नासिक। करोड़ों रुपये के स्टांप पेपर घोटाले में प्रमुख आरोपी अब्दुल करीम तेलगी को उनकी मौत एक साल बाद बरी कर दिया गया है. नासिक की एक अदालत ने सोमवार को तेलगी को स्टांप पेपर मामले में बरी कर दिया. तेलगी के अलावा इस मामले में आठ अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया गया है. मामले की सुनवाई कर रहे जिला न्यायधीश पी आर देशमुख ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने अब्दुल करीम तेलगी, रामभाऊ पवार, ब्रिजकिशोर तिवारी, प्रमोद डहाके, मोहम्मद सर्वर, विलास मोरे और ज्ञानदेव वारके को बरी किया है. इस मामले में रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी और कर्मचारी भी आरोपी थे.
मालूम हो कि 26 अक्टूबर 2017 को बेंगलुरु के एक सरकारी अस्पताल में अब्दुल करीब तेलगी की मौत हो गई थी. तेलगी के शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. करोड़ों रुपये के स्टांप पेपर घोटाले में दोषी करार दिए गए अब्दुल करीम तेलगी बेंगलुरु जेल में सजा काट रहे थे.
साल 2006 में उन्हें 30 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. इसके साथ ही उन पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. तेलगी बेंगलुरु के परापाना अग्रहारा सेंट्रल जेल में पिछले 16 साल से बंद था.
क्या है स्टांप पेपर घोटाला मामला
मालूम हो कि कई हजार करोड़ रुपए के स्टांप पेपर घोटाले की शुरुआत 90 के दशक के शुरुआती साल में हुई थी. तेलगी पर आरोप था कि वह नकली स्टांप पेपर छापकर बेचता था. कहा जाता है कि तेलगी ने स्टांप पेपर की ब्रिक्री के लिए सैकड़ों लोगों को नियुक्त किया था और उनकी मासिक आय कई करोड़ रुपये थी. 1995 में तेलगी के खिलाफ मामले दर्ज किए गए लेकिन गिरफ्तारी 2001 में ही हो सकी.
अब्दुल करीम तेलगी की गिरफ्तारी के बाद कई नेताओं के साथ-साथ पुलिस के कई आला अधिकारी भी हिरासत में लिए गए. गिरफ्तार पुलिस अधिकारियों में प्रमुख हैं – मुंबई पुलिस के आयुक्त आरएस शर्मा, संयुक्त आयुक्त श्रीधर वघल और समाजवादी पार्टी और तेलुगूदेशम के एक-एक विधायक.