वो अचानक कहां से अपना आधार कार्ड लाएं. हालांकि आधार कार्ड के अनिवार्य किए जाने के बाद किसान अपना खेत खलियान छोड़ कर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. समिति के अध्यक्ष रामेश्वर दयाल चौधरी ने बताया कि आधार कार्ड के बिना किसानों को यूरिया के कट्टे नहीं दिए जाएंगे इस तरह के आदेश उच्च अधिकारियों के हैं. कृषि विभाग के मुताबिक मानसून आते ही यूरिया की कालाबाजारी शुरू हो जाती है. कई इलाकों में बिचौलिए और मुनाफाखोर यूरिया को स्टॉक कर लेते हैं और किसानों को जरूरत पड़ने पर मुंह मांगी कीमत पर बेचते हैं. आधार कार्ड के अनिवार्य किए जाने से अब यूरिया बिचौलियों के हाथ नहीं लगेगी.
राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक 99 फीसदी किसानों के पास उनका आधार कार्ड है. वो बताते हैं कि ज्यादतार किसान सोसायटी में रजिस्टर्ड हैं और ऋण भी लेते हैं इसलिए उनका आधार कार्ड बना हुआ है. उनके मुताबिक मात्र एक फीसदी ही ऐसे किसान हैं जिनका आधार कार्ड नहीं है. उन्होंने दावा किया कि इस नई व्यवस्था से यूरिया की कालाबाजारी रुकेगी. अलवर में किसानो के लिए सिर्फ आधार कार्ड ही नहीं अनिवार्य किया गया है बल्कि जब वे दुकानों और डीलरों के पास यूरिया और खाद लेने जाएंगे तो वहां उन्हें POS मशीन में अपना अंगूठा लगना होगा. थम्ब इम्प्रेशन के बाद किसानों की आधार संख्या की पूरी जानकारी स्क्रीन पर आ जाएगी. कृषि विभाग ने गांव में वर्षों से खाद बेच रहे दुकानदारों और डीलरों पर भी शिकंजा कसा है.
अब ऐसे में दुकानदारों और डीलरों को खेती किसानी और खाद की उपयोगिता की डिप्लोमा परीक्षा पास करनी होगी. हर तरह की खाद के बारे में पूरा अध्ययन करने के बाद ऐसे दुकानदारों और डीलरों को लाइसेसं मिलेगा, ताकि वे अपने इलाकों में यूरिया और दूसरी खाद बेच सकें. यूरिया खाद बेचने वाले डीलर राकेश कुमार ने बताया कि बिना आधार कार्ड के यूरिया नहीं दिया जाएगा.