भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का तीसरा मैच मेलबर्न में चल रहा है. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया जिसके बाद टीम इंडिया के लिए हनुमा विहारी और मयंक अग्रवाल ने की. दोनों ने पहले 18 ओवर में ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को विकेट लेने नहीं दिए. विराट कोहली की नई सलामी बल्लेबाजों की जोड़़ी ने उम्मीद के मुताबिक ही खेल दिखाया.
विहारी और अग्रवाल ने 18.5 ओवर में 40 रन बना लिए जो गेंदों का सामना करने के मामले में टेस्ट क्रिकेट में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में दिसंबर 2010 के बाद से भारत की सबसे बड़ी सलामी साझेदारी थी. उस समय गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग ने सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 29.3 ओवर खेले थे. नाथन लियोन को आठवें ही ओवर में गेंद सौंप दी गई. विहारी को पैट कमिंस ने 19वें ओवर में स्लिप में आरोन फिंच के हाथों लपकवाया.
इन 40 रनों की साझेदारी में हनुमा विहारी के केवल 8 रन थे जिसे बनाने के लिए उन्होंने 66 गेंदें खेली. छोटी पारी होने के बाद भी इस पारी का काफी सराहा जा रहा है. इसकी कई वजह हैं. सबसे पहले तो यह कि विहारी का काम इस पारी में रन बनाना नहीं बल्कि लंबे समय तक अपना विकेट बचाए रखना था जो कि उन्होंने दी गई परिस्थिति के मुताबिक उन्होंने अपना काम बखूबी किया क्योंकि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी कभी सलामी बल्लेबाजी नहीं की थी. इसी वजह से विहारी को तारीफ ज्यादा मिल रही है क्योंकि उन्होंने खुद को इतनी कठिन चुनौती को बेहतरीन न सही लेकिन इतने ठीक ढंग से तो निभा ही दिया जिससे टीम इंडिया का काम चल सके.
विहारी की पारी की खास बात यह रही कि उन्हें ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज परेशान नहीं कर सके. शुरुआती ओवरों में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को पिच से मदद मिलती भी नहीं दिखी. यही वजह रही कि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान टिम पेन को पारी के 8वें ओवर में ही नाथन लॉयन को गेंदबाजी पर लगाना पड़ा लेकिन विहारी और मयंक को वे भी परेशान नहीं कर सके.
विहारी की पारी का सबसे मजबूत पक्ष रहा उनका मजबूत डिफेंस. ऐसा नहीं हैं कि विहारी को ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज बढ़िया गेंदबाजी नहीं कर सके. कई बार मयंक और विहारी दोनों ही अच्छी गेंदों पर बीट हुए. इसके बावजूद विहारी 18.4 ओवर तक अपना अपना विकेट बचाने में कामयाब रहे. विहारी के डिफेंस की सभी ने तारीफ की. इसमें भी मजेदार बात यह है कि विहारी ने रन बनाने की कोशिश ही नहीं कि बल्कि उनकी बल्लेबाजी का नजरिया कुछ कुछ पुजारा के जैसा रहा. यानि डिफेंस पर जोर और रन बनाने की बेकरारी नहीं. विहारी रन बना सकते हैं कि नहीं वे
यह रिकॉर्ड रहा विहारी- मयंक के नाम
लंबे समय बाद ऐसा हुआ है कि टीम इंडिया के दोनों सलामी बल्लेबाजों ने एक साथ पहली बार टीम के लिए ओपनिंग की हो. 1932 में लॉर्ड्स में जे नावले और एन जूमल ने भारतीय टीम के लिए पहली बार टेस्ट में एक साथ ओपनिंग की थी. इसके बाद 1936 में विजय मर्चेंट और जी हिंडोलकर ने भी लार्ड्स में भी ऐसा ही किया था. इसके बाद अब हनुमा विहारी और मंयक अग्रवाल ने इस सूची में अपना नाम जुड़वा लिया है.